गत दिवस पहले भारत और ऑस्टे्रलिया ने दूसरी टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत दुनिया भर में गहराती गंभीर चुनौतियों से मिलकर निपटने का आह्वान कर पुन: रेखांकित किया है कि दोनों दोस्त अंतर्राष्ट्रीय मसले पर कंधा जोड़ने को तैयार हैं। दोनों देशों ने सूचना आदान-प्रदान के साथ समुद्री व रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करने की हामी भरी है। ऑस्टे्रलिया ने चीन को व्यापारिक भागीदार के साथ अपने व भारत के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा भी कहा है। भारतीय विदेश मंत्री की मानें तो विगत वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तेजी आई है। दोनों देशों ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
याद होगा मई माह में तीन देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्टे्रलिया गए थे। तब उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते को परिभाषित करते हुए कहा था कि अब दोनों देशों के रिश्ते 'ट्रिपल सीÓ यानी कॉमनवेल्थ, क्रिकेट और करी तक सीमित नहीं है। बल्कि दोनों देशों के रिश्तों का आयाम बहुत व्यापक है। भले ही दोनों देश भौगोलिक रुप से दूर हैं लेकिन ऐतिहासिक संबंधों के डोर से बंधे हुए हैं। खुद ऑस्टे्रलिया प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट किया कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता संसद से पारित हो गया। इस समझौते के बाद कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत का तकरीबन 6000 से अधिक उत्पाद ऑस्टे्रलियाई बाजारों में शुल्क मुक्त पहुंचने लगा है। भारतीय नागरिकों के लिए वीजा आसान हो गया है। गौर करें तो पिछले दो दशकों में भारत में ऑस्टे्रलिया द्वारा किया गया स्वीकृत पूंजी निवेश काफी महत्वपूर्ण रहा। 1991 से लेकर अभी तक भारत सरकार ने ऑस्टे्रलिया के कई सैकड़ा संयुक्त उद्यमों को स्वीकृति प्रदान की है। वहीं भारत की सूचना तकनीक से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कंपनियों ने ऑस्टे्रलिया में वाणिज्य एवं कई संगठनों को अच्छी सुविधाएं प्रदान करने हेतु अपने कार्यालय खोल दिए हैं। इन कंपनियों के ऑफिस अधिकतर सिडनी में हैं। इनमें से आईआईटी, एचसीएल, टीसीएस, पेंटासोफ्ट, सत्यम, विप्रो, इंफोसिस, ऐपटेक, वर्ल्डवाइड, आईटीआइएल, महेंद्रा ब्रिटिश टेलकॉम लिमिटेड, मेगा सॉफ्ट ऑस्टे्रलिया प्राइवेट लिमिटेड एवं जेनसार टेक्नोलॉजीज इत्यादि प्रमुख कंपनियां हैं। मेलबोर्न में विंडसर होटल भी ओबेरॉय होटल समूह का होटल है। टाइटन घड़ियों ने सिडनी में अपना शो रुम खोल दिया है। क्वीनजलैंड में पेसिफिक पेंट कंपनी को एशियन पेंट ने खरीद लिया है। स्टालाइट कंपनी ने माउंट लोयला में दो तांबे की खानें खरीद ली है। एयर इंडिया, आईटीडीसी, स्टेट बैंक तथा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने ऑस्टे्रलिया में अपने कार्यालय खोल लिए हैं। इसी तरह ऑस्टे्रलिया के वाणिज्य कर्मियों ने भी भारत में अपना कार्य शुरु कर दिया है। विज्ञान एवं तकनीकी समझौते के अंतर्गत दोनों देश वित्तीय, शिक्षा सेवाओं, पर्यावरण, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, संचार, रद्दी पदार्थ प्रबंधन, फसल वायरस, रासायनिक खादों का परीक्षण तथा खाद्यान्न इत्यादि क्षेत्रों में मिलकर सुचारु रूप से काम कर रहे हैं। दोनों देश द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों जैसे आसियान, हिंद महासागर रिम, विश्व व्यापार संगठन इत्यादि पर भी सहयोगात्मक संबंध विकसित किए हैं। मौजूदा समय में ऑस्टे्रलिया के निर्यात का छठा सबसे बड़ा गंतव्य-स्थान भारत ही है जिसमें कोयला, सोना एवं शिक्षा जैसी सेवाएं शामिल है। दोनों देश व्यापक ज्ञान भागीदारी के सृजन हेतु भी काम कर रहे हैं जिसमें प्राथमिक स्कूल से विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा में संयुक्त सहयोग परियोजनाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान कार्य शामिल हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग इस भागीदारी का अहम अवयव है। गत वर्ष पहले ऑस्टे्रलिया के विदेशमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान की भारतीय पहल की सराहना की और कहा कि यह महत्वपूर्ण कदम सहिष्णुता और समायोजन के मूल्यों को प्रोत्साहित करता है जिसका ऑस्टे्रलिया आदर करता है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों की बात करें तो ऑस्टे्रलिया सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के भारतीय दावे का पहले ही पूर्ण समर्थन कर चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में भी भारतीय सुझावों का समर्थन कर चुका है। दोनों देश आतंकवाद से मिलकर लड़ने के संकल्प को मूर्त रुप देने के साथ-साथ क्वाड में भागीदारी और सीमा पार की कई गैर-सैन्य समस्याओं मसलन नशीले पदार्थों की तस्करी, दस्युता, समुद्री संचार की स्वतंत्रता, लघु शस्त्रों के निर्यात, विश्व व्यापार संगठन के प्रतिबंधों के संदर्भ में समान रणनीति पर काम कर रहे हैं। दोनों देश व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर मुहर लगाते हुए टे्रड व इन्वेस्टमेंट, डिफेंस व सिक्योरिटी, एजुकेशन एंड इनोवेशन तथा साइंस एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जता चुके हंै। ऑस्टे्रलिया अपने एलान के मुताबिक प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष समेत अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए 28 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश के साथ 89 लाख डॉलर भारत में निवेश कर रहा है। इसके अलावा वह 1.72 करोड़ अमेरिकी डॉलर में ऑस्टे्रलिया-भारत सामरिक अनुसंधान कोष का विस्तार करने और 3.57 करोड़ डॉलर का निवेश ग्रीन स्टील पार्टनरशिप, क्रिटिकल मिनरल रिसर्च पार्टनरशिप और अंतर्राष्ट्रीय उर्जा एजेंसी में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)