चैंपियंस ट्रॉफी वापसी करने को तैयार: जानिए इस टूर्नामेंट का सफर और किसके दिमाग में आया था इसका आइडिया...

Update: 2025-02-15 13:44 GMT

Champions Trophy 2025: क्रिकेट की दुनिया अगले कुछ दिनों में पाकिस्तान और दुबई में एक साथ नजर आने वाली है, जहां दुनिया की टॉप-8 टीमें चैंपियंस ट्रॉफी की चमचमाती ट्रॉफी के लिए मुकाबला करेंगी। भारत ने इस ट्रॉफी को दो बार जीता है, एक बार संयुक्त रूप से और एक बार अकेले। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और किसने इसका आइडिया दिया? दिलचस्प बात ये है कि इस टूर्नामेंट का नाम पहले चैंपियंस ट्रॉफी नहीं था। जी हां पहले इसका नाम कुछ और था।

इस टूर्नामेंट की शुरुआत 1998 में हुई थी जब क्रिकेट में टी20 का कोई अस्तित्व नहीं था और केवल वनडे वर्ल्ड कप ही खेला जाता था। उस समय वर्ल्ड कप में सभी देश हिस्सा लेते थे और ये एक 50 ओवरों का टूर्नामेंट होता था। ऐसे में सवाल उठता है कि 50 ओवरों के वर्ल्ड कप के समान एक और टूर्नामेंट की आवश्यकता क्यों पड़ी? आखिर क्यों आईसीसी ने इस नए टूर्नामेंट की शुरुआत की और बाद में इसका नाम बदलने का निर्णय लिया? हम आपको बताते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।

आर्थिक और प्रचार के दृष्टिकोण से मजबूती

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का उद्देश्य सिर्फ क्रिकेट के प्रचार को बढ़ावा देना ही नहीं था, बल्कि इसने उन देशों की मदद भी की जो टेस्ट क्रिकेट में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस टूर्नामेंट के जरिए इन देशों को अपनी टीमों को दिखाने का एक बड़ा मंच मिला। 1998 में बांग्लादेश में हुए इस टूर्नामेंट ने उस समय उस देश को टेस्ट नेशन का दर्जा नहीं मिलने के बावजूद क्रिकेट के क्षेत्र में अपने कदम मजबूती से बढ़ाने का अवसर दिया। दो साल बाद 2000 में यह टूर्नामेंट केन्या में आयोजित किया गया। यह उस समय टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं था।

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया का योगदान

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के जनक बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और आईसीसी के तत्कालीन चेयरमैन जगमोहन डालमिया थे। उनका उद्देश्य टेस्ट क्रिकेट में उभर रहे देशों को मदद देने के साथ-साथ आईसीसी के रेवेन्यू को भी बढ़ाना था। इन उद्देश्यों के कारण यह टूर्नामेंट क्रिकेट की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया।

स्थान में हुआ बदलाव

इस टूर्नामेंट के पहले दो संस्करणों का आयोजन उन देशों में हुआ था जिनके लिए इसे बनाया गया था। लेकिन 2000 में केन्या में हुए संस्करण के बाद यह समझ में आ गया कि रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए इस टूर्नामेंट का आयोजन बड़े देशों में किया जाना चाहिए। इसके बाद 2002 में श्रीलंका में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी के साथ इसका स्थान बदल गया और यह टेस्ट नेशन में आयोजित किया जाने लगा। तब से लेकर आज तक यह टूर्नामेंट बड़े देशों में ही आयोजित होता है।

नाम में हुआ बदलाव

1998 में जब यह टूर्नामेंट शुरू हुआ था, इसका नाम "आईसीसी नॉकआउट" था। कई बार इसे "मिनी वर्ल्ड कप" भी कहा जाता था, क्योंकि इसमें भाग लेने वाली टीमों की संख्या वर्ल्ड कप से कम होती थी, लेकिन इसका प्रारूप वर्ल्ड कप के समान था। 2002 में जब यह टूर्नामेंट श्रीलंका में आयोजित हुआ। तब इसका नाम बदलकर "आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी" रखा गया और तब से यह इसी नाम से जाना जाता है।

चैंपियंस ट्रॉफी की जरूरत पर सवाल

 पहले से ही T20 वर्ल्ड कप और वनडे वर्ल्ड कप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे इसलिए इस सवाल पर चर्चा होने लगी कि क्या चैंपियंस ट्रॉफी की कोई खास जरूरत है। इस विचार के कारण आईसीसी ने कुछ वर्षों तक इस टूर्नामेंट का आयोजन नहीं किया। हालांकि 8 साल के लंबे अंतराल के बाद आईसीसी ने इसे फिर से शुरू करने का निर्णय लिया और 2017 में यह टूर्नामेंट एक बार फिर से आयोजित हुआ।

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