उज्जैन। सोमवार को उज्जैन में बाबा महाकाल की इस वर्ष के श्रावण-भादौ मास की छटी और शाही सवारी धूमधाम से निकली। सवारी मार्ग से लेकर शिप्रा तक के दोनों ओर करीब 2 लाख श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने को बैताब दिखे। बाबा ने 6 रूपों में दर्शन दिए। अपरांह 4 बजे बाबा नगर भ्रमण पर निकले। शहर में उत्सवी माहौल है। जगह-जगह श्रद्धालुओं को साबूदाने की खिचड़ी, केले और खीर की प्रसादी का वितरण किया गया। इधर इंद्र देव भी मेहरबान हैं। जमकर बारिश हो रही है। श्रद्धा से तरबतर श्रद्धालु पानी में भीगते हुए सवारी मार्ग पर बाबा के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाकर खड़े रहे।
सोमवार अपरांह 4 बजे से पूर्व मंदिर के कोटि तीर्थ परिसर के समीप स्थित सभामण्डप में बाबा की शासकीय पुजारी पं. घनश्याम पुजारी ने पूजा की। संभागायुक्त संदीप यादव एवं आईजी संतोषसिंह ने सपरिवार बाबा का पूजन,आरती की। इसके बाद चांदी की पालकी में बाबा के चंद्रमौलेश्वर मुखारविंद को विराजीत किया गया। पालकी को मुख्य द्वार पर लाया गया। यहां सशस्त्र पुलिस बल ने सशस्त्र सलामी दी। पश्चात बाबा नगर भ्रमण पर निकले।
करीब साढ़े 5 किलोमीटर लम्बे सवारी मार्ग पर बाबा की पालकी के साथ 64 विभिन्न भजन मण्डलियां, अखाड़े आदि भी शामिल रहे। सवारी रामघाट पर पहुंची। यहां शिप्रा के जल से बाबा का अभिषेक किया गया, वहीं मंदिर की ओर से मां शिप्रा की आरती की गई। यहां पर पूजन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया। तत्कालीन सिंधिया रियासत के जमाने से यह परंपरा है कि शाही सवारी में रियासत का कोई एक प्रतिनिधि बाबा का पूजन करने आता था। आज भी इस परंपरा को परिवार निभाता है।
सवारी मार्ग के दोनों ओर सड़कों पर,मकानों के छज्जों पर,शिप्रा नदी के रामघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट पर भक्तों की भीड़ जुटी हुई थी। 1600 से अधिक पुलिसकर्मियों, अधिकारियों द्वारा भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था की गई थी। वहीं शहर की विभिन्न एनडीए कोचिंग संस्थाओं के 600 से अधिक युवाओं को भी भीड़ प्रबंधन के लिए लगाया गया था। सवारी मार्ग दुल्हन की तरह सजा हुआ था। पालकी रात्रि 10 बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी। यह परंपरा है कि शाही सवारी वाले दिन भी शयन आरती से पूर्व पालकी मंदिर पहुंच जाती है।