आपातकाल : अपनी कुर्सी बचाने इंदिरा गांधी ने मात्र 4 दिनों में कर दिया था ये खेल
वेबडेस्क। 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र काला दिन माना जाता है। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपना निर्वाचन रद्द होने के बाद इस्तीफा देने के स्थान पर देश को आपातकाल के अंधेरे में धकेल दिया था। इंदिरा गांधी ने सत्ता पर काबिज रहने के लिए हरसंभव प्रयास किए थे। उन्होंने जज पर दबाव डालने से लेकर न्यायपालिका को प्रलोभन देने तक, जे.पी. की पटना से दिल्ली की फ्लाइट रद्द कराने से लेकर और मीडिया के दमन तक सत्ता में रहने के लिए हर तरीका अपनाया।
दरअसल, इलाहबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का लोकसभा चुनाव भ्रष्ट तरीके अपनाने की बजह से अवैध घोषित किया। पद से त्याग देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के विरुद्ध याचिका लगाई। सुनवाई के लिए दिन तय हुआ 11 अगस्त 1975
सिलसिलेवार देखिए क्या हुआ था घटनाक्रम -
- 7 अगस्त 1975 - अपनी कुर्सी बचाने संविधान में संशोधन कर लोकसभा में विशेष बिल पारित कर किया।
- 8 अगस्त 1975 - अगले दिन यह संविधान संशोधन राज्यसभा से पारित करवाया।
- 9 अगस्त 1975 - देश की 17 राज्यों की विधानसभाओं में यह संविधान संशोधन पारित करवाया।
- 10 अगस्त 1975 - रविवार को राष्ट्रपति से संविधान संशोधन मंजूर करवाया। गजट नोटिफिकेशन जारी कर प्रधानमंत्री के विरुद्ध किसी भी प्रकार की सुनवाई करने का न्यायालयों का अधिकार छीन लिया गया।
- 11 अगस्त 1975 - जिस दिन श्रीमती इंदिरा गांधी की चुनाव याचिका की सुनवाई होनी थी वह एक दिन पहले किये गए संविधान संशोधन के चलते निष्प्रभावी हो गई।
आपातकाल की तो यह एक झलक है। न्यायपालिका एवं लोकतंत्र के लिए कांग्रेस के दिल में कितनी आस्था व सम्मान है यह उसका उदाहरण है। आखिर में अपनी मनमानी करने के बाद 19 दिसंबर 1978 को इंदिरा गांधी लोकसभा से बर्खास्त हो गई।