राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ट्रेन से पैतृक गांव रवाना, 2006 में आखिरी बार कलाम ने की थी रेलयात्रा
नईदिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज शुक्रवार को अपने परिवार सहित दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से एक विशेष प्रेसीडेंशियल ट्रेन से उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित अपने पैतृक स्थान के लिए रवाना हुए। वे अपनी यात्रा के पहले चरण में कानुपर जाएंगे। इसके बाद 28 जून को राजधानी लखनऊ के लिए ट्रेन से ही रवाना होंगे। 29 जून को वे विशेष विमान से नई दिल्ली लौटेंगे।
राष्ट्रपति कोविन्द के साथ उनकी पत्नी सविता कोविन्द, बेटी स्वाति और बेटा प्रशांत गए है।उनके लिए विशेष ट्रेन में दो खास बोगी (स्पेशल कोच) लगाई हैं। दोनों में बुलेटप्रूफ शीशे लगे हैं और सुरक्षा के लिए ट्रेन के आगे एक खाली इंजन भी जा रही है। यह ट्रेन अलीगढ़, टूंडला, फिरोजाबाद, इटावा होकर जाएगी, लेकिन इन स्टेशनों पर इसका ठहराव नहीं होगा। ट्रेन में एनएसजी की एक टीम भी राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तैनात है।
परिचितों से चर्चा -
यह ट्रेन शुक्रवार शाम को कानपुर देहात के झींझक स्टेशन और फिर रूरा स्टेशन पर ठहरेगी। इन दोनों ही स्टेशनों पर राष्ट्रपति अपने स्कूल के दिनों और अपनी सामाजिक सेवा के शुरुआती दिनों के पुराने परिचितों से बातचीत करेंगे। इसके बाद ट्रेन रात को कानपुर पहुंचेगी। कानपुर देहात के गांव परौंख में 27 जून को राष्ट्रपति को सम्मानित करने के लिए दो कार्यक्रम निर्धारित हैं।
पैतृक गांव का पहला दौरा -
यह पहला अवसर है, जब राष्ट्रपति अपना वर्तमान कार्यभार संभालने के बाद अपने जन्मस्थान का दौरा कर रहे हैं। वे पहले ही उस स्थान का दौरा करना चाहते थे, लेकिन महामारी के कारण योजनाएं अमल में नहीं आ सकीं। यह 15 साल की लंबी अवधि के बाद होगा कि एक मौजूदा राष्ट्रपति रेल यात्रा करेंगे।
आखिरी बार कलम ने की रेलयात्रा -
आखिरी बार किसी राष्ट्रपति ने ट्रेन से यात्रा 2006 में की थी, जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में कैडेटों की पासिंग आउट परेड में भाग लेने के लिए दिल्ली से देहरादून के लिए एक विशेष ट्रेन में सवार हुए थे। रिकॉर्ड बताते हैं कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अक्सर रेल यात्राएं करते थे।