फिर सियासत हो रही है,
इक गुनहगार की मृत्यु पर।
मुठभेड़ में मारा गया जो,
क्या था अटल वह सत्य पर?
या थी बनी कोई योजना,
उस आत्मसर्पण के लिए?
मौजूद है जो पुलिस बल,
हर गुनाह के तर्पण के लिए।
अब बात उस पर थी बनी,
अन्याय से निराशा थी घनी।
फिर क्या गलत क्या सही,
क्या उनको बदले का हक नहीं?
प्रियंका कटारे 'परीराज'