महादेव सट्टा ऐप को केंद्र से संरक्षण!: सौरभ चंद्राकर- रवि उप्पल की गिरफ्तारी के लिए PM मोदी को लिखा पत्र फिर भी एक्शन नहीं - भूपेश बघेल

Bhupesh Baghel Allegations on PM Modi : रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महादेव सट्टा ऐप को लेकर पीएम मोदी गंभीर आरोप लगाए हैं। भूपेश बघेल ने कहा कि, पीएम मोदी महादेव सट्टा ऐप को संरक्षण दे रहे हैं। सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की गिरफ्तारी के लिए PM मोदी को लिखा पत्र फिर भी उनकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई और लुक आउट सर्कुलर जारी किया।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने शुक्रवार को अपने अधिकारिक एक्स अकाउंट से पोस्ट साझा की है। इसमें उन्होंने लिखा कि, महादेव सट्टा ऐप के किंग पिन सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दोनों दुर्ग जिले के निवासी हैं लेकिन दुबई से बैठकर सट्टा एप संचालित कर रहे थे।
भूपेश बघेल ने आगे लिखा कि, चूंकि यह हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर था तो हमने इन दोनों की गिरफ्तारी के लिए मोदी सरकार को पत्र लिखा, उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने भी पत्र लिखा लेकिन आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी के संरक्षण में महादेव एप चल रहा है। CBI की कार्रवाई का संदेश भी यही है कि जिस किसी ने भी महादेव सट्टा एप पर कार्रवाई करने की कोशिश की, उस पर ठीक इसी तरह ED-CBI की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है महादेव सट्टा ऐप घोटाला
महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो सट्टेबाजी के लिए बनाया गया था। इस ऐप पर यूजर्स क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों के अलावा पोकर, तीन पत्ती, और वर्चुअल गेम्स पर सट्टा लगा सकते थे। इतना ही नहीं, इस ऐप पर चुनावों और अन्य घटनाओं पर भी भविष्यवाणी के आधार पर दांव लगाए जाते थे।
इसकी शुरुआत 2016 में छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, और अतुल अग्रवाल ने की थी। सौरभ चंद्राकर पहले भिलाई में "जूस फैक्ट्री" नाम से एक छोटी जूस की दुकान चलाता था, जबकि रवि उप्पल टायर का कारोबार करता था। दोनों को सट्टेबाजी की लत थी, और लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन सट्टेबाजी की बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने इस ऐप को लॉन्च किया।
जांच एजेंसियों का कहना है कि, इसकी लोकप्रियता खास तौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़ी, जब 2021 में बिना दर्शकों के हुए आईपीएल मैचों पर इस ऐप के जरिए करीब 2,000 करोड़ रुपये की सट्टेबाजी हुई। ऐप का नाम "महादेव" भगवान शिव के नाम पर रखा गया, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाकर उन्हें आकर्षित किया जा सके।