अतुल सुभाष आत्महत्या केस: मर्द को दर्द नहीं होता...पुरुषों पर होने वाले अत्याचार पर कब होगी बात

Update: 2024-12-11 07:42 GMT

अतुल सुभाष आत्महत्या केस 

अतुल सुभाष आत्महत्या केस : अब मेरे चले जाने के बाद, लूटने के लिए कोई पैसा नहीं बचेगा और मुझे उम्मीद है कि वे मामले के तथ्यों को देखना शुरू कर देंगे। किसी दिन, तुम्हें अपनी माँ और उसके लालची परिवार का असली चेहरा पता चल जाएगा। मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे तुम्हें और तुम्हारी आत्मा को न खा जाएँ। मैं अक्सर हँसता हूँ जब मुझे याद आता है कि जब तुम कॉलेज गए थे तब मैंने कार के लिए पैसे बचाना शुरू किया था। मैं मूर्ख हूँ। यह हमेशा याद रखो कि तुम किसी के प्रति कुछ भी ऋणी नहीं हो। समाज पर भरोसा मत करो। सिस्टम पर भरोसा मत करो। दोनों - समाज और सिस्टम तुम्हें खा लेना चाहते हैं। अगर मेरा खून तुममें है, तो तुम जीओगे, प्यार करोगे और पूरे दिल से लड़ोगे और सुंदर चीजें बनाओगे और अपने दिमाग से समस्याओं को खत्म करोगे। मैं जिस आत्मविश्वास और गर्व के साथ जीता हूँ, उसी के साथ तुम जीवन जियो। मैं समाजवादी या साम्यवादी जोंक न बनो जो भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा रूप है यानी आत्मा का भ्रष्टाचार। अलविदा मेरे बेटे!

ये शब्द उस पिता के हैं जो अपने बेटे को छोड़कर इस दुनिया से दूर जा चुका है। 24 पन्नों के सुसाइड लेटर के एक एक शब्द में वो भावनाएं हैं जो एक पिता जीतेजी अपने ही बच्चे को नहीं समझा सका क्योंकि वो बच्चा अभी सुसाइड का मतलब भी नहीं समझता होगा। यहां बात हो रही है AI इंजीनियर अतुल सुभाष की।

अक्सर हम महिलाओं के हक में बातें करते - करते पुरुषों को भूल जाते हैं। हम ये भूल जाते हैं कि उनकी भी भावनाएं हैं। उदारवाद की थालियां पीटने वाले पुरुषों पर होने वाले अत्याचार के विषय पर चुप्पी साध लेते हैं मानों उन्होंने कुछ सुना ही न हो लेकिन कल्पनाओं की दुनिया से दूर असल दुनिया में पुरुष भी  घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का उतना ही शिकार हैं जितना कि महिलाएं।

पहले अतुल सुभाष की कहनी जानिए  :

जौनपुर के रहने वाले अतुल सुभाष (34) कर्नाटक के बेंगलुरू में इंजीनियर थे। पत्नी से प्रताड़ित होकर अतुल ने मराठाहल्ली इलाके में स्थित अपने घर में फांसी लगा ली। अतुल की शादी साल 2019 में जौनपुर की ही रहने वाली निकिता सिंघानिया से हुई थी। शादी के शुरूआती दिनों में तो सबकुछ ठीक रहा है लेकिन, कुछ दिनों बाद ही निकिता बेंगलुरू से जौनपुर वापस आ गई। इसके बाद पत्नी और ससुराल वालों ने अतुल पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का केस कर दिया।

दो साल में 120 तारीखें :

अतुल ने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया है, जिसमें उसने बताया कि किस तरह निकिता, उसकी सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघानिया और चचेरे ससुर ने उससे पैसे ऐेंठने के लिए साजिश रची। उन्होंने उसे और उसके परिवार को झूठे केस में फंसाया। दो सालों में अब तक कोर्ट में 120 तारीखें लग चुकी है, जिनमें से वो 40 बार खुद बेंगलुरू से जौनपुर पेशी के लिए जाता रहा। इसके अलावा उसके माता - पिता को भी कोर्ट कचहरी के  चक्कर काटने पड़े।

पत्नी ने 3 करोड़ मांगा गुजारा भत्ता:

निकिता ने अतुल और उसके माता-पिता व भाई पर हत्या की कोशिश, अननेचुरल सेक्स (unnatural sex) , घरेलू हिंसा और दहेज लेने जैसे आरोप लगाए थे। इन आरोपों में ऐसी धाराएं हैं कि बेल मिलना तक मुश्किल है। पत्नी ने 3 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता मांगा। आरोप है कि अतुल को उसके बच्चे का चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। वीडियो में अतुल ने बच्चे को उसके माता-पिता और भाई को सौंपने की माँग की है। ताकि वो उसे अच्छी परवरिश दे सकें। इसी बच्चे के नाम अतुल ने ये लेटर भी लिखा है।

सिस्टम पर उठा दिए कई सवाल:

अतुल ने आरोप लगाया कि जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक ने केस निपटाने के लिए 5 लाख मांगे, लेकिन जब उसने घूस नहीं दी तो फैमिली कोर्ट की जज ने 2 साल की बेटी के लिए 40,000 प्रति माह भरण पोषण का आदेश पारित कर दिया। अतुल ने जब जज के सामने पत्नी पर उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया तो जज भी हंस पड़ी।

अतुल ने कहा कि उसने अपनी पत्नी को उसके परिवार की मदद के लिए लाखों रुपए दिए। अतुल ने कहा था कि, शादी के कुछ समय बाद ही निकिता के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी लेकिन, उसके परिवारवालों ने शिकायत दर्ज कराई कि दहेज की मांगने की वजह से उसके पिता की मौत हुई और उसके परिवार पर दस लाख रुपये दहेज मांगने का आरोप लगाया।

अतुल सुभाष आत्महत्या मामला कई सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि, क्या न्याय व्यवस्था जेंडर न्यूट्रल है? क्या यह भ्रष्टाचार मुक्त है? अतुल आत्महत्या कर चुका है और अब उसकी पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हो गया है।

आत्महत्या के मामलों में वृद्धि, पुरुष ज्यादा पीड़ित :

आत्महत्या के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। लेटेस्ट डाटा के अनुसार 1,70,924 आत्महत्याएं रिपोर्ट हुई हैं। जो कि, पिछले साल की तुलना में 4.2% ज्यादा है।

इनमें से 31.7% केस पारिवारिक समस्या (विवाह-संबंधी समस्याओं के अलावा) के हैं। जबकि विवाह संबंधी समस्या के 4.8% केस हैं।

आत्महत्या पीड़ितों का कुल पुरुष-से-महिला अनुपात 71.8: 28.2 था। इससे सिद्ध होता है कि, पुरुष महिलाओं से अधिक आत्महत्या करते हैं।

इस पूरे मामले को समझने के बाद हमें इस बात को जान लेना चाहिए कि, पुरुष भी हिंसा का शिकार होते हैं। भले ही वे भावनात्मक ही क्यों न हो। न्याय व्यवस्था और फैमिली कोर्ट को वर्तमान स्थिति को देखते हुए और भी अधिक व्यावहारिक होने की आवश्यकता है। जिससे कि ऐसे मामले रोके जा सके।

पुरानी सोच छोड़ आगे बढ़ने की जरूरत :

मर्द को दर्द नहीं होता - ये डायलॉग हम अक्सर सुनते हैं लेकिन अब समय आ गया है कि इस बात को सभी स्वीकार करें कि हर मनुष्य को दर्द होता है। चाहे वो पुरुष हो स्त्री हो या थर्ड जेंडर। न्याय व्यवस्था का महिलाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना बेहद आवश्यक है लेकिन इसके लिए पुरुषों पर हो रहे अत्याचार से मुंह नहीं फेरा जा 

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