इजरायल पहुंचे जयशंकर, लिखी जाएगी संबंधों की नई इबारत

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

Update: 2021-10-18 17:06 GMT

इजरायल और भारत के बीच रिश्ते अब नए दौर में पहुंच चुके हैं। भारत और इजरायल के बदलते संबंधों और समीकरणों में पिछले कुछ सालों में दिलचस्प बदलाव आया है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के निमंत्रण पर वर्ष 2017 में चार से छह जुलाई के बीच इजराइल की यात्रा की थी। सच पूछा जाए तो एक भारतीय प्रधानमंत्री की इजराइल की इस अब तक की पहली ऐतिहासिक यात्रा ने उनके लोगों के बीच की स्थायी मित्रता को मजबूती प्रदान की और द्विपक्षीय संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी के उच्च स्तर पर स्थापित कर दिया।

दरअसल, इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव भारत ने वर्ष 2019 में इजराइल पर तब छोड़ा जब पहली बार इजरायल के समर्थन में यूएन में उसने मतदान किया। उसके बाद से लगातार भारत-इजराइल संबंधों की प्रगाढ़ता तेजी के साथ बढ़ते हुए देखी गई है। अब आगे इस दिशा में नई इबारत लिखने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर रविवार को तीन दिवसीय यात्रा पर इजरायल पहुंचे हैं। वह यहां पर इन तीनों के प्रवास के दौरान इजरायल के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करने के साथ ही नए तकनीकि प्रयोगों और वैज्ञानिक अनुसंधान आधारित दो देशों के बीच के साझा प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हम सभी को दिखाई देंगे।

दरअसल, विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर का यह पहला इजरायली दौरा है। इजरायल पहुंचने के बाद मंत्री ने ट्विटर पर लिखा, 'शालोम इजरायल! एक महान यात्रा की प्रतीक्षा के साथ विदेश मंत्री के रूप में इजरायल की यह मेरी पहली यात्रा है।'

देखा जाए तो जुलाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इजरायल की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और इजरायल ने द्विपक्षीय संबंधों को एक रणनीतिक साझेदारी के रूप आगे बढ़ाया था।

उस समय विकास के लिए भारत और इजराइल "जल और कृषि में सामरिक साझेदारी" स्थापित करने पर सहमत हुए। यह जल संरक्षण, अपशिष्ट जल प्रशोधन एवं इसका कृषि में पुन: उपयोग, अलवणीकरण, जल उपयोगिता सुधारों तथा उन्नत जल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए गंगा और अन्य नदियों की सफाई पर अपना ध्यान केन्द्रित करने को लेकर था। इसमें कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से जुड़े व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक व्यापार प्रतिरूप को बढ़ावा देने के लिए इजरायल के विदेश मंत्रालय (मशाव) और भारत के कृषि मंत्रालय के नेतृत्व के तहत मौजूदा उत्कृष्टता के केंद्र (सीओई) का सुदृढ़ीकरण और विस्तार; गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री का प्रावधान; और पीपीपी, बी2बी और अन्य प्रतिरूपों के माध्यम से निजी क्षेत्र को शामिल करके फसल कटनी पश्चात् तकनीकी ज्ञान और बाजार संबंधों का स्थानांतरण भी शामिल थे। दोनों नेताओं ने इस भागीदारी को संचालित करने के लिए एक संयुक्त कार्यदल की स्थापना पर भी सहमति व्यक्त की थी।

साथ ही लघु उपग्रहों के लिए विद्युत प्रणोदन में सहयोग के संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और इजरायल अंतरिक्ष एजेंसी (आईएसए) के बीच समझौता ज्ञापन। भारत-इजरायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार निधि (आई4एफ) की स्थापना के लिए भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और इजराइल के राष्ट्रीय तकनीकी नवाचार प्राधिकरण, के बीच समझौता ज्ञापन। भारत में जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय अभियान पर भारत गणराज्य के पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय तथा इजराइल के राष्ट्रीय अवसंरचना, ऊर्जा और जल संसाधन मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन। परमाणु घड़ियों में सहयोग के संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और इजरायल अंतरिक्ष संस्था (आईएसए) के बीच सहयोग की योजना पर समझौता हुआ और उसके बाद दुनिया ने देखा कि कैसे यह दोनों देश कंधे से कंधा मिलाकर एक दूसरे को सहयोग देते हुए आगे बढ़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के छह माह बाद ही भारत की छह दिवसीय यात्रा पर इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आए, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। साथ ही महत्व की बात यह है कि राजधानी दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के बीच फिल्म, होम्योपथी और ऑल्टरनेटिव मेडिसिन के साथ नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। ऑयल एंड गैस सेक्टर, एयर ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट, साइबर सिक्योरिटी, फिल्म कोप्रोडक्शन, स्पेस में सहयोग, भारत और इजरायल में निवेश, मैटल बैटरीज, सोलर थर्मल तकनीक और रिसर्च इन होम्योपैथिक मेडिसिन जैसे मुद्दों पर विशेष समझौते हुए थे।

इसके बाद पिछले तीन सालों में दोनों देश आपसी सहयोग से तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। भारत के विदेशमंत्री जयशंकर के इस पहले इजरायली दौरे से पूर्व एक अच्छा काम इस साल दोनों देशों के बीच यह भी हुआ है कि 24 मई को भारत और इजराइल ने कृषि में सहयोग के लिए तीन साल की कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की पुष्टि करते हुए द्विपक्षीय संबंधों में कृषि और जल क्षेत्रों की प्रमुखता को मान्यता दी है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि कृषि क्षेत्र हमेशा भारत के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। भारत सरकार की कृषि नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र और किसानों के जीवन में एक निश्चित परिवर्तन आया है। किसानों की आय बढ़ाना प्रधानमंत्री मोदीजी का संकल्प है। वे कहते हैं कि भारत और इजरायल के बीच 1993 से कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध हैं। "अब तक, हमने चार कार्य योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह नयी कार्य योजना कृषि क्षेत्र में कृषक समुदाय के लाभ के लिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आपसी सहयोग को और मजबूत करेगा।इजरायली आधारित कार्य योजनाओं के तहत स्थापित ये उत्कृष्टता केंद्र किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत और इजरायल के बीच प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान से बागवानी की उत्पादकता और गुणवत्ता में काफी सुधार होगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।"

वास्तव में देखा जाए तो भारत-इजरायल कृषि कार्य योजना (आईआईएपी) के तहत स्थापित ये उत्कृष्टता केंद्र बागवानी क्षेत्र में परिवर्तन के केंद्र बन गए हैं। नयी कार्य योजना से अब भारत सरकार का ध्यान इन सीओई के आसपास के गांवों को बड़े पैमाने पर आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से उत्कृष्ट गांवों में बदलने पर है। इस अनुबंध के समय मौजूद भारत में इजरायल के राजदूत डॉ. रॉन मलका ने भी यही कहा कि "तीन साल की कार्य योजना (2021-2023) हमारी बढ़ती साझेदारी की शक्ति को प्रदर्शित करता है और उत्कृष्टता केंद्रों और उत्कृष्टता गांवों के माध्यम से स्थानीय किसानों को लाभान्वित करेगी।" कार्य योजना का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, सीओई की मूल्य श्रृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों और सहयोग को प्रोत्साहित करना होगा।

उल्लेखनीय है कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन-एमआईडीएच, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, और एमएएसएचएवी- अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग के लिए इज़राइल की एजेंसी - इज़राइल के सबसे बड़े जी2जी सहयोग का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें पूरे भारत के 12 राज्यों में 29 परिचालन केंद्र (सीओई) हैं, जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार इजरायली कृषि-प्रौद्योगिकी के साथ प्रगतिशील-सघन खेती-बाड़ी को लागू करते हैं। उत्कृष्टता केंद्र जानकारी प्रदान करते हैं, सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन करते हैं और किसानों को प्रशिक्षित करते हैं। हर साल, ये उत्कृष्टता केंद्र 25 मिलियन से अधिक गुणवत्ता वाली सब्जी के पौधे, 387 हजार से अधिक गुणवत्ता वाले फलों के पौधों का उत्पादन करते हैं और 1.2 लाख से अधिक किसानों को बागवानी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के बारे में प्रशिक्षित करते हैं।

जहां तक "भारत-इजरायल उत्कृष्टता गांव" का प्रश्न है, यह एक नई अवधारणा है जिसका लक्ष्य आठ राज्यों में कृषि में एक आदर्श पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें 75 गांवों में 13 उत्कृष्टता केंद्र शामिल हैं। यह कार्यक्रम किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देगा और उनकी आजीविका को बेहतर करेगा, पारंपरिक खेतों को आईआईएपी मानकों के आधार पर आधुनिक-प्रगतिशील कृषि क्षेत्र में बदल देगा। आर्थिक स्थिरता के साथ बड़े पैमाने पर और पूर्ण मूल्य श्रृंखला दृष्टिकोण, इजरायल की आधुनिक प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणाली के साथ अंतर्निहित स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप होगा। आईआईवीओई कार्यक्रम में: (1) आधुनिक कृषि अवसंरचना, (2) क्षमता निर्माण, (3) बाजार से जुड़ाव पर ध्यान दिया जाएगा।

अब इसके आगे की बात अपनी इस विदेश यात्रा के दौरान जयशंकर इजरायल के विदेश मंत्री यायर लैपिड के साथ द्विपक्षीय बैठक में करने वाले हैं। साथ ही इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग और प्रधान मंत्री नफ्ताली बेनेट से भी मुलाकात होगी। विदेश मंत्रालय के तय कार्यक्रम के अनुसार जयशंकर इजरायल में भारतीय मूल के यहूदी समुदाय, इंडोलॉजिस्ट, भारतीय छात्रों के साथ बातचीत भी करेंगे, जो वर्तमान में इजरायल के विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और हाई-टेक उद्योगों सहित व्यवसायी लोगों के साथ बातचीत करेंगे।

इसके साथ ही इस यात्रा का एक उद्देश्य यह भी दिखाई देता है कि भारत अपने हुतात्मा वीरों को विदेशी धरती पर भी याद करे। देश इस समय स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ ''अमृत महोत्सव'' के रूप में मना रहा है। जयशंकर की यह यात्रा उन बहादुर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का भी अवसर होगी, जिन्होंने इस क्षेत्र में विशेष रूप से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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