कोरोना कहर में मंदिरों ने बढ़ाया मदद का हाथ, अस्पताल, दवाई की कर रहे व्यवस्था

Update: 2021-05-01 14:26 GMT

वेबडेस्क। कोरोना महामारी ने वैश्विक जगत को अपने चपेट में ले लिया है। हर देश की सरकारें और नागरिक इससे उबरने के प्रयास कर रहे हैं। अगर बात अपने देश भारत की करें तो यहाँ भी केंद्र सरकार से लेकर सभी राज्य सरकारें अपने - अपने सार्थक प्रयास कर रही हैं। लेकिन इन सरकारों के अलावा कई संस्थाएं और संगठन भी तन - मन - धन से सेवा में लगी हुई हैं। लेकिन समाज के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हे अच्छा होते हुए भी अच्छा नहीं लग रहा है। मिल जुलकर इस महामारी से लड़ने के बजाये विभिन्न प्रकार के नैरेटिव सेट करके लोगों को गुमराह करके अपने जाल में फ़साने के साथ - साथ नकारात्मकता को जन्म दे रहे हैं। दरअसल जब बात उपलब्ध व्यवस्थाओं की आती है तो नैरेटिव सेट करके बोला जाता है की "हम अस्पताल के लिए लड़े ही कब, मंदिर-मस्जिद में उलझे रहे.. " ऐसा जो लोग बोल रहे है तो उन्हें ज्ञात हो कि राधा स्वामी सत्संग न्यास द्वारा पिछली बार की तरह ही इस कोरोना की दूसरी लहार के दौरान इंदौर और छतरपुर के विशाल सत्संग हॉल को समाज की सेवा करने के उद्देश्य से शासन - प्रशासन को सौंप दिए हैं। साथ ही महाराष्ट्र का गजाजन महाराज मंदिर हो या उज्जैन का माधव सेवा न्यास द्वारा संचालित भारत माता मंदिर हो यह सब लोग मंदिर वाले ही है, जो आज सेवा भाव से मरीजो की सेवा में लगे है। जितनी व्यवस्था इन्होने की है सरकारों और लाभार्थियों को समझ आया ही होगा। अगर इनके लिए न लड़े होते तो ? क्या इस वैक्यूम को नैरेटिव सेट करने वाले भरते ?

ये हैं सेवा कार्य - 

राधास्वामी सत्संग न्यास , दिल्ली -

राधास्वामी सत्संग न्यास द्वारा छतरपुर स्थित सत्संग परिसर को सरकार को सौंप कर कोरोना के आइसोलेशन के लिए जो कोविड केयर सेंटर तैयार करवाया था, जहाँ 2 हजार मरीजों को एक साथ आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था की गई थी और इसके लिए खास तरह के बेड्स भी यहां लगाए गए थे। जानकारी अनुसार दूसरी लहर के दौरान भी सिर्फ एक हफ्ते के अंदर इस सेंटर को भी दोबारा मरीजों के इलाज के लिए तैयार किया जा सकता है।

राधास्वामी सत्संग न्यास, इंदौर -

वहीँ इंदौर स्थित राधास्वामी सत्संग न्यास का आश्रम इतना बड़ा है कि एक लाख से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। यहाँ मरीजों केी संख्या बढ़ने पर पर 5 हजार बेड की व्यवस्थाएं आसानी से की जा सकती हैं। प्रारंभिक तौर पर अभी 2 हजार बेड की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। भीषण गर्मी से बचाने के लिए कूलर के साथ ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इससे सभी मरीजों का एक स्थान पर देखभाल करने में भी आसानी होगी। इसके अलावा यहां पर मरीजों के लिए दवा और खानपान की व्यवस्था भी होगी। जो की पूर्णतः निशुल्क है। आपको बता दें कि इंदौर शहर में ये दूसरा कोविड केयर सेंटर है।

गजानन मंदिर ट्रस्ट, शेगांव महाराष्ट्र -

महाराष्ट्र के सबसे बड़े धार्मिक केंद्रों में से एक संत गजानन मंदिर भी कोरोना मरीजों की सेवा के लिए सामने आया है। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगाँव स्थित संत गजानन महाराज मंदिर ट्रस्ट सेवा के अपने अद्वितीय मॉडल के लिए जाना जाता है। इसे चलाने वाले ट्रस्ट ने शेगाँव में अपने 2 बड़े भवनों को सरकार को सौंप दिया है, जिसमें विशाल सामुदायिक रसोई भी शामिल है, जहाँ 2000 लोगों के लिए भोजन बनाया जा सकता है। यहाँ कोरोना संदिग्धों के लिए आइसोलेशन वार्ड और रोगियों के लिए पृथक से वार्ड बनाकर 500-बेड के अलग-अलग परिसर बनाए गए हैं।

भारत माता मंदिर ,माधव सेवा न्यास, उज्जैन - 

वहीँ भारत माता मंदिर ,माधव सेवा न्यास, उज्जैन द्वारा घर घर भोजन भेजने की सेवा प्रारम्भ की है। कोरोना की दूसरी लहार ने मालवा अंचल में आने वाले उज्जैन को भी अपनी चपेट में ले लिया है। न्यास का उद्देश्य है की "यदि किसी घर के सभी सदस्य "कोरोना महामारी" से ग्रसित है और भोजन की समस्या आ रही हो तो शुद्ध शाकाहारी भोजन, घर पहुंच सेवा के लिए मोबाईल नम्बर (98265-35545, 84353-03740) पर सम्पर्क कर सकते है। जिसमे उनको अपना नाम, घर का पता और संपर्क नम्बर के साथ आने का समय और संख्या की जानकारी देनी होगी।

इस्कॉन मंदिर - 

इस्कॉन मंदिर गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों एवं कोरोना मरीजों को मुफ्त में खाना उपलब्ध करा रहा है। मंदिर ने इसके लिए एक विशेष किचन तैयार किया है।  इसके लिए मंदिर ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। जिस पर कॉल करते ही जरुरत मंद तक खाना पहुंचाया जाता है।  

राम मंदिर - 

'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ने कोरोना आपदा को देखते हुए अयोध्या में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की घोषणा की है।  जिसके लिए ट्रस्ट 55 लाख रूपए का खर्च करेगा। ये प्लांट दशरथ मेडिकल कॉलेज में लगाया जाएगा। 

गौरतलब है की सामान्य दिनों में नैरेटिव सेट करने वाली वामपंथी और टुकड़े - टुकड़े गैंग इन मंदिरों के खिलाफ आग उगलते है। धर्म, पूजा-पाठ के साथ मंदिरों को मिलने वाले दान पर सवाल उठाते है।  आज विपदा की इस घड़ी में यहीं मंदिर दान में मिली राशि को जनसेवा में खर्च कर रहे है। जिससे इस विकट स्थिति में छोटी -छोटी मेडिकल जरूरतों की पूर्ति होने से हजारों लोगों की जान और परिवार बचाने में सहायता मिल रही है। बीते वर्ष भी कोरोना की पहली लहर में देश के सभी बड़े मंदिरों ने अपना खजाना देश सेवा के लिए खोल दिया था।  संकट की घड़ी में  ये मंदिर सदा देश और समाज की सहायता करते है।  



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