BREAKING: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के बयान पर SC ने लिया संज्ञान, कठमुल्ला जैसे शब्द किए थे प्रयोग
उत्तरप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लिया है। जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय से विवरण और विवरण मंगवाए गए हैं तथा मामला विचाराधीन है।
बीते रविवार को वीएचपी के कार्यक्रम में न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने विवादित बयान दिया था। उनके बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। अल्पसंख्यक समुदाय और हिन्दू धर्म को लेकर शेखर कुमार यादव ने जो कहा था उसे लेकर आपत्ति जताई गई थी।
इलाहबाद हाई कोर्ट के जज ने क्या कहा था -
"हमारे शास्त्रों और वेदों में जिन महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, उनका कोई अपमान नहीं कर सकता। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अपने बयान में कहा कि किसी को भी चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लोग सोचते हैं कि हमें तीन तलाक कहने और महिलाओं को गुजारा भत्ता न देने का अधिकार है। यह अधिकार काम नहीं करेगा। उन्होंने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता ऐसी चीज नहीं है जिसकी वकालत वीएचपी, आरएसएस या हिंदू धर्म करता है। देश का सर्वोच्च न्यायालय भी इस बारे में बात करता है।"
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने यह भी कहा कि, "मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह देश भारत में बहुसंख्यकों के अनुसार ही चलेगा। दरअसल कानून भी बहुसंख्यकों के अनुसार ही काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें।"
हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने टिप्पणी की थी कि, "जो लोग 'कठमुल्ला' हैं... शब्द गलत है, लेकिन मुझे इसे कहने में कोई झिझक नहीं है। क्योंकि वे देश के लिए हानिकारक हैं। वे लोग हैं जो झड़पों को भड़काते हैं और जनता को भड़काते हैं। देश आगे न बढे इस तरह के लोग हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है।"