प्रो. नीलिमा गुप्ता। हमारे देश का प्राचीन नाम भारत है। भारत का शाब्दिक अर्थ होता है ज्ञान में रत (प्रवृत)। “भारत” “भारतवर्ष” का संक्षिप्त रूप है जिसका उपयोग स्थानीय धर्मों के साहित्य में व्यापक रूप से किया जाता है।
“भारतवर्ष” शब्द “भारत” नमक वैदिक जनजाति के नाम से लिया गया है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में आर्यावर्त के प्रमुख लोगों में से एक के रूप में किया गया है। 1949 में संविधान सभा द्वारा भारत गणराज्य के आधिकारिक नाम के रूप में अपनाया गया था। यह शब्द हमारे इतिहास और संस्कृति से जुड़ा हुआ है।
भारत नाम प्रयोग करते ही हम भारत वासियों में ज्ञान के सागर का देश होने का बोध होता है। परन्तु कुछ लोग इसे इंडिया अथवा हिंदुस्तान के नाम से भी पुकारते हैं। भारत की एकता और अखंडता को यदि हमें प्रतिबिंबित करना है तो “एक राष्ट्र, एक नाम, भारत” से ही पुकारना चाहिए। यह हमें याद दिलाता है कि भारत एक विविध और बहुसांस्कृतिक देश होने के साथ ही, हम सभी एक ही राष्ट्र के नागरिक हैं।
एक नाम, “भारत” हमें स्मरण दिलाता है कि भारत एक एकल और अखंड राष्ट्र है जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों के लोग रहते हैं। यह विचार हमें अपने राष्ट्र के गौरव और समृद्धि की याद दिलाता है और हमें सामाजिक संरक्षण और एकता की ओर बढ़ने के लिए, प्रेरित करता है।
“एक राष्ट्र एक नाम भारत” के संकल्प को लेकर हमें राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए। हमें राष्ट्रीय गौरव, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लोगों को राष्ट्रीय अखंडता के महत्व के बारे में बताना चाहिए।
हमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों के बीच एकता और समझ को बढ़ावा देना चाहिए, राष्ट्रीय त्योहारों जैसे कि स्वतंत्रता दिवस और गणत्रंत दिवस का आयोजन करना चाहिए ताकि लोग राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व को समझ सकें।
हमें मीडिया का उपयोग करके राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के बारे में लोगों को अवगत कराना चाहिए तभी हम सही मायने में भारत के नाम को सार्थक कर सकेंगे।
एक नाम से बुलाने से राष्ट्र की पहचान और सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा, यह विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों के लोगों को एक साथ लाने में मदद करता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।
यह राष्ट्र को विश्व स्तर पर एक मजबूत और एकीकृत इकाई के रूप में प्रस्तुत करता है। एक नाम से बुलाने से विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों के लोगों को एक साथ लाने में मदद मिलती है, विभिन्न समुदायों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है, राष्ट्रीय गौरव, गर्व और आत्मसम्मान में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, यह राष्ट्र को विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली इकाई के रूप में भी प्रस्तुत करता है।
यदि हमें एकता का प्रतीक बनना है तो हमे जागना होगा और देश की जनता को भी जगाना होगा। ऐसा करने के लिए हम सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर, हस्ताक्षर अभियान चलाकर, संगोष्ठियां, परिचर्चा का आयोजन करके, सब को एकजुट होकर व्यापक रूप से ‘भारत’ को प्रचलित लेने का संकल्प लेना होगा। हमारी सभ्यता, एकता और परंपरा का प्रतीक है ‘भारत’।