गढ़चिरौली में नक्सलियों का टूटा मनोबल: हार्डकोर महिला नक्सलियों ने किया सरेंडर, अब तक 600 से ज्यादा ने किया आत्मसमर्पण

Update: 2025-01-09 08:27 GMT

2 Hrdcore Women Naxalites with Reward of 10 Lakhs Surrendered : महाराष्ट्र। गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सली संगठन कमजोर पड़ने लगे हैं। हाल ही में गढ़चिरौली जिले में दो महिला नक्सलियों ने संगठन से सरेंडर किया है। यह दोनों महिला नक्सली पिछले कई सालों से माओवादी संगठन का हिस्सा रही थीं और इनके ऊपर सरकार ने 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। इसके साथ ही सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या 693 हो गई है।

नक्सलियों के सरेंडर से माओवादी संगठन में हड़कंप

गढ़चिरौली पुलिस ने जानकारी दी कि शामल जुरु उर्फ लीला और काजल मंगरु उर्फ लिम्मी ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह दोनों महिला नक्सली संगठन के लंबे समय से सक्रिय सदस्य थीं और कई नक्सली घटनाओं में उनका हाथ था। इन दोनों पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जिससे उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे।

नक्सलियों के संगठन छोड़ने की वजह

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों की बढ़ती संख्या के मुकाबले सुरक्षा बलों की कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। इस दबाव के कारण नक्सली संगठन के कई सदस्य संगठन छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। सरेंडर करने वाले महिला नक्सलियों ने बताया कि संगठन में बढ़ती मनमानी और निराशा की वजह से उन्होंने माओवादी गतिविधियों से बाहर निकलने का फैसला लिया। इनका कहना था कि यदि यही स्थिति रही, तो भविष्य में और नक्सली भी संगठन छोड़ सकते हैं।

पुलिस और सुरक्षा बलों की सफलता

पुलिस का कहना है कि गढ़चिरौली में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है और आत्मसमर्पण की घटनाएं इसका प्रमाण हैं। इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए अभियानों से नक्सली संगठन की जड़ें अब धीरे-धीरे उखड़ रही हैं। इससे पहले भी गढ़चिरौली में एक सीनियर महिला नक्सली ने मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण किया था, जो माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका था।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ रही पुलिस की सफलता

गढ़चिरौली में नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे अभियान में यह सरेंडर एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह घटनाएं न केवल पुलिस के लिए बल्कि राज्य सरकार के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत हैं कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

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