लखनऊ।उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की अनुमति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार से कहा कि हम आपको इस मामले पर विचार करने के लिए एक और मौका देना चाहते हैं। आप सोचिए कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं। हम सब भारत के नागरिक हैं। सबको जीवन का मौलिक अधिकार है। हम आपको 19 जुलाई तक समय दे रहे हैं, नहीं तो हमें ज़रूरी आदेश देना पड़ेगा।
उप्र सरकार ने कहा कि वह चाहती है कि कांवड़ यात्रा प्रतीकात्मक हो और कोरोना को देखते हुए कम से कम लोग शामिल हों। केंद्र सरकार ने उप्र में कांवड़ यात्रा का विरोध किया है। केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक आना कोरोना के लिहाज से उचित नहीं है। बेहतर हो कि टैंकर के ज़रिए गंगाजल जगह जगह उपलब्ध करवाया जाए।
पिछले 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की इजाजत देने के मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड यात्रा की इजाजत दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कांवड़ यात्रा का आदेश दिया है। उधर, उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है।