प्रदीप औदिच्य
नाक बन्द होने का मौसम चल रहा है। वैसे आदमी की जो नाक है वह काफी है नाक रखने के लिए बड़े आदमी के सामने हमारी नाक होने का अहसास नहीं होता। नाक का जीवन में कई बार होना भी अखरता है जैसे आपको सर्दी जुकाम हो नाक बंद हो जाए तब लगता है नाक क्यों है? भगवान ने नाक बनाई ही क्यों, कोई दूसरा रास्ता भी बना सकता था, सांस लेने का। आप बंद नाक लेकर सोने की कोशिश कीजिए, जिस तरफ की करवट लेते है, ठीक उसी तरफ की नाक बंद होने लगती है, आप जोर लगा कर इन्हेलर से नाक में सांस लेते है ,उधर दूसरी नाक बंद हो जाती है, मतलब आप रात भर इन्हेलर इधर उधर घुसाते है,थोड़ी राहत मिलते ही नाक का दूसरा छिद्र रूठ जाता है,तब आप को ईश्वर से ये शिकायत होती है, ये क्या सिस्टम बनाया है। बंद नाक के साथ-साथ नाक का होना तब भी अखरता है जब पत्नी से आपकी लड़ाई हो और आपको कुछ मन पसंद खाने का मन हो। उस वक्त आप का मन है कहने का लेकिन ऊंची नाक का सवाल आड़े आ जाता है और तब नाक का होना भी मन में अखरता है।
नाक बंद करने में सिर्फ सर्द मौसम ही जिम्मेदार नही है,बल्कि नगर निगम वाले भी नाक बंद करवा देते है,जो नदी कभी आपके नगर की नाक हुआ करती थी वही नाला बन कर नाक में दम कर देती है।
बजबजाते नाले के पास से गुजरते हुए आप नाक होने पे गर्व कर ही नहीं सकते। रुमाल और नाक का जीजा साले का असली संबंध है।नाक की इज्जत रुमाल ही ढकता है। नाक और गले का साथ दोस्ती की सच्ची मिसाल है, इधर नाक बंद, उधर गला गया हड़ताल पर...। छोड़ेंगे न हम तेरा साथ,ओ साथी... टाइप गाना गाते हुए। इसलिए डॉक्टर भी नाक और गले का एक ही होता है...। मुझे तो नाक और गले का सीधा संबंध नेता और भ्रष्टाचार जैसा लगता है, एक-दूसरे के सच्चे साथी। अब कुछ ज्ञानी बताते है कि नाक और गला शरीर के एक ही हिस्से से जुड़े है, इसलिए चिकित्सा विज्ञान में एक साथ पढ़ाया जाता है... ये फालतू की बकवास है, ऐसे तो फंेफड़े के अंदर हार्ट होता है लेकिन दोनों के डॉक्टर अलग अलग।
भाई मुझे नींबू मत देना, नाक बंद हो जाती है,ये कहते आपने कई लोगों से सुना होगा। नाक इस शरीर का थरमा मीटर है, वह ही नाप कर बता देती है कि मौसम का मिजाज कैसा है... सर्दी का सर्दपन ज्यादा बढ़ते ही नाक के रास्ते में टोल नाका जैसा आने लगे तो समझ जाइए कि सर्दी बढ़ रही है। वैसे हिंदी साहित्य में नाक को लेकर ज्यादा अन्याय हुआ है,आंख को जितना महत्व दिया है,उतना नाक को नहीं,, इस अन्याय के खिलाफ मुझे भी एक दिन संसद में अपनी नाक लेकर कूदना पड़ेगा।
अहा भाई साहब, जब आपकी नाक बंद हो तब आप को लगता है ,,भगवान ने ये क्या चीज बनाई है,,नाक बंद हो,तब सारे भगवान भी याद आ जाते है।नाक बन्द है ये सवाल आपके सामने जब उछाला जाता है,बंद नाक वाला आदमी , हां भाई हां, भी नहीं कह पाता।
बस मुंडी हिला कर रह जाता है।
बंद नाक पे, केवल यही समस्या नहीं है,, बन्द नाक पर सड़ांध मारती नाले की बदबू भी नहीं आती,जिनको आती है वह रुमाल रख कर निकल लेते हैं।
सड़ांध मारती अंग्रेज़ी कालीन प्रशासनिक व्यवस्था में अफसरों और मंत्रियों की नाक बंद रहती है, इस व्यवस्था की बदबू से परेशान अफसर या मंत्री भी नाक पर नोटों के रुमाल रख कर निकल लेते हैं।
बंद नाक को खोलने के कई चिकित्सीय उपचार है। पर आप को सुगड़-सुगड करते हुए देखते ही, सामने वाला तुरंत इलाज बता देता है। अदरक को कूट के गुड के साथ गर्म करके रात को खा लेना... पानी मत पीना।उसको इलाज बताते देख कर आपके दोस्त के अंदर बैठा सुषेण वैद्य बाहर निकल कर कहेगा... अरे सुनो, गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पी लेना, बढ़िया एक बार में ही नाक सही हो जायेगी। एक दोस्त ने भारत का सबसे अचूक और प्रचलित इलाज बताया एक पेग...लेकिन क्वार्टर उसने कहा तुम्हें ही लाना पड़ेगा...भाई साहब,ये सुनते ही मेरी नाक के साथ दिमाग भी बंद हो गया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)