नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के पाली हिल स्थित दफ्तर को तोड़े जाने संबंधित मामले पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। जिसमे बृह्न्मुंबई महानगरपालिका को मुंह की खानी पड़ी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी के आदेश को रद्द करते हुए कि यह कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित और अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी। यही नही, कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ से हुए नुकसान की भरपाई भी बीएमसी को करनी पड़ेगी।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनौत को सोशल मीडिया पर विचारों को रखने में संयम बरतने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि किसी राज्य को किसी नागरिक द्वारा की गई गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। किसी नागरिक की ऐसी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों के लिए इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
कोर्ट ने माना कि ये सभी चीजें कंगना को धमकाने के मकसद से की गईं और बीएमसी की मंशा ठीक नहीं थी। लेकिन बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई गलत नीयत से की गई प्रतीत होती है। कोर्ट ने कहा कि कंगना को हर्जाना दिए जाने के लिए दफ्तर में हुई तोड़फोड़ का मूल्यांकन किया जाए और इस मूल्यांकन की जानकारी कंगना और BMC दोनों को होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो भी हर्जाना होगा, उसे बीएमसी ही भरेगी।
जानें क्या है मामला
बीएमसी ने नौ सितंबर को पाली हिल्स इलाके में बने कंगना के बंगले के एक हिस्से को गिरा दिया था। दफ्तर तोड़े जाने को लेकर कंगना ने ट्वीट कर कहा था, 'मेरे प्रोडक्शन हाउस मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड में पहली फिल्म अयोध्या की घोषणा हुई, यह मेरे लिए एक इमारत नहीं राम मंदिर ही है। आज वहां बाबर आया है, आज इतिहास फिर खुद को दोहराएगा। राम मंदिर फिर टूटेगा मगर याद रख बाबर यह मंदिर फिर बनेगा। जय श्री राम ।' कंगना रनौत का यह ऑफिस (मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) ग्राउंड फ्लोर के साथ दो फ्लोर ऊपर तक बना है। बीएमसी का आरोप था कि जब बीएमसी ने ऑफिस के निर्माण का ढांचा देखा तो पाया कि यह 1970 के रिकॉर्ड में शामिल है। ऑफिस के निर्माण के दौरान कई उल्लंघन किए गए हैं। कई जगहों को गलत तरीके से बढ़ाया गया है।