देहरादून। गलवान घाटी और उस क्षेत्र में निर्माण को लेकर चीन के साथ तनाव के बीच सीमा सड़क विकास बोर्ड ने उत्तराखंड की सीमांत की सड़कों के लिए 340 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इन सड़कों का निर्माण सीमा सड़क संगठन करेगा। उत्तराखंड में इन सड़कों के निर्माण से सुरक्षा बलों के अलावा स्थानीय लोगों को भी बहुत फायदा होगा।
सीमा सड़क विकास बोर्ड (बीआरडीबी) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने रविवार को एक संवाद में कहा कि, उत्तराखंड में राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए कुल 340 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1,351.10 करोड़ रुपये जम्मू-कश्मीर में सड़क कार्यों के लिए बीआरओ को दिए हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, सिक्किम और तमिलनाडु में राज्य लोक निर्माण विभाग द्वारा राजमार्ग कार्यों के लिए 71 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मंजूरी दी गई है। इस संवाद में कहा गया है कि आदिवासी उप-योजना (टीएसपी) के तहत नगालैंड के लिए मंजूरी की सीमा को 1,081 करोड़ से बढ़ाकर 1,955 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
केंद्र की योजना के मुताबिक, राज्य के चमोली, पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी व चमोली में करीब 1100 किमी लंबी 27 सड़कें बननी हैं। इनमें कई सड़कों का काम शुरू हो चुका है। योजना का मकसद अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों की आवाजाही को सुगम करना है।
उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में बन रही सड़कों से पर्यटन को भी बड़ा फायदा पहुंचने की उम्मीद है। राज्य के कई ऐसे अनछुए पर्यटक स्थल हैं, जहां सड़क न होने के कारण पर्यटक नहीं जा पाते। सीमांत में बन रही सड़कों का निर्माण पूरा हो जाने के बाद पर्यटक भी आसानी से उच्च हिमालय की घाटियों तक जा सकेंगे। इससे पलायन की मार झेल रहे सीमांत के ग्रामीणों के लिए गांव में ही रोजी रोटी का इंतजाम होने की संभावना है।
उत्तराखंड की चीन और नेपाल के साथ 620 किलोमीटर लंबी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा है। इसमें से 345 किलोमीटर चीन और 275 किलोमीटर सीमा नेपाल के साथ लगती है। सीमांत के इन क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का तेजी से निर्माण किया जा रहा है।