उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की सावन-भादौ मास में छह सवारियों के साथ एक शाही सवारी निकाली जाती हैं। इसी क्रम में सावन-भादौ मास की पांचवीं और भादौ मास की पहली सवारी आज सोमवार शाम को राजसी ठाट-बाट के साथ निकाली गई। सवारी में भगवान महाकाल ने दो स्वरूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन दिये। भगवान चन्द्रमौलीश्वर ने चांदी की पालकी और भगवान मनमहेश ने हाथी पर विराजित होकर नगर का भ्रमण किया।
इस दौरान शिव की नगरी उज्जैन पूरी तरह शिवमय हो गई। भगवान महाकालेश्वर की पांचवी सवारी में चारों ओर भगवान शिव के गुणगान हो रहे थे । सवारी के आगे भक्त ढोल, शहनाई, डमरू, झांझ आदि वाद्य बजाते हुए शिव के गुणगान करते चल रहे थे। भाद्रपद माह के पहले सोमवार को भगवान चन्द्रमौलीश्वर पालकी में और भगवान मनमहेश हाथी पर सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले।
विधिवत पूजन-अर्चन -
महाकालेश्वर मंदिर में सवारी निकलने के पहले अपरान्ह 3.00 बजे सभामंडप में भगवान चन्द्रमौलीश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने पूजन संपन्न करवाया, जबकि महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीष सिंह के साथ पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार ने पूजा की। पूजन के पश्चात सभी गण्यमान्य ने पालकी को नगर भ्रमण की ओर रवाना किया।
भगवान का अभिषेक पूजन
शाम चार बजे सवारी महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, जहां होमगार्ड, पुलिस एवं एसएएफ के जवानों ने भगवान को सलामी दी। इस दौरान मंदिर समिति प्रशासक एवं अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी नरेन्द्र सूर्यवंशी, महंत विनीत गिरी, मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी आदि उपस्थित थे। सवारी शाम को रामघाट पहुंची, जहां मां शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक पूजन किया गया। रामघाट पर आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इसके बाद सवारी पुनः मंदिर के लिए रवाना हुई।