डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की जयंती पर विशेष
11 महीने में बदले घाटी के हालात, लौटने की तैयारी में कश्मीरी पंडित
ग्वालियर, न.सं.। जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर मुद्दे पर अपना बलिदान दे दिया। जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने का दशकों पहले देखा गया उनका सपना देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 महीने पहले पूरा कर दिया। धारा 370 के खात्मे के बाद राज्य की स्थिति में तेजी से आ रहे बदलाव से कश्मीरी पंडित भी उत्साहित हैं और घर वापसी की चर्चा भी जोरों पर है। हर कोई चाहता है कि उन्हें रोजगार, सुरक्षा, भयमुक्त वातावरण मिले तो वह घाटी में वापिसी के लिए तैयार हैं। सरकार ने भी जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए खजाना खोल दिया है। बदले हालात में स्वदेश ने ग्वालियर में पिछले तीस सालों से रह रहे कश्मीरी पंडितों के परिवारों से बात कर जाना कि आखिर अब कश्मीरी पंडितों के दिल में क्या है? वो नए जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या सोचते हैं?
मोदी सरकार ने डॉ. मुखर्जी का सपना किया साकार, अब बदले हालात
कश्मीरी पंडित डॉ. ओ.एन. कौल बताते हैं कि कश्मीर के लिए डॉ. मुखर्जी ने अपना बलिदान दे दिया। उनके सपने को मोदी सरकार ने साकार किया। अब पिछले 11 महीने में घाटी के हालात बदलने लगे हैं। लेकिन रोजगार, मकान, भयमुक्त वातावरण व सुरक्षा मिले तो कश्मीरी पंडित वापिसी के लिए तैयार हैं। सरकार के कदम से काफी उम्मीद जाग गई है और सरकार ने इस दिशा में जो कदम उठा रही है वह काफी सराहनीय है। हालांकि कुछ जगहों पर अभी भी हालात बहुत खराब हैं। जिसे सामान्य होने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 30 सालों में कश्मीरी पंडित समाज ने जो तरक्की की है और जिस प्रकार से उन्होंने पूरे विश्व में अपनी सूझबूझ से अपना नाम रोशन किया है उनके लिए फिर कश्मीर घाटी में आ कर बसना मुश्किल होगा।
घर वापसी की उम्मीदों की खुल गई है खिड़की
करीब तीस साल से ग्वालियर में रह रहे कश्मीरी पंडित उमा सप्रू कहते हैं कि जब उनका खुद का घर जला डाला गया, हड़प लिया गया और उन्हें भगा दिया गया। धारा 370 हटने के बाद वहां हालात सामन्य हुए हैं। आतंकियों का सफाया किया जा रहा है, लेकिन पूरी तरह से हालात सामान्य हो, इसमें समय लगेगा। उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार कश्मीरी पंडित समुदाय की एक ही स्थान पर पुनर्वास करने की मांग को हरी झंडी दे देगी, ताकि वो कश्मीर घाटी में एक सुरक्षित माहौल में रहकर अपना जीवन बिता सकें। वे यह भी मानते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों की घर वापसी की उम्मीदों की खिड़की भी खुल गयी है। उन्हें लगने लगा है कि अब हम कश्मीर घाटी के दरवाजे के पास पहुंच चुके हैं और वापसी के लिए उनको अपना घर, अपनी जमीन और अपना भविष्य दिखता है।
बदल गया है कल्चर पर पुनर्वास की जागी उम्मीद
माधव प्रौद्योगिक एवं विज्ञान संस्थान की प्राध्यापक डॉ. मंजरी पंडित बताती हैं कि डॉ. मुखर्जी के सपने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाकर साकार कर दिया है। एक नई उम्मीद जागी है कि कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास होगा पर इसके लिए सरकार को बड़े स्तर पर कदम उठाने होंगे। कश्मीरी पंडितों को भयमुक्त वातावरण, रोजगार, सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी तभी कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का सपना साकार हो सके। वे कहती हैं कि जिस कश्मीर को वो छोड़कर चले आए थे अब वो कश्मीर वैसा नहीं रहा।