चाइल्डलाइन 1098 हुआ 112 के साथ एकीकृत, एनजीओ को दिखाया बाहर का रास्ता
- देश के 640 जिलों में सरकारी नियंत्रण में चलेगा 1098
- ( डॉ अजय खेमरिया)
नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने बच्चों की सहायता के लिए संचालित देशव्यापी हेल्पलाइन 1098 के क्रियान्वयन में बड़े बदलाव कर दिए है।चाइल्ड लाइन से अब एनजीओज को बाहर कर दिया गया है और इसके क्रियान्वयन की जबाबदेही राज्य सरकारों के महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दी है। अभी तक 1098 का काम मुंबई की एनजीओ सीआईएफ यानी चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा किया जाता रहा है।केंद्र सरकार इस देशव्यापी नेटवर्क के लिए इस मदर एनजीओ को धन राशि उपलब्ध कराती रही है।केंद्रीय महिला बाल विकास विभाग की संयुक्त सचिव इंद्रा मालो ने इस नई व्यवस्था की गाइडलाइंस कल जारी कर दी है।खासबात यह है कि चाइल्डलाइन नंबर को गृह मंत्रालय के साथ राष्ट्रव्यापी टोल फ्री नंबर 112 के साथ संयुक्त किया गया है।112 भारत सरकार द्वारा विविध आपातकालीन सेवाओं के लिए पहले से ही संचालित है।
राज्यों की राजधानी में खुलेगा कमांड ऑफिस:
नए मानक परिचालन प्रावधानों के मुताबिक प्रत्येक राज्य में महिला बाल विकास के अधीन एक राज्य कार्यालय होगा जहां से सबंधित राज्य का पूरा चाइल्डलाइन नेटवर्क नियंत्रित औऱ निर्देशित होगा।इसके लिए केंद्र सरकार 1 करोड़ 3 लाख 60 हजार की राशि उपलब्ध करायेगी।राज्य कार्यालय में एक प्रशासक 12 से 18 कॉल ऑपरेटर,01 आई टी सुपरवाइजर,03 मल्टीपरपज़ स्टाफ एवं 03 सुरक्षा गार्ड का स्टाफ स्वीकृत किया गया है।इस स्टाफ को सालाना69 लाख की राशि वेतन एवं अन्य खर्चों के लिए दी जायेगी।फिलहाल की व्यवस्था में देश भर का चाइल्डलाइन मुख्यालय मुंबई में चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन से संचालित था।
हर जिला मुख्यालय पर एक यूनिट:
मुंबई से नियंत्रित 1098 चाइल्ड लाइन अभी हर जिले में पार्टनर एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रहा था अब इन एनजीओज को हटाकर इसकी कमान जिला बाल कल्याण अधिकारी को सौंप दी गईं हैं।कलेक्टर के अधीन चाइल्ड हैल्पलाइन सरकारी नियंत्रण में काम करेगी।जिला महिला बाल विकास अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करेंगे।हर जिले में 8 से 10 लोगों का स्टाफ होगा।जिला इकाई के कर्मचारियों के वेतन पर केंद्र से 20 लाख 88 हजार की राशि हर साल दी जायेगी।जिला इकाई के गठन हेतु सरकार करीब 35 लाख की एक मुश्त राशि भी उपलब्ध कराने जा रही है।देश के सभी 640 जिलों में इस योजना को लागू कर दिया गया।
सीआईएफ की कार्यप्रणाली पर सवाल..
1098 सुविधा के लिए भारत सरकार ने मुंबई के सीआईएफ एनजीओ को मदर एनजीओ के रूप में चयनित किया था।सीआईएफ में पार्टनर एनजीओज का नेटवर्क बनाकर हर जिले में इसे चलाया लेकिन मिशन वात्सल्य की नई योजना में 1098 की जिम्मेदारी सरकार ने अपने हाथों में ले ली।इसके अलावा पार्टनर एनजीओज के चयन में भी सीआईएफ पर आरोप लगे उसने ऐसे एनजीओज को यह काम दिया जिनके संबंध मिशनरीज औऱ सन्दिग्ध संगठनों से रहे हैं।
एनसीपीसीआर अध्यक्ष की रही महत्वपूर्ण भूमिका:
मिशन वात्सल्य में चाइल्ड हेल्पलाइन की नई व्यवस्था और सन्दिग्ध संगठनों को बाहर करने में एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की भूमिका खासी महत्वपूर्ण रही उन्होंने कोविड के दौरान सीआईएफ द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को चुनौती दी साथ ही यूनिसेफ,सीआईएफ औऱ मिशनरीज के गठजोड़ को भी प्रमाणिकता से उजागर किया।
सब कुछ पुराना बस नियंत्रण बदला है:
इस नई व्यवस्था के विरोध में आन्दोलनजीवी सक्रिय हो गए है लेकिन बुनियादी रूप से व्यवस्था में कोई बदलाव नही किया गया बस 1098 को 112 नंबर के साथ एकीकृत किया है।जेजे एक्ट के तहत परिभाषित बालकों की समस्या,संकट और संरक्षण से जुड़े फोन कॉल्स वैसे ही काम करेंगे।अंतर यह है कि अब मुंबई के स्थान पर हर राज्य की राजधानी से यह नियंत्रण में रहेगा।टोल फ्री एवं आई टी से जुड़े मामले भारत सरकार के सी डेक संस्थान द्वारा देखे जायेंगे।
कर्मचारियों के वेतन बढ़ाये गए
नई व्यवस्था में संविदा/आउटसोर्सिंग से सभी कर्मचारियों की भर्ती की जायेगी और मौजूदा वेतन की तुलना में लगभग दोगुना वेतन चाइल्ड हैल्पलाइन के कर्मचारियों को प्रस्तावित किया गया है।कर्मचारियों की भर्ती के लिए भी आवश्यक अहर्ता निर्धारित कर दी गईं हैं।