हवा हवाई साबित हो रही है अवध विश्वविद्यालय में राममंदिर बनने की घोषणा

मंदिर का माडल तैयार हो गया है. इस मंदिर पर लगभग नब्बे लाख की धनराशि व्यय होगी.

Update: 2021-03-30 16:31 GMT

अयोध्या/ओम प्रकाश सिंह: अयोध्या के डॉक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के श्रीराम शोधपीठ के बगल में पिछले एक साल से प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने की कवायद चल रही है. शोधपीठ के समन्वयक ने मंदिर बनवाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन अब उसके लिए नब्बे लाख धनराशि की दरकार है. अवध विश्वविद्यालय में श्रीराम के संपूर्ण जीवन चरित्र व मर्यादित आचरण आदि पहलुओं पर शोध के लिए 2005 में श्रीराम शोध पीठ की स्थापना की गई थी. सन 2001 में शिलान्यास हुआ था. स्थापना के पन्द्रह वर्ष बाद भी अभी तक इस पीठ के पास एक रामार्चा यज्ञ व दो व्याख्यान के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. पिछले वर्ष जुलाई के दूसरे हफ्ते में इस पीठ के बगल प्रभु श्रीराम का मंदिर बनाने की घोषणा हुई थी.

मंदिर का मॉडल है तैयार

अब पुनः इस मंदिर के बनने की कवायद तेज हो गई है. पीठ के समन्वयक प्रो अजय प्रताप सिंह ने बताया कि मंदिर का माडल तैयार हो गया है. इस मंदिर पर लगभग नब्बे लाख की धनराशि व्यय होगी. धनराशि के लिए उन्होंने कुलपति व शासन से मदद के लिए गोहार लगाई है. 25 मार्च को कार्य परिषद ने जो बजट पारित किया है उसमें मंदिर के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इस मंदिर में भगवान राम व मां सीता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. नियमित तौर पर पूजा पाठ के लिए पुजारी की भी नियुक्ति होगी. मंदिर, श्रीराम शोध पीठ के अंतर्गत स्थापित होगा. इसके अलावा पीठ में भगवान श्री राम और रामायण पर शोध करने के लिए प्रराचीन ग्रंथो , भगवान श्रीराम पर आधारित पुस्तकों और विभिन्न भाषाओं की रामायण के साथ देश विदेश में रखी पांडुलिपियों का बड़ा संग्रह पुस्तकालय के रूप में विकसित करने पर कार्य योजना बन रही है. श्रीराम शोध पीठ की दीवारों पर विश्वविद्यालय के ही दृश्य कला विभाग के बच्चों ने रामायणकालीन चित्रों को सुंदर ढ़ंग से चित्रित किया है.


शोधार्थी कर रहे शोध, पुस्तकों की कमी की समस्या

समन्वयक ने बताया कि शोध पीठ के अन्तर्गत 'अब गांव में राम नहीं बसते' नामक शीर्षक पर शोधार्थी शोध कर रहे हैं लेकिन एक अच्छे पुस्तकालय के अभाव में और सरकार से किसी तरीके के सहयोग ना मिलने पर यहां पुस्तकों की कमी अखर रही है. श्री राम शोध पीठ में बड़ी लाइब्रेरी स्थापित करने की योजना पर कार्य हो रहा है. इस लाइब्रेरी में भगवान श्रीराम से संबंधित सभी भाषाओं की पुस्तकें ग्रन्थे और विभिन्न भाषाओं की रामायण संकलित की जाएगी, जो शोध करने वाले छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराया जाएगा. यही नहीं देश विदेश में भगवान राम से संबंधित जो भी पांडुलिपिया हैं उनको भी संग्रहित कर के इस लाइब्रेरी में रखा जाएगा. उत्तर प्रदेश में जिस भी काल के अभी तक सिक्के मिले है उनका संग्रह करके एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा जहां अयोध्या आने वाले पर्यटक इस म्यूजियम को और भगवान राम की लाइब्रेरी को देख सकेंगे. इन योजनाओं के लिए आर्थिक सहायता के साथ प्रदेश व केन्द्र सरकार का सहयोग भी चाहिए जो अभी दूर की कौड़ी लग रहा है. पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के समय में शोध पीठ समन्वयक प्रो. अजय प्रताप स‍िंह ने यहां भव्य तरीके से रामार्चा पूजन कराया था. श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष मंहत नृत्य गोपाल दास सहित अयोध्या के प्रमुख संतों ने आशीर्वचन प्रदान किया था. श्री रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने मंदिर स्थल का निरीक्षण कर जमीन के गुणदोष से समन्वयक को अवगत करा दिया है.

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