रक्षा मामलों की स्थाई समिति के अध्यक्ष पद से मेजर जनरल खंडूरी को हटाया, कलराज को बनाया

Update: 2018-09-26 06:27 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। आखिर कौन-सी ऐसी आपातस्थिति आ गई कि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से आठ महीने पहले ही रक्षा मामलों की संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष पद से मेजर जनरल भुवन चंद खंडूरी को हटाकर, 75 वर्ष से अधिक की उम्र का होने के कारण मंत्री पद से हटाये गये कलराज मिश्र को अध्यक्ष बना दिया गया। जबकि होता यह है कि जिस समिति के अध्यक्ष लोकसभा के सांसद होते हैं, वे उसके 05 वर्ष तक अध्यक्ष होते हैं। यदि 05 वर्ष के अन्दर सरकार गिर गई और चुनाव कराना पड़ा, तभी वे उसके पहले विदा होते हैं। लेकिन इस मामले में यह दोनों नहीं हुआ है। ऐसे में खंडूरी को हटाने में इतनी जल्दी क्यों की गई, इसको लेकर विपक्षी दलों के नेताओं में तरह-तरह की चर्चा है।

इस बारे में सूत्रों का कहना है कि सेना में बड़े अफसर रहे खंडूरी ने वाजपेयी सरकार में जिस तरह अपने मंत्रालय में काम किया था उसको लेकर आज तक वाहवाही होती है। उन्होंने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी अच्छा कार्य किया था। उसी तरह रक्षा रक्षा मामलों की संसद की स्थायी समिति का अध्यक्ष रहते हुए भी किया। लेकिन उनका ईमानदारी से यह करना ही हुक्मरानों की आंख की किरकिरी बन गई। उन्होंने अपनी समिति की रिपोर्ट मार्च 2018 में संसद पटल पर रखी थी। जिसमें लिखा है कि यदि भीषण युद्ध छिड़ जाए तो भारत के पास मात्र 10 दिन के गोला-बारूद हैं। समिति की रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सेना को बजट कम दिया गया है। मात्र 22 हजार करोड़ रूपये। जबकि पहले हुई खरीद के रकम को चुकाने के लिए ही 29 हजार करोड़ रूपये देने हैं। उसमें सेना के बड़े अधिकारियों द्वारा दिये आंकड़े कि सेना के आधुनिकीकरण का बजट कुल बजट का लगभग 23 प्रतिशत होना चाहिए। जबकि दिया गया केवल 14 प्रतिशत है। नौसेना की बजट तो जितनी होनी चाहिए उससे 03 प्रतिशत कम की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि इससे अधिक तो मुद्रास्फीति ही है। चूंकि मेजर जनरल सेना में जीवन खपाये हैं और वहां की जरूरतें जानते हैं| देशभक्त हैं, ईमानदार हैं| उन्होंने जो भी तथ्य थे वे बिना छिपाये, बिना तोड़े-मरोड़े, बिना ढंके-तोपे रिपोर्ट में रख दिये। जिसके कारण मीडिया व राजनीतिक दलों में इस पर बहुत चर्चा हुई थी। मुद्दा बन गया। पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि हो सकता है कि इसके कारण खंडूरी को हटाया गया हो। लेकिन इस बारे में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र का कहना है कि जिस तरह से कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल राफेल सौदे का मुद्दा उठाये हैं और नवम्बर 2018 में संसद के शीतकालीन सत्र व आगामी लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं, उससे चिंतित सत्ताधारी नेताओं को लगता है कि यह मामला संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति के समक्ष भी जाएगा और यदि खंडूरी इसके अध्यक्ष बने रहेंगे तो वह बिना झुके जो तथ्य है वह रिपोर्ट में रख देंगे। इससे सरकार घिर जाएगी। दूसरीओर, राज्यपाल पद पाने की आस लगाये बुजुर्ग कलराज मिश्र संकेत समझने में माहिर हैं। सो खंडूरी को हटा इनको समिति का अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन इसको लेकर खंडूरी समर्थकों में रोष बढ़ने लगा है। इसे विपक्षी दल भी मुद्दा बनाएंगे। 

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