पवार और ठाकरे की मुलाकात से महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां हुई तेज
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के आसार
मुंबई। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में विफल रही उद्धव सरकार की स्थिरता को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। पिछले दो दिनों में राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदले हैं। खासकर राकांपा प्रमुख शरद पवार का मातोश्री जाकर डेढ़ घंटे तक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत और फिर राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। कयासबाजी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर है तो सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र में कोरोना की विकराल स्थिति के चलते राज्य को सेना के हवाले किए जाने की भी चर्चा है। यह महज संयोग नहीं है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन के दौरान 36 दिनों तक इंतजार करने वाले शरद पवार तब मातोश्री नहीं गए लेकिन सोमवार रात अचानक वे मातोश्री पहुंचने को मजबूर हो गए। इससे पहले भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मिलकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। राज्य में बदले हुए राजनीतिक हालात से माना जा रहा है कि महाराष्ट्र फिर एक बार अनिश्चितता की स्थिति में जाता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर 'मातोश्री पर हुई 'गुप्त बैठक की चर्चा के बाद देशभर की निगाहें अब महाराष्ट्र पर केंद्रित हो गईं हैं। राजनीतिक गलियारों में दो तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। एक तरफ कुछ लोग महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार के खतरे में होने की बात कर रहे, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग केंद्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र पर कड़ा फैसला लिए जाने की बात कर रहे हैं। राज्य में कोरोना वायरस ने जिस तीव्रता से पैर पसारे हैं, उससे स्थिति नियंत्रण के बाहर है। महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 53,000 के पार हो गई है।
शरद पवार और उद्धव ठाकरे की बैठक में शिवसेना मुखपत्र 'सामनाÓ के संपादक संजय राउत, प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। हालाँकि, पटेल ने बैठक के बाद दावा किया कि वो राज्यपाल के बुलावे पर आए थे और वहाँ किसी भी तरह की कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। जहां धुआं निकल रहा हो, ये कैसे संभव है कि वहां आग न लगी हो। आखिर बिना किसी कारण पवार और पटेल राज्यपाल से मिलने क्यों जाएंगे? पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल उद्धव सरकार पर राज्य में बिगड़ते हालातों को लेकर लगातार हमला करते आ रहे थे। सरकार और राजभवन के बीच लगभग हर मुद्दे पर टकराव भी देखा जा रहा था।
उधर, सोशल मीडिया पर भी महाराष्ट्र पर तरह-तरह की अफवाहें हैं। कुछ लोग इस घटनाक्रम को राज्य में देवेंद्र फडणवीस की वापसी के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि शिवसेना अपने अंदाज में सरकार की स्थिरता पर बार-बार सफाई दे रही है। संजय राउत ने हा है कि जिस तरह कोरोना की वैक्सीन नहीं आई है, उसी तरह उद्धव सरकार को गिराने का तोड़ भी विपक्ष के पास नहीं है।