हादसों के बाद भी नहीं लग पा रही ट्रेक्टर-ट्रॉलियों पर लगाम, आवागमन भी होता रहता है बाधित
फसल के सीजन में बढ़ जाती है समस्या, निर्माण सामग्री ढोने पर भी नहीं लगी
गुना/निज प्रतिनिधि। शहर की सड़कों पर अंधाधुंध तरीके से दौड़तीं ट्रेक्टर-ट्रॉलियों पर लगाम नहीं लग पा रही है, जबकि इसके चलते जहां आए दिन हादसें सामने आ रहे है तो आवागमन भी बाधित होता रहता है। एक तरह से शहर के लिए यह ट्रेक्टर-ट्रॉलियां गंभीर समस्या बन चुकी है। फसल के सीजन में यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। कारण इस दौरान नानाखेड़ी मंडी में ट्रेक्टर-ट्रॉलियों की आमद काफी बढ़ जाती है। इसके साथ ही ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से भवन निर्माण सामग्री ढोने के साथ ही नो एंट्री में इनके प्रवेश पर रोक नहीं लग पा रही है। जिन पर इस सबकी जिम्मेदारी है, वह अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए सिर्फ वसूली में व्यस्त है।
पूरे शहर में बेहतहाशा तरीके से दौड़ती रहतीं है ट्रेक्टर-ट्रॉली
पूरे शहर में ट्रेक्टर-ट्रॉलियां बेहतहाशा तरीके से दौड़ती रहतीं है। शहर के मुख्य मार्ग हो या गलियां सभी जगह यह ट्रेक्टर-ट्रॅालियां दिन भर इधर से उधर दौड़ती रहती है। जिससे यातायात जहां अव्यवस्थित होता है तो जाम की स्थिति भी बनती है। इसके साथ ही हादसे भी सामने आते रहते है। दरअसल कृषि कार्य के लिए निर्धारित ट्रेक्टर-ट्रॉलियों का इस्तेमाल सारे कामों के लिए हो रहा है। जहां इनसे भवन निर्माण सामग्री ढोई जा रही है तो इसे सवारी वाहन के रुप में भी उपयोग में लिया जा रहा है। ट्रॅाली में 40 से 50 तक लोगों को बैठाया जाता है। इसके साथ ही अन्य सामान ढोने में भी ट्रेक्टर-ट्रॅाली का इस्तेमाल किया जाता है। इसका कारण है कि अन्य वाहनों की अपेक्षा जहां ट्रेक्टर-ट्रॉली सस्ती पड़ती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के पास ट्रेक्टर-ट्रॉली खुद के साधन के रुप में होती है। जिसमे सिर्फ डीजल डलाकर ही सामान ढोने, यात्री वाहन के रुप में इस्तेमाल करने के साथ ही अन्य कार्य कर सकते है।
15 दिन में हो चुके है दो दर्दनाक हादसे
ट्रेक्टर-ट्रॉली शहर के लिए किस हद तक जानलेवा साबित हो रहे है। इसका अंदाजा महज इससे ही लग जाता है कि पिछले 15 दिन में ही दो दर्दनाक हादसे सामने आ चुके है। एक हादसे में जहां बांसखेड़ी में एक मासूम बालिका की मौत हो चुकी है तो बीते रोज ही एक बाइक सवार की मौत होने के साथ ही दो घायल हो चुके है। इसके साथ ही जगदीश कॉलोनी मार्ग पर भी एक हादसे सामने आ चुका है, जिसमें एक महिला की दर्दनाक मौत हो चुकी है। इसके अलावा भी कई हादसे इन ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से हो चुके है। जब भी कभी हादसे सामने आते है, ट्रेक्टर-ट्रॉलियों के नो एंट्री में प्रवेश एवं उनकी कृषि के अलावा दीगर कार्यों में उपयोग को लेकर सवाल खड़े किए जाते है, कार्रवाई भी होती है, किन्तु कुछ दिन ऐसा होकर फिर सब पुराने ढर्रे पर आ जाता है।
नो एंट्री नियम का सख्ती से पालन जरुरी
ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से होने वाले हादसे एवं अन्य समस्याओं को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है नो एंट्री नियम का सख्ती से पालन। हालांकि यह नियम भी भवन निर्माण सामग्री ढोने वाली ट्रेक्टर-ट्रॉलियों के लिए ही है, अन्य ट्रेक्टर-ट्रॉलियां चाहे जब शहर में कहीं भी आ जा सकती है। जरुरी है कि भवन निर्माण सामग्री ढोने के साथ ही अन्य ट्रेक्टर-ट्रॉलियों का भी शहर में प्रवेश को लेकर न सिर्फ समय निर्धारित किया जाए, बल्कि नियम तोडऩे पर सख्ती से कार्रवाई भी की जाए। तभी यह समस्या दूर होगी।
मंडी में ही होना चाहिए भुगतान
फसल के सीजन में ट्रेक्टर-ट्रॉलियों की समस्या काफी बढ़ जाती है। बड़ी संख्या में ट्रेक्टर-ट्रॉलियां इस दौरान अनाज भरकर नानाखेड़ी मंडी मेंं पहुँचती है। यह ट्रेक्टर-ट्रॉलियां जहां शहर के प्रमुख मार्गों से होकर मंडी पहुँचती है तो अनाज बेचने के बाद वापस शहर में ही आती है। कारण व्यापारी मंडी में अनाज खरीदने के बाद भुगतान शहर के अपने कार्योंलयों से करते है। साथ ही खाने-पीने के लिए भी किसानों को शहर में आना पड़ता है। अगर यह व्यवस्था नानाखेड़ी मंड़ी में ही हो जाए तो बायपास से ट्रेक्टर-ट्रॉलियों को आवागमन निर्धारित किया जा सकता है।
सिर्फ वसूली में व्यस्त
शहर के यातायात का जिम्मा संभालने वाले जिम्मेदार चाहे वह यातायात पुलिस हो या परिवहन विभाग, दोनों ही सिर्फ वसूली में व्यस्त रहते है। आलम यह है कि इन दिनों शहर में चाहे-जहां बैरीयर लगाकर वाहन चालकों से वसूली शुरु हो जाती है। यह वसूली दस्तावेज नहीं होने, तीन सवारी बैठने, हेलमेट आदि के नाम पर होती है। आश्चर्य की बात यह है कि रोज चालानी कार्रवाई हो रही है, इसके बाद भी नियमों का पालन कहीं नहीं दिखता है। यहां तक ही दोपहिया वाहन चालक हेलमेट लगाए भी नहीं दिखते है। तात्पर्य यह है कि मतलब सिर्फ वसूली से है।