हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मेरिट हाई स्कूल और बारहवीं की योग्यता पर तैयार होनी चाहिए…
भदोही की चांदनी पांडेय की याचिका पर कोर्ट का आदेश, पीजी डिग्री अपलोड नहीं करने पर आवेदन हुआ था निरस्त;

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद के स्नातक या परास्नातक अनिवार्य नहीं है। आंगनबाड़ी के लिए मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता यानी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के आधार पर तैयार की जानी चाहिए न कि स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने भदोही की चांदनी पांडेय की याचिका पर दिया।
चांदनी पांडेय ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन किया था। इस दौरान तकनीकी कारणों से वह स्नातकोत्तर डिग्री प्रमाण पत्र को आवेदन पत्र के साथ अपलोड नहीं कर पाई थी। उनके आवदेन को इसी आधार पर अस्वीकार कर दिया गया। इसके विरोध में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की कि उनके चयन पर विचार किया जाए और स्नातकोत्तर की डिग्री प्रस्तुत करने का मौका दिया जाए।
याचिकाकर्ता के वकील ने 21 मार्च 2023 के सरकारी आदेश के क्लॉज 7 को प्रस्तुत कर न्यायालय को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका के पदों की मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता या समकक्ष योग्यता के आधार पर तैयार की जाएगी। अधिकतम शैक्षणिक योग्यता स्नातकोत्तर मानी जाएगी। इस पर न्यायालय ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर योग्यता को वरीयता प्राप्त योग्यता के रूप में नहीं माना जा सकता है, जब तक कि इसके लिए कोई विशेष प्रावधान न हो। स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर मेरिट सूची तैयार करने का प्रावधान केवल निदेशक प्रकृति का है।
प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे न्यूनतम निर्धारित योग्यता के अनुसार मेरिट सूची तैयार करें और विज्ञापन के अनुसार हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की योग्यता के आधार पर अंक आवंटित करें, न कि स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर। क्योंकि प्रासंगिक सरकारी आदेश में इन्हें कोई वरीयता प्राप्त योग्यता नहीं माना गया है।
अदालत ने यह फैसला दिया कि याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं की जा सकती कि वह स्नातकोत्तर डिग्री प्रस्तुत करने में असमर्थ रही। इसके अलावा, उसे किसी ऐसे उम्मीदवार से नीचे नहीं रखा जा सकता, जिसने स्नातकोत्तर डिग्री प्रस्तुत की हो। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की मेरिट उसकी आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में सेवा और/या हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट के अंकों के आधार पर तय की जानी चाहिए।