जी -20: भारत और दुनिया के लिए सन्देश...

आलोक मेहता

Update: 2023-09-11 20:26 GMT

गतांक से आगे...

भारत दुनिया के लिए एक देश के साथ एक बड़ा बाजार है, जहां अपनी दुकान लगाने के लिए बाकी देशों में होड़ मची हुई है। इसी का नतीजा है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारत ने विकास को बढ़ावा देने के लिए हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों की एक श्रृंखला लागू की है। दुनिया के सभी देशों को इसका फायदा मिल सके इसके लिए भारत वित्तीय विनियमन के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक समन्वय के लिए जोर दे रहा है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उपायों की मांग को मजबूत कर रहा है। दुनिया की आधी आबादी के पास डिजिटल सुविधाएं नहीं हैं और भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी है। सम्मेलन में भारत से टेक्नोलॉजी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग पर जोर दिया गया है। भारत जन-धन, आधार, मोबाइल के जरिए अपने समावेशी डिजिटल क्रांति की विशेषता का लाभ भी दूसरों को दे सकता है। यूपीआई पेमेंट सिस्टम इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। इससे अमेरिका-यूरोप के नेता और अन्य अधिकारी भी चकित हुए हैं।

भारत को आजाद हुए 76 साल हो चुके हैं। इस दौरान देश ने कई उपलब्धियां हासिल की है। हम आज कई क्षेत्रों में टॉप-5 में हैं, कई में टॉप-3 तो कुछ जगहों पर टॉप पर हैं। इसके बावजूद भारत को विकासशील देशों में गिना जाता है। इसलिए जी-20 एक ऐसा फोरम है जहां भारत अपनी श्रेष्ठता को और बेहतर ढंग से बता सका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी लक्ष्य है कि जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा। दुनिया को बताने की जरूरत है कि भारत दुनिया का वैश्विक नेता बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत ने समय-समय पर दिखाया है कि विकसित देश उन्नत संसाधनों के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते, जो भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ कर लेता है। चाहे मंगलयान हो या कोविड जैसी महामारी में 140 करोड़ देशवासियों की रक्षा करना या फिर चंद्रयान-3 हर मामले में भारत अन्य देशों से बेहतर है। दुनिया के अन्य देश भी अगर भारत के साथ मिलकर काम करेंगे तो मानव समाज की उन्नति और पृथ्वी संरक्षण के प्रयास में तेजी लाई जा सकती है।

जी-20 में भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल रहे। अब भारत के प्रयासों और नेतृत्व से अफ्रीकी यूनियन को जी -20 का सदस्य बना लिया गया। यह ऐतिहासिक निर्णय भारत की ताकत बढ़ाएगा। हर साल अध्यक्ष देश कुछ देशों और संगठनों को मेहमान के तौर पर भी आमंत्रित करता है। इस बार भारत ने बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशिस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मेहमान के तौर पर बुलाया। वहीं नियमित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठनों (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठों के अलावा जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत की ओर से आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया गया था। दुनिया भर के आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार-विरोध और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। भारत ने सहमति बनवाई।

भारत में जी-20 का सफल आयोजन हुआ और एक भी घोटाले की खबर सामने नहीं आई है। भारत ने पर्यटन को भी खूब बढ़ावा दिया। इन देशों के संस्कृति मंत्रियों की अलग से बैठक हुई। टूरिज्म वर्किंग गु्रप्स से लेकर फाइनेंस वर्किंग गु्रप्स तक की बैठकें हुईं। भारत का सबसे हाईटेक कन्वेंशन सेंटर बना कर दिल्ली में तैयार किया गया 123 एकड़ में, लेकिन कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। न सिर्फ इसमें कर्नाटक के भगवान बसवेश्वर से प्रेरित होकर इसका नाम 'भारत मंडपमÓ रखा गया, नटराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई जो तमिलनाडु के चिदंबरम मंदिर के प्रमुख देवता हैं। 2700 करोड़ रुपए में बने इस परिसर के निर्माण में कहीं कोई घपले को लेकर आरोप तक नहीं लगे। प्रधानमंत्री मोदी ने मजदूरों को सम्मानित किया सो अलग, यहाँ मजदूरों को समस्या वाली कोई बात भी सामने नहीं आई। बड़ी बात ये है कि जिस कॉमनवेल्थ गेम्स में देश की छवि बिगड़ी थी, आज उसी कॉमनवेल्थ की सेक्रेटरी पैट्रिका स्कॉटलैंड ने जी-20 समिट के समय भारत की तारीफ की । उनका कहना है कि इससे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। यही नहीं, उन्होंने इसरो के 'चंद्रयान 3Ó और 'आदित्य एल1Ó मिशन की भी प्रशंसा की। साथ ही डिजिटल क्रांति को लेकर भी भारत की वो कायल हैं। उन्होंने कहा कि भारत अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रहा है।

किसी भी देश को जब किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी मिलती है तो उसके बाद मौका होता है अपनी ताकत दिखाने का, अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का और अपने यहाँ चल रही जन-कल्याणकारी योजनाओं से दुनिया को सीख देने का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का इस्तेमाल 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्यÓ को बढ़ावा देने के लिए किया। भारत ने ग्रीन डेवलपमेंट से लेकर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को अपनी जी-20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में गिनाया। भारत अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों की गैर जरूरी नाराजगी की कोई परवाह नहीं करता। देश की एकता, अखंड़ता और इसकी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारत न तो दबता है, न झुकता है। अपने रास्ते पर चलता रहता है। उन्होंने इसी प्रतिबद्धता के साथ जी-20 का नारा 'वसुधैव कुटुम्बकम्Ó पर भी अपना पक्ष रखा।

(लेखक पद्मश्री सम्मानित देश के वरिष्ठ संपादक है)

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