इस देश में चुनाव सबसे मजेदार काम है, एक लड़ता है। दर्जन भर लड़ाते हैं। सैकड़ों लोग काम करते हैं। हजारों चर्चा में मशगूल रहते हैं, लाखों वोट देकर भूल जाते हंै। मेरे एक दोस्त ने कल स्कूटर रोकते हुए सीधा एक तरफा बारूद भरा डायलॉग दे मारा। भाई, किसको जिता रहे हो? हमारे इधर तो फलां जी निपट रहे हैं।
अपन ने भी उसी गति से प्रति प्रश्न की गेंद वापिस फंेक दी 'अरे वह कैसे निपट रहे हैं,उनने तो तीन दिन तक बांटी थी।Ó
फिर उसने कवर में चौका मारते हुए कहा, सामने वाले ने भी पांच दिन तक अंग्रेजी पिलाई है। फिर खुद ही आगे बोला, अच्छा है निपट जाएं तो, मंैने कहा ऐसा क्यों ?
वह बोला अरे मोहल्ले में अपन ने उनका स्वागत किया। मंच लगाया, माइक लगाया, जनता लेकर आए और उन्होंने चुनाव के बाद कल कह दिया कि अरे यार मैंने पहचाना नहीं। अभी तो रिजल्ट ही नहीं आया, ऐसा हाल है।
और तुम सुनाओ, प्रदेश में किसकी सरकार बन रही है। अपनी भड़ास का गुटका मेरे पास थंूकते हुए... राजनीति की पोटली खोल दी।
मैंने कहा जनता ने जिसे वोट दिया, उसकी सरकार बनेगी।
दोस्त जो सोच कर आया था वह पूरा बोलता है।
वह शुरू हो गया। ग्वालियर चंबल में थोड़ा इस पार्टी का प्रदर्शन कमजोर है, उधर मालवा में उस पार्टी का प्रदर्शन कमजोर है। विंध्य में दोनों बराबर हैं। फलां ने आखिरी वक्त में अच्छा कर लिया वरना वह निपट लिए थे। एक-एक कर मात्र 15 मिनिट में पूरा मध्य प्रदेश घुमा दिया।
प्रदेश की जनता बस आजकल इतनी फुरसत में है। दो लोग मिले नहीं कि सरकार बनाना बिगाड़ना शुरू। कल तो मैं कटिंग बनवाने गया तो उसने कहा- भइया, किस का जोर चल रहा है ।
मैंने कहा सर्दी का। भाई साहब मजाक नहीं, चुनाव की पूछ रहा हूं।
मैंने कहा अपने भइया जी का। वह बोला उनका इस बार हालत ठीक नहीं है। उनके भाई और भतीजे ने पिछली बार जमकर नोट कमाए थे, कमीशन में।
भतीजे के जुआ का अड्डा भी चलता था... कहां वह एक मोटर साइकिल पर घूमने वाला लड़का, आज कल स्कॉर्पियो से चलता है। उसने दनादन गोल मारे।
मंैने कहा क्या करे दूसरा वाला भी तो विधायक फंड में खा गया।
उसने कटिंग बनाते हुए कहा... ये वाली बात तो सही है... दोनों एक से हैं। चुनाव लड़ रहे आदमी ये भूल जाते हंै कि उन्हें कोई नहीं देख रहा, बस जनता इंतजार करती है,उनके हाथ में लगाम आने का। हिसाब तो वह सबका रखती है। उसके खाते बही में नाम दर्ज हो जाए। वह जानती है कि फलां भइया जी ने ये जमीन विधायक बनने के बाद अपने साले के नाम ली है, वही साला, जो साला बस स्टैंड पर घूमता रहता था दूसरों से जर्दा मांग कर खाता था। आज वह तीन दुकानों चार गाड़ियों का मालिक है।
वैसे ये देश चुनावी बुखार में हमेशा तपता रहता है। हम इतने चुनावी हो गए है कि अगर किसी महीने में देश में कहीं चुनाव नहीं है तो अमेरिका, ब्राजील से लेकर रूस तक के चुनावों में किसी को हरा जिता सकते हैं। वहां की सरकारों की चिन्ता कर लेते हैं। हमको चुनाव और चाय के बिना अपना जीवन अधूरा सा लगता है। भइया को कहां से कितने वोट मिल रहे है। इसका हिसाब चल रहा है... एक-एक पोलिंग के वोट लिखा गया है। भइया जी के साथ रहने वाले एक व्यक्ति ने पोलिंग पर इतने वोट लिख दिए बाद में जब उसने ही हिसाब लगाया तो ये वह कुल डाले गए वोट से ज्यादा हुए।
भइया फाइट में है, ये जब कहा जाता है तो ये समझना चाहिए कि उनका अपना गणित हिला हुआ है। गणित के साथ उनकी जमीन भी।
देखो, उस सीट पर वह हाथी जोर मार रहा है। इधर तो बिजली की बात ही चली है। ऐसे लोग अपना खुद के कई ओपिनियन पोल लेकर जेब में चलते है, जिसका जैसा माहौल वैसा ओपिनियन रख देते हैं।
मेरा एक दोस्त तो चुनाव का इतना बड़ा विश्लेषक है कि कुछ सीट पर निश्चित हार बताता है, और जब वह प्रत्याशी जीत जाता है तब सबसे पहले कहता है ये तो मैंने पहले ही कहा था ये जीतेंगे... पूछ लो इससे ।
ये कहकर हमारी तरफ इशारा करता है और हम भी पुलिस के स्थाई गवाह की तरह सहमति में सिर हिला देते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)