उज्जैन/ श्याम चौरसिया। बोतल में बन्द तबादलो का जिन्न ढक्कन खुलते ही करिश्मा दिखाने लगा। कमलनाथ सरकार और शिवराज सिंह चौहान सरकार में फर्क भी देखने मे आ रहा है। नाथ सरकार के काल मे एक नही दर्जनो एमएलए ओर पार्षद तक लंगोट कस मास्टरों,नर्स,कृषि विभाग,राजस्व,शिक्षा,वन,आरईएस, पंचायत, खाद्य, उच्च शिक्षा, जल संसाधन, पीएचई, लोनिवि, आदि को हड़काया करते थे
नतीजन शासकीय सेवक सासत में फंस बचाओं में नजराना, पेश मियां कतराते थे ताकि बिना आंधी के आम लूटे जा सके, नाथ की।मेहरबानी से सफल भी रहे।मगर चौहान ने पांसा पलट दिया।अब फर्जी एमएलए ओर जुगाड़ियों की दाल नही गल पा रही है।
नाथ सरकार में राजनीतिक आधार पर ओर बदले की भावना से कर्मचारियों को जम कर इधर से उधर किया था।तबादले की अर्जी क्रम वार लेने के पहले कोड के साथ कम्यूटर में फीड हो रही है। पात्रों को सिलेक्ट करना चुनोती है। सक्षम विभागीय अधिकारी की टेबलों पर आवेदनों का ढेर देखा जा सकता है। बीजेपी संगठन के अलावा आवेदक खुद सक्षम अधिकारियों को मैनुअल आवेदन पेश कर रहे है। उनमें में नए भी शामिल है। cm ने मंत्रियो,विधायको को पारदर्षिता, निष्पक्षता बनाए रखने की सख्त हिदायत दे, चेता दिया।
अनेक अडियल, सरकार-प्रशासन की छवि खराब करने वाले कर्मचारी,अधिकारी खास निशाने पर ह लंबे मंथन के याद दागदार,अड़ियल, विवादग्रस्त छवि वालो के नाम संग़ठन की लिस्ट में बताए जाते है। प्रभारी मंत्रियो के बंगलो पर जलसे जैसा माहौल लगता है।रस्साकसी दांवपेंच की वजह से बताते है cm से तबादलेकी तारीख 31 जुलाई से बढ़ा कर 07 अगस्त तक कर दी है। छलनी लगे बिना सही की पहचान कम सम्भव है।