अफगान राष्ट्रपति गनी के भाई ने तालिबान से मिलाया हाथ, ब्रादर ने सरकार बनाने की कोशिश की तेज
काबुल। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने आतंकवादी संगठन तालिबान के साथ हाथ मिला लिया है। कुचिस की ग्रैड काउंसिल के प्रमुख हशमत गनी अहमदजई ने तालिबानी नेता खलील उल रहमान और मुफ्ती महमूद जाकिर की मौजूदगी में तालिबान के लिए अपने समर्थन की घोषणा की।
ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया गया है, जिसमें अशरफ गनी के भाई को तालिबान में शामिल होता दिखाया गया है। मोहम्मद जलाल ने यह वीडियो साझा किया है। हशमत गनी ने अलहज खलील उर रहमान हक्कानी से मुलाकात के बाद अपना समर्थन देने का वादा किया है।
आरोपों का खंडन -
दरअसल, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने परिवार के साथ यूएई में बस गए हैं। गनी ने कहा कि वह देश में खूनखराबा नहीं चाहते थे और इसलिए उनके पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इसके साथ उन्होंने खुद पर लगे उन आरोपों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि वह कैश से भरी चार गाड़ियां लेकर भागे हैं। उन्होंने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है।
मुल्ला बरादर पहुंचा तालिबान -
इसी बीच तालिबान का सह संस्थापक मुल्ला बरादर शनिवार को समूह के अन्य सदस्यों के साथ सरकार बनाने को लेकर बातचीत करने के लिए काबुल पहुंचा है। तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि वह जिहादी नेताओं और राजनीतिज्ञों से बात करने के लिए काबुल में हैं। दरअसल, 2010 में पाकिस्तान में गिरफ्तार बरादर को तब तक हिरासत में रखा गया जब तक कि अमेरिका के दबाव ने उसे 2018 में मुक्त नहीं कर दिया और कतर में स्थानांतरित कर दिया।
उसे दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख नियुक्त किया गया, जहां इसने अमेरिकियों के साथ विदेशी सेना के वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए। उल्लेखनीय है कि बरादर मंगलवार को कतर से अफगानिस्तान पहुंचा था। उसकी वापसी के कुछ ही घंटों के बाद समूह ने घोषणा की कि इस बार उनका नियम अलग होगा।