अखिल भारतीय कालिदास समारोह: 66वें संस्करण का शुभारंभ, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले - महाकवि की रचनाएं देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर

Update: 2024-11-12 10:42 GMT

अखिल भारतीय कालिदास समारोह

मध्यप्रदेश। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा उज्जैन में 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ किया गया। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कालिदास अकादमी द्वारा प्रकाशित 10 ग्रंथों का लोकार्पण भी किया गया। डॉ. गोविन्द इन ग्रंथों के प्रधान संपादक हैं।

उप राष्ट्रपति धनखड़ मंगलवार को उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ कर मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि, अद्भुत प्रतिभा के धनी महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानव तथा प्रकृति के अटूट संबंधों का अनुपम उदाहरण है। महाकवि की रचनाएं देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं। महाकवि कालिदास की रचनाएं हमारे जीवन मूल्यों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।

महाकवि कालिदास की अमर कृतियां मानवीय भावों को अद्भुत रूप से प्रदर्शित करती है और मानवीय मूल्य के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत है। महाकवि कालिदास की रचनाओं में मानव तथा प्रकृति के बीच अद्भुत एवं अटूट संबंध देखने को मिलता है। महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है जो सदैव प्रासंगिक है। मेघदूतम जैसी उनकी कालजयी रचनाओं से प्रेरणा लेकर हमें अपनी पृथ्वी को बचाना होगा। पर्यावरण-संरक्षण, जलवायु-संरक्षण की दिशा में गंभीरता से प्रयास करने होंगे, क्योंकि रहने के लिए कोई दूसरी पृथ्वी उपलब्ध नहीं है।

हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों को सदैव संभालकर रखना होगा। देश की सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त प्राचीन है, हमारी संस्कृति की जड़े अत्यंत गहरी हैं जो जीवन के उद्देश्य को बताती हैं। उप राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कुटुंब प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि कुटुंब प्रबंधन पर ध्यान देने से ही राष्ट्र का भी ध्यान हमारे मन-मस्तिष्क में सदैव रहेगा। अपने बच्चों के चारित्रिक एवं नैतिक विकास के लिए भी सदैव गंभीर रहना होगा। हमारे बच्चे अच्छे नागरिक बने, राष्ट्र निर्माण के साथ अपने कर्तव्यों का पूर्णता से निर्वहन करें।

हम सबको मिलकर नागरिक दायित्वों का निर्वहन करना होगा। भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्र सर्वोपरि है, इसके लिए नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्रत्येक नागरिक को अपनी आहुति देना होगी। नारी सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि महाकवि कालिदास की रचनाएं नारी सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनकी रचना अभिज्ञान शाकुंतलम् को संदर्भ के रूप में देखा जा सकता है।

मुख्यमंत्री डा. यादव ने कहा कि, 'महाकवि कालिदास और विक्रमादित्य की उज्जयैनी नगरी का प्रत्येक काल एवं युग में सदैव अस्तित्व रहा है। कई जन्मों के पुण्य, फलों के बाद हमें यह गौरव मिला है कि यहां आकर कुछ समय बिताएं। उप राष्ट्रपति ने आज अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारम्भ कर समारोह के गौरव में अभिवृद्धि की है। हम सबका यह सौभाग्य है कि इस समारोह के आयोजन का अवसर उज्जैन को सदैव मिलता है।' 

इन विभूतियों को किया गया सम्मानित :

समारोह में उप राष्ट्रपति द्वारा कालिदास अलंकरण सम्मान शास्त्रीय गायन के लिये पं. उदय भावलकर पुणे (2022), पं. अरविंद पारेख मुंबई (2023), शास्त्रीय नृत्य के लिये डॉ. संध्या पुरेचा मुंबई (2022), गुरु कलावती देवी मणिपुर (2023), कला और शिल्प के लिये श्री पी.आर. दारोच दिल्ली- कला और शिल्प (2022), श्री रघुपति भट्ट मैसूर (2023), नाट्य के लिये सुश्री भानु भारती राजस्थान (2022) और श्री रुद्रप्रसाद सेन गुप्ता कोलकाता (2023) को दिया जाएगा।

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अन्य कार्यक्रम :

शाम 7 बजे शास्त्रधर्मी शैली पर आधारित तथा पारम्परिक शैली से अनुप्रेरित नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण होगा। इसके पहले सोमवार को मंगल कलश यात्रा निकाली गई और कालिदास अकादमी में नान्दी-भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ।

गुरुवार 14 नवम्बर को शोध संगोष्ठी का द्वितीय सत्र, व्याख्यान माला कुटुम्ब व्यवस्था, हिन्दी नाटक वसन्त सेना का प्रस्तुतीकरण होगा। 15 नवम्बर को संगोष्ठी का तृतीय सत्र, व्याख्यान माला- कालिदास का पर्यावरण चिंतन, लोक गायन और नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् की प्रस्तुति होगी। 16 नवम्बर को संस्कृत कवि समवाय, अन्तर्विश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता, लोक नृत्य की प्रस्तुति होगी। 17 नवम्बर को अन्तर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ, अन्तर महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता, शास्त्रीय गायन होगा। 18 नवम्बर को समारोह का समापन कार्यक्रम शाम साढ़े चार बजे से किया जाएगा। इसके बाद शाम 7 बजे शास्त्रीय शैली में वादन का आयोजन किया जाएगा।

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