2005 में मैं पढ़ाई करने इंदौर गया तो उस समय इंदौर 2023 वाला स्वच्छ इंदौर नहीं था। साइकिल से जब मैं नगर में कहीं जाता तो देखता चारों ओर कचरा, गंदगी, वाहनों का प्रदूषण, सड़कों की व्यवस्था खस्ताहाल, अनियंत्रित वाहन व ट्राफिक से परेशान आम आदमी ही उस समय इंदौर की छवि रहती थी। लेकिन उसके पहले से यह नगर निरंतर अपने प्रगति के मार्ग में अग्रसर आता आ रहा था। 2005 के बाद भी यह नगर सभी क्षेत्रों में निरंतर प्रगति करता गया। मध्य भारत का शिक्षा केन्द्र होने के साथ यह नगर आर्थिक व सामाजिक प्रगति भी करता गया। लेकिन सबसे बड़ी प्रगति व गौरव इंदौर नगर के साथ जुड़ गया, वह है स्वच्छ में नंबर वन इंदौर महानगर।
पूरे भारत में लगातार छ: बार स्वच्छता में पहला स्थान प्राप्त करना एक कीर्तिमान के साथ ही इंदौर नगर के नागरिकों व प्रशासन के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार व गौरव है। इंदौर ने ना सिफ़र् पूरे देश बल्कि दुनिया को भी बता दिया कि आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है। इंदौर के नागरिकों व नगरनिगम के कर्मचारियों का यह समर्पण ही है कि आज इंदौर पूरे भारत में स्वच्छता का मॉडल महानगर बन गया है।
मालवा का एक बेहद देशी नगर रहा इंदौर अपनी विशेष मालवी बोली, खानपान, पत्रकारिता, क्रिकेट प्रेम, मिलों व रंगारंग सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध रहा है। एक जमाने में कपड़ा उद्योग व मिलों के लिए भारत का केंद्र रहा इंदौर आज मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी भी है, लेकिन वर्तमान में पूरे भारत में इसकी चर्चा इसके स्वच्छता अभियान व जुनून को लेकर रहती है। हर त्यौहार को इंदौरवासी धूमधाम से मनाते हैं लेकिन वर्तमान में अगले ही दिन नगर स्वच्छ रहता है। इसके पीछे जागरूक नागरिक व सबसे ईमानदार इंदौर नगरनिगम के कर्मचारी जो सुबह तीन-चार बजे से नगर की सफाई में लग जाते है। कचरे का प्रबंधन इस तरह होता है कि गिला व सूखा कचरा अलग अलग करने के लिए कचरा गाड़ियां पूरे नगर में चलाई गई व यह तकनीक धीरे-धीरे पूरे प्रदेश के साथ अब देश में भी अपनाई जा रही है। आधुनिक तकनीक से अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन किया जाता है।
इंदौर नगर को यह कीर्तिमान व गौरव इतनी आसानी से नहीं मिला है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है इंदौर के नागरिकों व प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों की सहभागिता। इस तरह के कठिन कार्य के लिए जागरूकता व जनभागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है। 2014 में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के 'स्वच्छ भारत अभियानÓ के प्रति इंदौर नगर ने सबसे ज्यादा रुचि व समर्पण दिखाया व आज उसके परिणाम पूरी दुनिया के सामने है। वर्तमान में जिस गति से हमारे नगरीय क्षेत्र जनसंख्या दबाव व गंदगी के कारण दमघोंटू होते जा रहे हैं, ऐसे समय में इंदौर नगर का आदर्श उदाहरण सुखद व प्रेरणादायक है। यही कारण है कि अब स्वच्छ इंदौर की इस अभूतपूर्व उपलब्धि का अध्ययन करने के लिए देश-दुनिया से संस्थाएं व शोधार्थी आ रहे हैं। इंदौर स्वच्छता के मामले में भारत का मॉडल महानगर बनता जा रहा है। और कोई बड़ी बात नहीं है कि इंदौर यह उपलब्धि सातवीं बार भी दोहरा सकता है।
वर्तमान का स्वच्छ इंदौर पूरे भारत के नगरों का आदर्श नगर बनने की ओर निरंतर अग्रसर हो रहा है। करीब तीस लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाला यह नगर अपनी विशिष्ट पत्रकारिता के लिए भी पूरे देश में जाना जाता रहा है। वहीं माँ अहिल्या का यह नगर मालवा की संस्कृति व सामाजिक सौहार्द का केन्द्रीय नगर बन गया है। अपने स्वच्छता अभियान के लिए अब इंदौर देश के अन्य नगरों के नागरिकों का भी यह पसंदीदा नगर बनता जा रहा है। उच्च शिक्षा, व्यवसाय, आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी व अपनी निराली खानपान वाली जीवनशैली के लिए भी इंदौर नगर देशभर में चर्चा में रहता है।
देश के नगरों को कैसे स्मार्ट, आधुनिक व स्वच्छ बनाया जा सकता है। यह देश के अन्य नगर व उनके जिम्मेदार अधिकारी व नागरिक स्वच्छ इंदौर मॉडल से सीख सकते हैं। इस जनअभियान व जनभागीदारी के आदर्श उदाहरण को पूरे देश के महानगरों, नगरों व गाँवों में अपनाया जाना चाहिए व हमें इंदौर से सीखना चाहिए कि हम अपने नगर व गाँव को कैसे स्वच्छ बना सकते हैं। यदि नागरिकों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता व अधिकारियों में अपने कर्तव्य पालन की प्रबल इच्छा हो तो किसी भी क्षेत्र व नगर को जल्द ही सुंदर व स्वच्छ आदर्श नगर-गाँव बनाया जा सकता है।
(लेखक स्तंभकार हैं)