सनातन पर राजनीति का संत्रास

प्रो. मनीषा शर्मा

Update: 2023-09-11 20:34 GMT

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर जो बेहूदा बयान दिया है उससे उत्पन्न विवाद की आंच से निकली चिंगारियां सम्पूर्ण भारत में फैल गई है। चेन्नई के कामराजार एरीना में सनातन उन्मूलन सम्मेलन में भाग लेते हुए उदयनिधि स्टालिन ने 'भारतीय मुक्ति संग्राम में आरएसएस का योगदानÓ शीर्षक से व्यंग्य चित्रों वाली एक पुस्तक का विमोचन किया और सनातन धर्म और भाजपा को लेकर अपनी हेट स्पीच दी। अभी यह विवाद थमा नही था कि गत दिवस डीएमके नेता सांसद ए. राजा के बोल भी सनातन पर फूटे उन्होंने कहा कि 'सनातन धर्म एचआईवी-कोढ़ जैसा है। सनातन धर्म पर ऐसी टिप्पणी कर ये अपनी अज्ञानता का सामूहिक परिचय दे रहे हैं। ये लोग सनातन को नष्ट करने की बात कर रहे हैं। उसकी तुलना डेंगू,मलेरिया, एड्स से कर रहे हैं। सत्ता के लिए, सत्ता के मद में चूर होकर ये विष वमन कर रहे हैं।

भाजपा नेताओं ने उदयनिधि स्टालिन के जरिए विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. को ही घेरना शुरू कर दिया। उन्होंने राजस्थान में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'दो दिन से आप (गठबंधन) इस देश की संस्कृति और सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख दल कांग्रेस और डीएमके कह रहे हैं कि सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिए। तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति करने कि लिए इन लोगों ने 'सनातन धर्मÓ का अपमान किया है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खडगे ने उदयनिधि के बयान का समर्थन किया और कहा,'कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है या यह सुनिश्चित नहीं करता है कि आपके पास मानव होने की गरिमा है, वह धर्म नहीं है। कोई भी धर्म जो आपको समान अधिकार नहीं देता या आपके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता वह बीमारी के समान ही है। सनातन के विषय में इन विषवमन करने वालो की अज्ञानता का यह स्तर कि इन्होंने असमानता हेतु सनातन धर्म को ही दोषी ठहरा दिया। जबकि सनातन का आधार ही समानता और सह अस्तित्व है। और इसमें कहीं भी असमानता व भेदभाव की कोई बात नहीं कही गई। जो धर्म देश के बाहर से आए हैं वह अलगाव और भेदभाव की बात करते हैं।

जिस सनातन को द्रविड़ भूमि से हटाने की बात उदयनिधि कर रहे हैं वह सनातन ही तमिल भाषा व संस्कृति का अवलंब है। ऐसी प्रचलित मान्यता है कि तमिल भाषा भगवान शंकर ने अगस्त्य ऋषि को सिखाई फिर अगस्त्य ऋषि ने तमिल संस्कृति और भाषा के प्रचार प्रसार के साथ उत्तर व दक्षिण भारत की एकता के लिए काम किया। यदि उदय निधि अपनी बुद्धि पर चढ़ी हुई धुन्ध को साफ करें तो उन्हें पता चलेगा कि तमिल संस्कृति का आधार ही सनातन धर्म है। वे सनातन पर नहीं भारतीय आत्मा के मूल पर प्रहार कर रहे हैं।

'ऋग्वेदÓ (3-18-1)में कहा गया है -'यह पथ सनातन है। समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है। हे मनुष्यो आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को विनष्ट ना करें ।Ó

सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। जिन भी बातों का शाश्वत महत्व है वह सनातन कही गई है। जैसे सत्य सनातन है। ईश्वर ही सत्य है। आत्मा ही सत्य है। वह सत्य जो अनादि काल से चला रहा है जिसका कभी अंत नहीं होगा वही सनातनी या शाश्वत है। वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिए सनातन धर्म कहा जाता है क्यों की यह धर्म ईश्वर,आत्मा, मोक्ष को जानने का मार्ग बताता है मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है। यही सनातन धर्म का सत्य है। सनातन में सत्य, अहिंसा, दया, जप-तप , नियम आदि का विशेष महत्व है।यहाँ कही भी भेदभाव की बात नही है। समानता, समरसता सनातन के मूल आधार है। उचित यही है कि भारत के लोग जान लें कि वोट बैंक के लिए , सत्ता पाने के लिए जो लोग भारत की मूल आत्मा पर प्रहार कर सकते हैं वो कितने भारतीय हैं और उनका असली चरित्र क्या है।

(लेखिका आईजीएनटीयू, अमरकंटक में डीन व हेड पत्रकारिता एवं जनसंचार हैं)

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