Bhojshala: भोजशाला विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, याचिकर्ता की दलील - मामला मथुरा और काशी जैसा
भोजशाला विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Bhojshala : मध्य प्रदेश। भोजशाला मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिकर्ता का कहना है कि, भोजशाला को धर्म स्थल उपासना अधिनियम के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। भोजशाला ASI द्वारा संरक्षित किया गया है। ऐसे में याचिकाकर्ता का कहना है कि, यह मामला मथुरा और काशी जैसा है। अदालत से ASI सर्वे रिपोर्ट पर रोक लगाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को आशीष गोयल की ओर दायर याचिका पर सुनवाई होने जा रही है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि, भोजशाला मामले में मूल याचिका की सुनवाई की जानी चाहिए क्योंकि यह धर्मस्थल उपासना अधिनियम (Places of Worship Act) से संबंधित नहीं है।
बता दें कि, कमाल मौला वेलफेयर सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट में भोजशाला को लेकर याचिका दायर की थी। अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सर्वे जरी रखे जाने का आदेश दिया था। एएसआई द्वारा सर्वे रिपोर्ट पेश की जा चुकी है हालांकि मामला अब भी लंबित है।
भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद परिसर के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने पर याचिकाकर्ता आशीष गोयल कहते हैं, "आज सुप्रीम कोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई होनी है। हमने मांग की है कि भोजशाला में एएसआई सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को हटाया जाए और एएसआई सर्वे के अनुसार भोजशाला का धार्मिक स्वरूप लागू किया जाए। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में लागू हुआ था लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। जैसा कि हमने देखा है, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मामले में इस एक्ट को लागू नहीं किया गया था, इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि इसे भोजशाला परिसर में भी लागू नहीं किया जाना चाहिए।"
भोजशाला की ASI रिपोर्ट MP हाई कोर्ट में पेश कर दी गई थी। यह रिपोर्ट दो हजार से अधिक पन्नों की है। इसमें 98 दिन तक चले सर्वे का पूरा खाका है। इस रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि, भोजशाला वाग्देवी का प्राचीन मंदिर है या कलाम मौला मस्जिद। रिपोर्ट में क्या कुछ है इसे मीडिया के साथ साझा न करने का निर्देश दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार भोजशाला के एएसआई सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां और मंदिर के अवशेष मिले हैं। इस आधार पर हिन्दू पक्ष दावा कर रहे हैं कि, अदालत द्वारा इसे राजा भोज द्वारा स्थापित वाग्देवी का प्राचीन मंदिर ही माना जाएगा। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है इसलिए ASI की रिपोर्ट में क्या कुछ खुलासा किया गया है इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।