अयोध्‍या: लगातार हो रहे अग्नि हादसों से भी नहीं जाग रहा स्वास्थ्य महकमा, ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में नहीं है अग्नि सुरक्षा के इंतजाम…

Update: 2024-11-16 11:31 GMT

अयोध्या: अस्पतालों में आए दिन हो रही आगजनी की घटनाओं के बाद भी स्वास्थ्य विभाग बेफिक्र दिख रहा है। शुक्रवार को झांसी के एनआईसीयू में हुए दर्दनाक हादसे में 10 बच्चो की दर्दनाक मौत हो गयी। कारण सामने आया कि अलार्म सिस्टम ही मौके पर दगा दे गया और एक्सपायर सिलेंडर रिफिल ही नही कराए गए थे।

इसके पूर्व के वर्षों में भी केजीएमयू लखनऊ और कोलकाता में भी इस तरह के दर्दनाक हादसे हो चुके हैं। इन हादसों के बाद शासन ने सभी अस्पतालों में आग से बचाव की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सूत्रों की माने तो जिले के ही सैकड़ो गैर सरकारी व दर्जनों सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव की व्यवस्था नहीं है। ये अस्पताल बिना फायर विभाग की एनओसी लिए चल रहे हैं।

बता दे कि विकासखंड तारुन अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव की व्यवस्था भगवान भरोसे है। ब्लॉक में करीब दो दर्जन अस्पतालों में आग से बचाव के पर्याप्त संसाधन नहीं है। किसी भी अस्पताल में फायर फाइटर यंत्र नहीं लगे हैं।

सीएचसी तारून, सीएचसी रमवा कला हैदरगंज, पीएचसी पछियाना, पीएचसी हैदरगंज कस्बा, पीएचसी पनभरिया, पीएचसी विजयनपुर सजहरा सहित 28 उपस्वास्थ्य केंद्रों में अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था के कोई इंतजाम नहीं है। जबकि आग से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लेकिन विडंबना यह है कि सरकारी अस्पतालों के पास आग से बचाव के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।

सुरक्षा के नाम पर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हालांकि ब्लॉक क्षेत्र के अस्पतालों में आगजनी की घटना नहीं हुई है। लेकिन यह लापरवाही लोगों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। बताया जाता है कि बिना फायर फाइटिंग यंत्र के अस्पताल खोलने की मनाही है। ऐसे में इन अस्पतालों को एनओसी कैसे प्राप्त हुई यह एक बड़ा सवाल है। 

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