वेबडेस्क। बिहार के फुलवारी शरीफ में झारखंड के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज को हाल ही में गिरफ्तार किया गया था।जलालुद्दीन पहले स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़ा था। इनसे प्राप्त दस्तावेजों में लिखा है, "भारत को इस्लामिक देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है जो सभी पीएफआई नेताओं द्वारा बनाया गया है। इस लक्ष्य के लिए पीएफआई कैडरों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को मार्गदर्शन करने के लिए तैयार किया गया है।"
मार्शल आर्ट के बहाने फिदायीन ट्रेंनिग -
जलालुद्दीन के मकान में स्थानीय लोगों को मार्शल आर्ट अथवा शारीरिक शिक्षा के नाम पर अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण देने एवं धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए उन्हें उकसाने की बात सामने आई है। यही बात उनसे प्राप्त दस्तावेजों में भी लिखी हुई है। पीएफआई दस्तावेज में लिखा है, "पार्टी सहित हमारे सभी फ्रंटल संगठनों को नए सदस्यों के विस्तार और भर्ती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हम अपने पीई विभाग में सदस्यों की भर्ती और ट्रेनिंग शुरू करेंगे, जिसमें उन्हें हमला करने और बचाव तकनीकों, तलवारों, छड़ों और अन्य हथियारों के इस्तेमाल पर ट्रेनिंग दी जाएगी।"
अजाक्स की तरह सरकारी मुलाज़िलों का संगठन
पीएफआई दस्तावेज में सरकारी विभागों में "वफादार मुसलमानों" की भर्ती कराने की योजना भी शामिल है। इनकी कार्यकारी और न्यायिक पदों के साथ-साथ पुलिस और सेना में "वफादार मुसलमानों" की भर्ती कराने की योजना है। दस्तावेज के अनुसार पीएफआई ने आरएसएस के खिलाफ भी योजना बनाई है। इसने आरएसएस को केवल "उच्च जाति वाले हिंदुओं" के कल्याण में रुचि रखने वाले संगठन के रूप में पेश करके "आरएसएस और एससी/एसटी/ओबीसी के बीच एक विभाजन" पैदा करने की योजना बनाई है।
तीन लाख बैंक खाते कुवैत और कतर से ऑपरेट
पीएफआई के फुलवारी शरीफ मॉड्यूल के खुलासे के बााद एनआईए की जांच में पीएफआई का एक और सच सामने आया। दावा है कि पीएफआई के तीन लाख फैमिली खाते हैं।इन खातों में फैमिली मेंटेनेस के नाम पर कतर कुवैत, बहरीन और सउदी अरब से मौटे तौर पर 500 करोड़ रुपये भेज गए। ये रकम मनी ट्रांसफर के जरिए अलग अलग खातों में भेजी जा रही थी। इन खातों में एक लाख पीएफआई के सदस्यों के नाम पर और दो लाख रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर खाते है। एनआईए की एंटी टैरर विंग जांच कर रही है कि इन खामों में आ रहे पैसों का उपयोग किन कामों के लिए किया जा रहा है।
विदेशी धन स्लीपर सेल एनजीओ और दलित, जनजाति संगठनों को -
जांच में सामने आया कि पीएफआई कट्टरता फैलाने वाले संगठनों को पैसा देता है। पीएफआई सरकार की नीतियों के खिलाफ खासकर मुस्लिम विरोधी नीतियों को लेकर आंदोलन के नाम पर भी पैसा खर्च करता है।जेलों में बंद मुस्लिमों की मदद के लिए भी खर्च की बात जांच में सामने आई।लेकिन एनआईए ये जांच कर रही है कि इस धन का उपयोग आतंकी गतिविधियों में तो नहीं हो रहा है। दरअसल ईडी ने इसी साल जून में मनी लॉन्ड्रिग का केस दर्ज कर पीएफआई और उसके सहयोगी संगठव रिहैब इंडिया फाउंडेशन के 33 बैंक खाते सीज किए थे।
झारखंड भी नया गढ़ बन रहा है -
झारखंड में बड़ी आबादी जनजातीय समाज की है और यहां मिशनरी संगठन भी दशकों से सक्रिय हैं ।झारखंड में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पीएफआई ने अपना नेटवर्क विदेशी सहायता प्राप्त संदिग्ध एनजीओ और ऐसे जनजातीय संगठनों के माध्यम से मजबूत करने पर काफी जोर दिया है, जिन्हें जनजातियों के नाम पर मिशनरीज से बड़ी धनराशि कल्याण और सशक्तिकरण के नाम पर प्राप्त हो रही है।
पीएफआई की सक्रियता पिछले कुछ सालों में यहां बेतहाशा बढ़ी है। यहां खनिज की चोरी से पीएफआई बड़ी कमाई कर रही है, इसके लिए सन्गठन ने बड़ा नेटवर्क तैयार किया है. केंद्रीय खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट से झारखंड में पीएफआई की बढ़ती ताकत का अंदाजा हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक बीते पंचायत चुनाव में पैसे और नेटवर्क के जरिए अपने संगठन से जुड़े 48 लोगों को पंचायत चुनाव में जितवाया और इतना ही नहीं जेल जाने वाले अपने बड़े नेता को जिला परिषद सदस्य का चुनाव भी जितवा दिया।
झारखंड यूनिट को पहले केरल से फंडिंग होती थी लेकिन जांच में सामने आया है कि अब झारखंड से यूपी ही नहीं बल्की बंगाल बिहार और यहां तक की केरल को भी फंड भेजा जाता है।एजेंसी को मिले इनपुट्स के मुताबिक संथाल परगना इलाके में खनिज की चोरी के पैसे में 25 प्रतिशत हिस्सा पीएफआई तक पहुंच रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ इतना ही नहीं झारखंड के पाकुड़, दुमका, जामताड़ा के अलावा साहिबगंज के उदवा, पतना, बड़हरवा समेत कई इलाकों में पीएफआई ने अपना गढ़ बना रखा है और यहां से मोटा फंड इकट्ठा कर रहा है.
झारखंड में पीएफआई प्रतिबंधित संगठन है फिर भी..!
फरवरी 2018 को झारखंड सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अगस्त 2018 को हाईकोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया था. इसके बाद दूसरी बार फरवरी 2019 को पीएफआई को राज्य में फिर से प्रतिबंधित किया गया। झारखंड में पीएफआई कैडर के खिलाफ एनआईए ने जांच और करवाई तेज़ कर दिया है। एनआईए की जांच रिपोर्ट भी कहती है कि झारखंड के चार जिलों पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा और जामताड़ा में पीएफआई नें अपनी जड़ें गहरी जमा ली है. इनमें झारखंड के साहिबगंज कैडर ने ही इन चार जिलों में पीएफआई को मजबूत करने का काम किया है. इसके लिए बहुत गहरी साजिश रची गई है.
बांग्लादेशी घुसपैठियों का जाल -
पीएफआई ने अपने संगठन के विस्तार के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को इस इलाके में वैध नागरिक बनाकर के साजिश प्लानिंग के साथ बसाया है।इसके लिएवहां की आदिवासी महिलाओं को टार्गेट किया है।कैडर में शामिल हुए घुसपैठिए किसी ना किसी तरह आदिवासी महिलाओं से दूसरी शादी करते हैं और इसके बाद इन आदिवासी महिलाओं के नाम पर जमीन खरीदकर यहां के स्थायी निवासी बन जाते हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसी की जांच में उनके पास वहां के स्थायी निवासी होने के कागज पूरे होते हैं.
10 हजार जनजाति महिलाओं से शादी औऱ नेटवर्क -
एनआइए को जांच में पता चला है कि झारखंड के इन इलाकों में 10 हजार से अधिक जनजाति महिलाओं से प्लान के मुताबिक पीएफआई से जुड़े लोगों ने शादी की है।एनआइए इसका रिकार्ड तैयार कर रही है। झारखंड में पीएफआई की विशेष सोच है कि इनका संगठन मजबूत होगा तो फंड हासिल करने और आतंकियों को शरण लेने में आसानी होगी. साथ ही वोट की राजनीति के चलते घुसपैठियों को बसाने से पीएफआई की ताकत बढ़ेगी।