प्रधानमंत्री मोदी से पिंड छुड़ाने हेतु तालिबान को पीले चावल देने की फिराक में

अफगानिस्तान के हालातों से उपजे समीकरणों पर बेबाक रपट

Update: 2021-08-19 07:23 GMT

वेबडेस्क। अफगानिस्तान के सिंहासन पर 20 साल बाद फिर से तालिबानियों के काबिज होते ही उनकी हैवानियत,बर्बरता का तांडव निरीह निर्दोषों,महिलाओं,नाबालिक बालिकाओं पर रूह कपा देने वाला कहर बरपा आंतक की नई दास्तान लिखी जा रही है। अमेरिका,फ्रांस,इंग्लैंड,जर्मनी,भारत सहित यूरोप, एशिया के अनेक देश पल पल बदल रहे हालातो पर पैनी निगाह रखे हुए है। काबुल एयरपोर्ट पर जमा हजारो की बेसब्र भीड़ की आहो ने अमेरिका को अपनी अमानवीय गलती का अहसास करवा दिया।40 हजार से ज्यादा अमेरिका समर्थकों को निकालने में अमेरिका को पसीना आ रहा है। प्लेनों में मुंबई की लोकल की तरह जान बचाने के लिए भेड बकरियों की तरह भराकर भागने मजबूर है। दूतावास खाली हो चुके है। बाजार, शिक्षण संस्थाए, सरकारी कार्यालय बन्द से है। व्यवसायिक गतिविधियां ठप्प। डर की वजह से लोग घरों से नही निकल रहे है। आटा, दाल,सब्जी आदि दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू,दम निकाले दे रहे है।


सड़को,गलियों पर तालिबानियों का कब्जा हो चुका है। वे अफगान समर्थकों को चुन चुन कर मार रहे है।तालिबान की खिलाफत करने वाले 04 आला अधिकारियों सरे आम फांसी पर चढ़ा दहशत ओर बढ़ा दी।गजनी,जलालाबाद,हेरात,गंधार,कंधार सहित अन्य सुबो,जिलों में हालात हिंसात्मक है। तालिबानी शरीयत ओर कुरान के नाम पर चाहे जिसकी गर्दन उड़ाने या गोली मारने में देर नही करते। स्कूल कालेजो, चेलनो पर ताले जड़वा दिए।अखबार छप नही सके रहे है। सोशल मीडिया और मोबाइल ही आपसी संवाद का अंतिम विकल्प बचा है।

तालिबानी की बर्बरता - 

तालिबानी की बर्बरता, जधन्यता,हैवानियत का सर्वाधिक नजला महिलाओं,नाबालिक बालिकाओं पर पड़ा।तालिबानी चाहे जिस महिला,बच्ची को घेर ले जाते। उनसे जबरजस्ती करते। आंतक ने विरोध का सवाल ही खत्म कर दिया। जड़े कमजोर होने और महिलाओं को दोयम दर्जे का मानने की पीड़ा महिलाए तालिबानियों के हाथों अपमानित होकर भुगत रही है। पुरुष अपनी जान बचाने के लिए नारी शक्ति को बेसहारा या बतौर चारा तालिबानियों के लिए छोड़ भाग लिए। भारत मे नारी शक्ति की मर्यादा की खातिर सनातनी कट मरे। वजह। भारत के संस्कार,ज्ञान, आचरण बहुत ज्यादा विराट,आत्मीय, संवेदनशील, कर्तव्य बोध से सजे, सवरे है।

भारत मे ही भविष्य - 

शायद इसी वजह से भारत मे पढ़ रही सेकड़ो अफगानी युवतियां अब तालिबान शासित अफगान जाने की बजाय भारत मे ही भविष्य सवारने की ठान चुकी है।वे अफगानिस्तान में फंसे अपने माँ बाप की मजबूरियां जानती। समझती है। वे अपने भाइयों की बजाय अपनी माँ बहन के लिए ज्यादा चिंतित लगती है। वे जानती है। तालिबान के लिए महिलाएँ मादा यानी भोग से ज्यादा नही है।तालिबानी महिलाओं से पाउच की तरह व्यवहार करते है।इसकी अनेक बर्बर,हैवानियत भरी मिसालें अफगान की गलियों, सड़को पर आज आम है।महिलाओं के सभी नैसर्गिक अधिकार गजनी के नीलाम चबूतरे की खूंटी पर टँगे देखे जा सकते है,बुर्का बस बुर्का।

यदि राष्ट्पति गनी मय माल असबाब के भागने की बजाय तालिबानियों सेलोहा लेते तो अफगानियों का मनोबल नही टूटता।उपराष्टपति ने सत्ता की कमाल बतौर निर्वासित सम्हाल प्राण फूंकने की कोशिश की है। सबसे हैरतंगेज।70 हजार नंगे,भूखे, गवार,तालिबानियों के सामने 03.50 लाख अफगानी सेना ने घुटने टेकने का है।विश्व मे ऐसी मिसाल दुर्लभ है।

तालिबान की हैवानियत का अभिनंदन - 

हैवानियत के संस्करण तालिबानियों के कुकर्मो,जल्लादपने की शान में स्पा सांसद शफीकुर रहमान बर्क सहित कुछ मुल्लाओं, मौलवियों सहित कुछ बुद्धिजीवियों ने जम कर कसीदे पढ़े। बर्क यही रुके। बल्कि तालिबान की हैवानियत का अभिनंदन करके भारत का माहौल खराब करने का प्रयास किया।टुकड़े टुकड़े गैंग की तरह आजादी चाहत उजागर कर बैठे।यानी बर्क का मंसूबा रहा होगा -आओ। भारत मे भी।दिलाओ काफिरों से मुक्ति।

बर्क तो अपना नापाक मंसूबा जाहिर करने की गलती कर बैठे। मगर भारत मे बर्क की तरह तालिबानियों को ठीक जयचंद,मीर जाफर की तरह पीले चावल देने वाली तगड़ी जमात है।कुछ मदरसों पर तालिबानी मानसिकता को खाद देने के आरोप लगते रहे है। इसी क्रम में pm मोदी से मुक्ति दिलाने की गुहार पाक से लगाने वाले मणिशंकर अय्यर, हामिद अंसारी,जावेद अख्तर आदि को रखा जा सकता है।

बर्क जैसे सेकड़ो जिहादियों,खाल में छुपे भेड़ियों को भारत मे बकवती होती राष्ट्रीयता, रोहिग्यो, बंगला देशी घुसपैठियों को भारत से खदेड़ने की चर्चा मात्र से दस्त लगने लगते है। रोहिग्यो और 08 करोड़ घुसपैठियों के ढाल बन या तरफदारी में आरएसएस की खिलाफत करते है। भगवा आंतकवाद का भोंपू बजाते है।

 देशद्रोह का मामला दर्ज - 

हालांकि उप्र सरकार ने बर्क की उड़ान वाले पर कतर देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया। दिलचस्प बर्क की अतिवादी हरकत को जायज ठहराने वाले कुछ पाखंडी बोलने की आजादी की दुहाई देने लगे।तालिबान कहा,किसी को बोलने या सोचने देता है। बर्क की हरकत को कम करके आंकना गलत होगा। बर्क तो एक प्यादा से ज्यादा नही लगता। असल सत्ता तो देवबंद,मेवात,बंगाल,केरल और महाराष्ट्र के औरंगाबाद से संचालित होती है। तालिबानी मानसिकता को अफगान की आजादी का गला घोंटने से ज्यादा फिक्र भारत मे तालिबान को घी पिलाने की है। ताकि 09 सो साल राज करने के सपने को परवान चढ़ाया जा सके।साकार किया जा सके।

 मानसिकता ओर प्रवत्तियों

खतरनाक मानसिकता ओर प्रवत्तियों वाली जमात के संस्करण भारत के हर कस्बे,नगर में हो सकते है।इन पर निगाह रखने में चूक भारी पड़ सकती है। अफगानियों ने अमेरिका में प्रदर्शन करके तालिबान की मुश्के कसने की अपील की है।फ्रांस,जर्मनी,इंग्लैंड भी अफगानिस्तान के नाजुक हालातो पर निगाह रखे हुए है। विश्व जनता है। तालिबान को अमृत सेवन कराने के नतीजे बहुत भयानक ओर दुखदायी हो सकते है। नतीजन विश्व बिरादरी कोई बड़ा अंजाम देने के मिशन पर काम करती लगती है।कोई बड़ा ही मानवता की रक्षा कर सकता है। अफगानी नारी शक्ति को न्याय दिला सकता है। बचपन को चहकने का मौका दे सकता है।

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