जब मैंने कहानी शवयात्रा लिखी थी तो नहीं सोचा था कि मेरी कहानी की नकल कोई फ़िल्म कलाकार इतनी जल्दी कर दिखाएगा। मेरी कहानी का नायक लाइक्स और कमेंट्स का इतना दीवाना हो जाता है कि सोशल मीडिया पर अपनी ही मौत का नाटक करता है। मैंने उस चरित्र की मानसिकता को भीतर तक उकेरने का प्रयास किया। युवा पीढ़ी को कहानी बहुत पसंद आई। हाल ही में बाबा साहब अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में जब इस कहानी का पाठ किया तो विद्यार्थियों ने कहानी को इतना पसंद किया कि मुझे सेल्फ़ी और ऑटोग्राफ़ के लिये घेर लिया। अभी मेरी भारत यात्रा समाप्त भी नहीं हुई और मैं इस समय मुंबई में हूं। टीवी के प्रत्येक चैनल पर समाचार दिखाया गया कि फ़िल्म कलाकार पूनम पांडेय के प्रबंधक ने उनके आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया कि 32 वर्ष की आयु में 1 फरवरी 2024 को उनकी सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो गई थी।
यह समाचार देश के हर टीवी चैनल पर प्रमुखता से दिखाया गया और हर व्यक्ति इस युवा मौत पर दुखी महसूस कर रहा था। सर्वाइकल कैंसर पर चैनल कैंसर विशेषज्ञों से बातचीत करते दिखाई दे रहे थे। हम सब एक तरह के शमशान वैराग्य की सी स्थिति में थे। जीवन निरर्थक सा लगने लगा था। दरअसल हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में इतनी अधिक युवा मौतें हुई हैं कि किसी को शक भी नहीं हो सकता था कि पूनम पांडेय अपनी मौत का नाटक कर रही है।
यहां अपने पाठकों को यह बताना ठीक होगा कि पूनम पांडेय बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपने बोल्ड लुक्स के लिए जानी जाती थी। इसकी वजह से वह हमेशा विवादों से घिरी रहती थी। 2011 में पूनम पांडे ने कहा था कि अगर टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीतती है, तो वो न्यूडपोज करेंगी। इसके बाद उन्हें खूब ट्रोल किया गया था। वहीं 2016 में टीम इंडिया ने बांग्लादेश को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी। टीम के जीतने की खुशी में एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर सेमी-न्यूड फोटो पोस्ट की थी। वहीं एक बार उन्होंने यू-ट्यूब पर अपने बाथरूम के अंदर का वीडियो शेयर किया था, जिसके बाद उन्हें यू-ट्यूब की तरफ से ब्लॉक कर दिया गया था।
पूनम पांडेय ने गोवा के एक समारोह में भाग लिया था और उनकी मृत्यु के समाचार को लेकर भारत का प्रत्येक समाचारपत्र गंभीरता से प्रकाशित करते हुए सर्वाइकल कैंसर पर भी लेख प्रकाशित कर रहा था।
अख़बारों में लिखा गया, 'किसी का भी अचानक दुनिया से चले जाना हर किसी को हैरान कर जाता है। खासकर उनकी मौत की खबर पर यकीन नहीं होता है जिन्हें कुछ ही समय पहले हंसते-खेलते देखा हो। पूनम पांडे का आखिरी पोस्ट 4 दिन पहले की है। लेकिन पूनम से पहले ऐसी कई बॉलीवुड एक्ट्रेसेस रही हैं जिनकी मौत कम उम्र में हुई और फैंस को हैरान कर गई। इस सूची में शामिल हैं मधुबाला, स्मितापाटिल, दिव्या भारती, सिल्क स्मिता, जिया ख़ान जैसे नाम। पूनम पांडेय जैसी फ़िल्म कलाकार पहले से ही बहुत से विवादों में घिरी रही हैं। उनकी हरकतें उन्हें सिने-प्रेमियों की निगाह में एक गंभीर इन्सान या कलाकार नहीं बनने देतीं। पूनम ने किसी भी फ़िल्म में ऐसा कोई किरदार नहीं निभाया जो उन्हें दर्शकों की यादों में स्थाई स्थान दिला सके। दरअसल अधिकांश फ़िल्म प्रेमी तो पूनम को पहचान भी नहीं सकेंगे। राखी सावंत और पूनम जैसे कलाकार विवादों के ज़रिये अपने आप को ज़िंदा रखते हैं।
अपनी मौत की ख़बर सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करने के बाद 48 घंटे तक पूनम पांडेय अपनी साँस रोके कहीं अंडरग्राउंड छुपी रही और अपनी मौत पर बड़े छोटे हर इन्सान की प्रतिक्रिया का आनन्द लेती रही। उसे यह अहसास सुख दे रहा था कि बड़े से लेकर छोटे कलाकार तक उसकी मृत्यु पर शोक प्रकट कर रहे हैं। अपने जीवन में ही पूनम को अहसास हो गया था कि उसके मरने के बाद लोग कैसी बातें कहेंगे। अगर उसे अहसास नहीं था तो इस बात का जब सारे भेद खुल जाएंगे तो उस पर क्या बीतेगी। क्या लोग यह नहीं कहेंगे कि वह मर क्यों न गई!
अपरिपक्वता इन्सान से कुछ भी करवा सकती है। हो सकता है कि पूनम भी भावावेश में ऐसा कदम उठा गई। मगर उसने यह नहीं सोचा कि जब वह घोषित करेगी कि वह जीवित है तो आम आदमी उसके बारे में क्या सोचेगा और उसकी छवि कितनी अधिक धूमिल हो जाएगी। न मालूम वह किन मित्रों के साथ थी और मेरी कहानी 'शवयात्राÓ के नायक की तरह लाइक, कमेंट्स, समाचार पत्रों की ख़बरों और टीवी समाचार का आनंद उठा रही थी। उसने यह भी नहीं सोचा कि उसके परिवार वालों पर क्या गुज़र रही होगी जब उसकी मृत्यु की ख़बर सभी दिशाओं में सुर्खियों में थी।
पूनम पांडेय की मौत की ख़बर साझा करते हुए कहा गया था, 'आज की सुबह हमारे लिए कठिन है। आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमने सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी प्यारी पूनम को खो दिया है। हर जीवित रूप जो कभी भी उनके संपर्क में आया, उसे शुद्ध प्रेम और दयालुता मिली। दुख की इस घड़ी में हम गोपनीयता का अनुरोध करेंगे, जबकि हम उसे हमारे द्वारा साझा की गई हर बात के लिए प्यार से याद करते हैं। अपने ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार के दो दिन बाद ही पूनम पांडेय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी कर दिया। उस संदेश में उसने कहा, 'मैं आप सभी के साथ कुछ महत्वपूर्ण बात साझा करने के लिए बाध्य महसूस कर रही हूं- मैं यहां हूं और जिंदी हूं। सर्वाइकल कैंसर के कारण मेरी मौत नहीं हुई है, लेकिन दुखद बात यह है कि इसने उन हज़ारों महिलाओं की जान ले ली है जो इस बीमारी से निपटने के बारे में जानती ही नहीं थी। कुछ अन्य कैंसरों के विपरीत, सर्वाइकल कैंसर पूरी तरह से रोकथाम के योग्य है।
पूनम पांडेय के इस वीडियो ने- कि वह जीवित हंै- सबको अधिक आहत किया है। एक्स पर लोगों ने लिखा - ये पब्लिसिटी का सबसे घटिया तरीका था। एक अन्य ने लिखा- 'मौत का मज़ाक बनाया है, अब तुम्हारी असली मौत पर भी कोई यकीन नहीं करेगा। एक अन्य ने लिखा- 'ख़ुशी है कि आप ज़िंदा हैं, लेकिन इस घटिया झूठ के लिए गिरफ़्तारी होनी चाहिएÓ... एक अन्य ने लिखा- 'जागरुकता के और भी तरीके हो सकते थे, लेकिन ये सबसे घटिया है। वीडियो में पूनम पांडेय ने लोगों से माफ़ी मांगने के साथ-साथ ही ये भी स्वीकार किया है कि उन्हें अपनी झूठी मौत की खबरों पर दुख नहीं है, क्योंकि इस खबर ने एक ही दिन में सर्वाइकल कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक कर दिया है।
यहां ध्यान देने लायक यह बात भी है कि ऑल इंडिया सिनेवर्कर्स एसोसिएशन ने इस बारे में पुलिस को एक पत्र भी लिखा है। लगता है कि पूनम पांडेय अपने इस नाटक के कारण काफ़ी परेशानी में फंसने वाली हैं। एसोसिएशन की तरफ़ से मुंबई के विक्रोली पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को लिखे पत्र में कहा है कि पूनम पांडेय और उनके मैनेजर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जानी चाहिये। फ़ेक विवाद की एक और एक्सपर्ट उर्फी जावेद ने पूनम के इस पब्लिसिटी स्टंट को लेकर अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर लेटेस्ट पोस्टर शेयर किया है। इस फोटो में उर्फी बेड पर लेटी हुई नजर आ रही है और उसकी आंखों का काजल चेहरे पर फैला हुआ नजर आ रहा है। फ़ोटो के कैप्शन में उर्फी जावेद ने लिखा है- 'हाय दोस्तो, मैं मरी नहीं हूं, बस हैंग-ओवर के खिलाफ जागरुकता फैला रही हूं। जब आप शराब पीते हैं, तो आप ख़ुद को बहुत ज़िंदा महसूस करते हैं। हालांकि उसके अगले दिन आप ख़ुद को मरा हुआ महसूस करते हैं, लेकिन हकीकत में आप मरते नहीं हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लिये आम लोगों को जागरुक करने के और बहुत से सकारात्मक तरीके हो सकते हैं। पूनम पांडेय की बात पर कोई यकीन नहीं करेगा कि उसने अपने मरने का नाटक सर्वाइकल कैंसर के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के लिये किया था। सच तो यह है कि ऐसे लोग अपनी विश्वसनीयता अपने ही घटिया व्यवहार के कारण खो देते हैं। यदि पूनम के परिवार में किसी को सर्वाइकल कैंसर हुआ भी था तो उनका फ़ज़र् बनता था कि वे सर्वाइकल कैंसर की ब्राण्ड एंबैसेडर बन कर एक सकारात्मक मुहिम चलातीं और आम जनता में जागरूकता फैलातीं। मगर फ़िलहाल वे अपने शुभचिंतकों के गुस्से के निशाने पर हैं।
(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं एवं लंदन में रहते हैं)