उज्जैन/श्याम चौरसिया। 01 महीने से जारी दंगल-ए-तबादला अभी भी बदस्तूर जारी होने से आवेदकों ओर कांग्रेस काल मे प्रताड़ित करके इधर से उधर किए गए हजारो सरकारी सेवक जुगाड़ ओर गुनतारे में दिन रात एक किए हुए है।नेताओ की गणेश परिक्रमा जारी है।नेता भी टालने वाले अंदाज में सब्र रखने का दिलासा दे कर पिंड छुड़ाने के लिए मजबूर है।
अंदर खाने की माने तो विभाग प्रमुख सचिव स्तर पर फसे पेंचों ने मंत्रियो, प्रभारी मंत्रियो को बेबस कर रखा है। शिक्षा,जल संसाधन,पुलिस,चिकित्सा, नगरीय निकाय, ग्रामीण विकास एवं पंचायत, महिला बाल विकास, राजस्व, मंडी, कृषि, आदि अन्य विभागों के सेवको को अन्यंत्र भेजे जाने की अनुशंसा करके बीजेपी संगठन ने भेजी है। सबसे बड़ी लिस्ट शिक्षा,स्वास्थ, राजस्व की बताई जाती है।शिक्षा विभाग में कांग्रेस काल मे बदले की भावना के चलते हजारो शिक्षको को बतौर सजा दूरस्थ फेक दिया था।
राजनैतिक आधार ओर बदले की भावना से अन्यत्र फेके गए शिक्षको के दबाब से बीजेपी संगठन धर्मसंकट में महसूस करता लगता है। कुछ दावेदारों ने शार्ट कट के फेर में कुछ मंत्रियो, सांसदों, विधायको के फर्जी लेटर पेड़ का इस्तेमाल करके भी शंकाए बढ़ा दी। जिसकी वजह से cm चोहान ने अतिरिक्त सावधानी बरतने की हिदायत आला अधिकारियों को दी।नतीजन हिदायत पर अमल करते हुए विभाग प्रमुख ओर प्रमुख सचिव रिस्क उठाने की बजाय अतिरिक्त सावधानी दिखा रहे। ताकि विवादों से बचा जा सके।
उलझे पेंचों को देखते हुए cm चौहान ने 05 अगस्त तक आदेश जारी करने की घोषणा की थी। किंतु अभी तक कोई आसार लगते नही है। हा बतौर मुहूर्त खनिज ओर खाद्यय विभाग की सूची जारी कर दी। विवादग्रस्त खनिज विभाग मे किए फेर बदल से अवैध खन्नन रुकेगा। उम्मीद कम लगती है।
सूत्रों की माने तो जिला स्तर के विभाग प्रमुख जिले के अंदर की तबादला सूची समन्धित प्रभारी मंत्रियो को भेज चुके है। प्रभारी मंत्रियो के दरबार से सूची लोटे तो मने दीवाली। अन्न महोत्सव के दौरान भी प्रभावितों/पीड़ितों ने प्रभारी मंत्रियो को टटोला। विधायकगण भी उत्सुकता प्रकट किए बिना न रहे।मगर शायद ही किसी प्रभारी मंत्री ने संतोषजनक उत्तर दिया हो। कुछ सूत्रों का दावा है कि सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका है। बस चिड़िया बेठनी है।
अपने कारनामो, जन विरोधी आचरण से शासन प्रशासन की छवि करने वाले अधिकारियों की नकेल कसने के लिए सरकार ने केवियट दाखिल करने का फ़ैसला किया है। ताकि वे सरकार की छाती पर मूंग न दल सके।