First Female Agniveer: छत्तीसगढ़ की बेटी ने रचा इतिहास, फामेश्वरी बनी प्रदेश की पहली महिला अग्निवीर

Chhattisgarh First Female Agniveer Faameshwari Yadav : रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की एक बेटी ने इतिहास रच दिया है। फिंगेश्वर ब्लॉक के छोटे से गांव परसदा जोशी की फामेश्वरी यादव (21) प्रदेश की पहली महिला अग्निवीर बनकर हर किसी को गर्व का अहसास करा रही हैं। कभी पड़ोसियों के ताने सुनने वाली फामेश्वरी की मां आज बेटी की सफलता पर फूली नहीं समा रही। जब फामेश्वरी अग्निवीर बनकर गांव लौटी, तो हर किसी ने उसका जोरदार स्वागत किया और उसकी हिम्मत की तारीफ की।
बेटी की जिद थी देश की सेवा करना
फामेश्वरी के परिवार ने बताया कि जब उसने सेना में जाने की इच्छा जाहिर की, तो गांव और पड़ोस के लोग ताने मारते थे। वे कहते थे कि दो बड़े बेटों के होते हुए छोटी बेटी को नौकरी के लिए बाहर भेजना ठीक नहीं है, खासकर ऐसी नौकरी में जहां महिलाओं का जाना कम होता है। लेकिन परिवार ने इन बातों को नजरअंदाज कर बेटी के सपनों को पूरा करने में उसका साथ दिया।
मां खेमीन बाई ने कहा, "बेटी की जिद थी कि उसे देश की सेवा करनी है। हमने तानों की परवाह नहीं की और उसके सपनों को पंख दिए। अगर मेरी और बेटियां होतीं, तो उन्हें भी देश सेवा में भेजती।"
मेहनत और लगन की मिसाल
फामेश्वरी बीएससी सेकेंड ईयर की छात्रा है। वह घर के कामों में हाथ बटाने के साथ-साथ पढ़ाई और सेना की तैयारी करती थी। उसके पिता हीरालाल मजदूर हैं और दो बड़े बेटे हैं। फामेश्वरी सबसे छोटी है। उसने कॉलेज में एनसीसी जॉइन की थी। बुआ के बेटे और गांव के एक युवक को अग्निवीर में भर्ती होते देख उसका जुनून जागा। उसने वर्दी पहनने का सपना देखा और अग्निवीर बनने की ठान ली। पिता और भाई रोजाना सुबह 4 बजे उसे फिटनेस ट्रेनिंग देते थे। गांव की सड़कों पर दौड़ और वार्मअप के बाद वह अपनी पढ़ाई में जुट जाती थी।
मजदूर पिता की मेहनत
पिता हीरालाल के पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। वे सुबह बेटी को ट्रेनिंग देने के बाद मजदूरी पर चले जाते थे। 5-6 महीने की कड़ी मेहनत के बाद फामेश्वरी का चयन अग्निवीर महिला सैन्य पुलिस (WMP) के लिए हो गया। 24 मार्च 2025 को भर्ती परिणाम घोषित हुआ, जिसमें उसने सफलता हासिल की। अब वह 1 मई 2025 से बेंगलुरु के सेना मिलिट्री पुलिस सेंटर में अपनी ट्रेनिंग शुरू करेगी।
सेना भर्ती कार्यालय ने किया सम्मानित
फामेश्वरी की इस उपलब्धि पर रायपुर के सेना भर्ती कार्यालय ने उसे पुरस्कार देकर सम्मानित किया। गरियाबंद के जिला कलेक्टर दीपक अग्रवाल और एसपी निखिल राखेचा ने भी उसकी सफलता की सराहना की। जिला प्रशासन जल्द ही इस बहादुर बेटी को विशेष रूप से सम्मानित करने की योजना बना रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने फामेश्वरी को बधाई देते हुए कहा, "यह सिर्फ एक चयन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की बेटियों की हिम्मत और देशभक्ति का प्रतीक है। फामेश्वरी ने साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि यह सफलता राज्य की अन्य युवतियों को सेना और अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। राज्य सरकार बेटियों के सशक्तिकरण और राष्ट्र सेवा में उनके योगदान के लिए हर कदम पर उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने फामेश्वरी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वह छत्तीसगढ़ की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेंगी।
फामेश्वरी की इस उपलब्धि ने न सिर्फ उसके गांव बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है। 1 मई 2025 से बेंगलुरु में शुरू होने वाली ट्रेनिंग के बाद फामेश्वरी भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगी और देश सेवा में अपना योगदान देंगी।