गलवान घाटी में भारत को धोखा दे रहा ड्रैगन, पढ़िए पूरी खबर

Update: 2020-06-24 14:30 GMT

नई दिल्ली/पेइचिंग। लद्दाख के गलवान घाटी में 22 जून को हुई हिंसक में झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं भारतीय जवानों की जवाबी कार्रवाई में चीन के भी 40 जवान हताहत हो गए थे। इस हिंसा के बाद भारत और चीन के सैन्‍य अधिकारियों के बीच कई दौर बातचीत हुई और अब दोनों देश सेना हटाने पर सहमत हो गए हैं। हालांकि गलवान घाटी की सैटलाइट से मिली ताजा तस्‍वीरें जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही हैं। इससे ड्रैगन की मंशा को लेकर संदेह उठने लगा है।

हम आपको बता दें कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी पैन्गॉन्ग सो झील इलाके में अभी भी डेरा जमा रखा है। यही नहीं इसकी मौजूदी छोटे-छोटे समूहों में बढ़ती जा रही है। पैन्गॉन्ग सो के 19 किमी दक्षिण में ज्यादा सपॉर्ट पोजिशन दिख रही है। बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच बातचीत के बाद पेइचिंग ने कहा है कि दोनों देश सीमा पर स्थिति को बातचीत और परामर्श के जरिए शांत करने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए हैं।

भारत और चीन लद्दाख में चल रहे तनाव में मंगलवार को कुछ कमी आती दिख रही है। कल हुई दोनों देशों के जनरल स्तर पर बातचीत के दौरान ड्रैगन पूर्वी लद्दाख के तनाव वाले इलाके से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गया है। सूत्रों ने बताया कि वार्ता में पूर्वी लद्दाख से सैनिकों के हटाने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बातचीत के दौरान भारत की ओर से साफ कह दिया गया है कि LAC में जैसी स्थिति 5 मई के पहले थी वैसे ही होनी चाहिए। यानी कि भारत की ओर से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि चीन अपनी सीमा पर वापस लौटे।

दोनों देशों के बीच हुई सहमति में यह भी कहा गया है कि सैनिकों की वापसी की दोनों देश पुष्टि करेंगे। हालांकि अभी पैन्गॉन्ग सो को लेकर भारत और चीन के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। बताया जा रहा है कि चीन यहां से हटने के लिए तैयार नहीं है। चीन ने इस इलाके में कई नए बंकर बनाए लिए हैं और फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक आठ किमी के ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्‍जा कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक अगर सबकुछ प्‍लान के मुताबिक रहा तो धीरे-धीरे पैन्गॉन्ग सो को छोड़कर अन्‍य इलाकों से सैनिक हटेंगे। पैन्गॉन्ग सो में अभी चीनी सेना हटने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है।



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