महान खेल प्रशासक माधवराव सिंधिया

पुण्यतिथि पर विशेष

Update: 2023-09-29 20:25 GMT

डॉ. केशव पाण्डेय

कैलाशवासी महाराज माधवराव सिंधिया का नाम देश के सक्रिय राजनेताओं में शुमार है। उन्होंने पांचवी लोकसभा से लेकर तेरहवीं लोकसभा तक लगातार नौ बार सांसद के रूप प्रतिनिधित्व किया। वे भारत सरकार के कई जिम्मेदार विभागों में मंत्री रहे। जिसमें उनके रेलमंत्री के कार्यकाल (1984-1989)को विशेष रूप से याद किया जाता है। नागरिक उड्डयन, पर्यटन व मानव संसाधन एवं विकास जैसे मंत्रालयों का दायित्व भी उन्होंने कुशलतापूर्वक संभाला। माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च 1945 ई. को समुद्रमहल, बम्बई (मुंबई), महाराष्ट्र में हुआ था। माधवराव सिंधिया, महाराजा जीवाजीराव सिंधिया एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया के एक मात्र पुत्र थे।

माधवराव सिंधिया ने खेलों के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्यों का संपादन किया। उन्होंने खेल प्रशासक के रूप में देश-विदेश में खासी ख्याति प्राप्त की थी। उन्होंने क्रिकेट, हॉकी सहित कई खेलों को अपना प्रत्यक्ष समर्थन दिया। उन्होंने संसद में रहते हुए भी खेलों की आत्मा को जीवित रखा और कई बार संसद की क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे। वे स्वयं क्रिकेट, हॉकी, ब्रिज, गोल्फ आदि के अच्छे खिलाड़ी थे।

माधवराव सिंधिया को क्रिकेट से अत्यधिक लगाव था, इसी कारण वे क्रिकेट प्रशासनिक बॉडी के सदस्य बने एवं कई बार विभिन्न क्रिकेट संघों के अध्यक्ष भी रहे। 1967 ई. में ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना हुई और 1976 ई. में माधवराव सिंधिया इस एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान माधवराव सिंधिया की कप्तानी में ग्वालियर ने सीनियर डिवीजन क्रिकेट टूर्नामेंट के मुकाबले में उज्जैन को हराया।

माधवराव सिंधिया वर्ष 1982-83 ई. में मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने और तब से लगातार 19 वर्षो तक, मृत्युपर्यंत एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर काबिज रहे। इस पद पर रहते उन्होंने एसोसिएशन और प्रदेश के क्रिकेट के विकास में जो महत्वपूर्ण कदम उठाए, वे मील के पत्थर साबित हुए। माधवराव सिंधिया 1991-1993 ई. तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने देश के इस संगठन को विश्व का सबसे धनी क्रिकेट संगठन के रूप में बदल दिया। माधवराव सिंधिया भारत में 1996 ई. में हुए 'विल्स विश्वकपÓ क्रिकेट मैंचों की समिति 'पिल्कॉमÓ के अध्यक्ष रहे। यह विश्वकप भारत, पाकिस्तान एवं श्रीलंका ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। उनके नेतृत्व मेंं विश्वकप का सफल आयोजन हुआ था। माधवराव सिंधिया ने खेल प्रशासक के तौर पर ग्वालियर में क्रिकेट सुविधाओं का विकास पूर्ण मनोयोग से किया। ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। ग्वालियर के कैप्टन रूपसिंह क्रिकेट स्टेडियम को अत्याधुनिक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाया एवं उसमें सभी अत्यावश्यक सुविधाओं का विकास करवाया। ग्वालियर का रूपसिंह क्रिकेट स्टेडियम सेन्ट्रल जोन का पहला और देश का छठवां ऐसा क्रिकेट स्टेडियम है, जहां खिलाडियों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। वे रूपसिंह स्टेडियम को इंग्लैण्ड के लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम की तरह भव्य और आकर्षक बनाना चाहते थे।

माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कार्य किए। रूपसिंह स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच आयोजित हो सकें, इस हेतु 1984 ई. में पिच विशेषज्ञ सीताराम को नियुक्त किया। ग्वालियर स्टेडियम की गैटिंग पिच को निकलवाकर उसकी जगह 'टर्फ पिचÓ बनवाई। रूपसिंह स्टेडियम में 1989 ई. में प्रथम अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैच भारत एवं वेस्टइंडीज के बीच हुआ। रूपसिंह स्टेडियम, में दिन-रात का मैच आयोजित करने के लिए फ्लड लाइट्स लगवाईं। यह फ्लड लाइट्स 1995 ई. में लगकर तैयार हुई और 21 फरवरी 1996 ई. में भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूधिया रोशनी में पहला मैच रूपसिंह स्टेडियम में हुआ। रूपसिंह स्टेडियम में 1997 ई. में विश्व में प्रथम बार पांंच दिवसीय दिन-रात का मैच रणजी ट्राफी क्रिकेट प्रतियोगिता के तहत ग्वालियर में खेला गया। माधवराव सिंधिया ने मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन एवं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहते क्रिकेट खिलाड़ियों की सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा। रेलमंत्री रहते उन्होंने रेलवे में खिलाड़ियों को नौकरी दिलवाई। उनके अध्यक्ष बनने के पहले मध्यप्रदेश के रणजी ट्राफी खिलाड़ियों को द्वितीय श्रेणी में यात्रा करनी पड़ती थी। उनके अध्यक्ष बनने के बाद खिलाड़ियों को प्रथम श्रेणी में यात्रा करने की सुविधा मिलना शुरू हुई। उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। माधवराव सिंधिया जीवन पर्यन्त खेल एवं खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए कार्य करते रहे। माधवराव सिंधिया की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में हुई। जब वे उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रचार हेतु दिल्ली से कानपुर जा रहे थे। 30 सितम्बर, 2001 को हुई इस दुर्घटना के समय उनकी आयु 56 वर्ष, 6 माह, 19 दिन थी। माधवराव सिंधिया के अचानक निधन से सारा देश स्तब्ध रह गया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, वज्रपात हो गया! क्या काल भी इतना क्रूर हो सकता हैं? ऐसे महान नेता एवं पथ प्रदर्शक सदियों में जन्म लेते हैं।

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