एकात्म धाम :भारत को भारत की आंख से देखने का स्वप्न

पुण्य पर्वत मांधाता पर आज एक नए लोक का निर्माण हो रहा है।

Update: 2023-05-05 17:46 GMT

ओंकारेश्वर/वेब डेस्क। यह सुखद संयोग ही है कि बुद्ध की जयंती पर आज अद्वैत दर्शन के प्रणेता शंकर के दर्शन का अभिनव प्राग्तिकरण ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर की पुण्य भूमि पर आज हुआ।अद्वैत लोक के स्वप्न को साकार होते देख आज यहां एक नई चेतना की अनुभूति हुई।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विषय में जूना पीठाधीश्वर के पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी कहते हैं कि शिवराज सिंह के कार्य आनी वाली कई पीढ़ियों तक याद किए जाएंगे।और यह सच भी है कि ओंकारेश्वर में आकार ले रहा एकात्म धाम सिर्फ भव्य मठ मंदिर नहीं है,यह भारतीय चेतना का जयघोष है।स्वामी चिदानंद सरस्वती परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश के शब्दों में एकात्म धाम भारत को भारत की आंख से देखने का एक प्रयास है।


लगभग पांच वर्ष पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एक स्वप्न देखते हैं कि जिस स्थान पर शंकर को गुरु मिले उस स्थान को विश्व के आध्यात्मिक जगत में स्थापित किया जाए। शिवराज सिंह इस स्वप्न को लेकर संत चरण से आशीर्वाद लेने जाते हैं और जागती आंखों का यह सपना आकार लेने लगता है ।प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों में एकात्म यात्रा निकलती हैं और तय किया जाता है कि वहां की पवित्र मिट्टी से एकात्म धाम आकार लेगा।पुण्य पर्वत मांधाता पर आज एक नए लोक का निर्माण हो रहा है।इस धाम में शंकर के दर्शन को प्रगट किया गया है ।एक अनुसंधान केंद्र बन रहा है । 108 फीट ऊंची शंकर की प्रतिमा लग रही है। यही नहीं प्रकृति से एक तादम्य बनाने के लिए अद्वैत वन भी। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने देश के प्रमुख संत, विद्वान विचारक, मनीषी, लेखक एवम पत्रकारों के साथ टीम शंकर के समस्त सहयोगियों को एक साथ विमर्श किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से पूज्य आनंदमूर्ति गुरु मां ऋषि चैतन्य ट्रस्ट सोनीपत, श्री कमलेश पटेल दाज़ी प्रमुख रामचंद्र मिशन हैदराबाद, श्री चिन्मय पांड्या गायत्री परिवार हरिद्वार एवम प्रसिद्ध रचनाकार मनोज मुंतशिर।भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संपूर्ण परियोजना का प्रस्तुतिकरण हुआ ।यही नहीं कार्य स्थल पर एक एक प्रगति का सामूहिक मूल्यांकन भी किया।यह देश को एकात्म धाम से जोड़ने की एक ऐसी अभिनव पहल थी जिसे देख आमंत्रित विशिष्ट जन भी विस्मित थे।

सामूहिक स्वरों में सभी ने शिवराज सिंह के इन प्रयासों को आशीषित कर उन्हे आधुनिक युग का विक्रमादित्य और हर्षवर्धन बताया।साथ ही परिव्राजन अभियान में सक्रिय सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।

अभियान के तहत देश के श्रेष्ठ संत साल में एक बार एक विकास खंड में सनातन संस्कृति का प्रचार आम आदमी के बीच रह कर करेंगे ।

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