30 नवंबर को फडनवीस-पवार की अग्नि परीक्षा, शरद पवार ने किया सरकार बनाने पर दावा

Update: 2019-11-23 09:33 GMT

नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र में नाटकीय घटनाक्रम के बाद लगातार दूसरी बार शनिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेन्द्र फडनवीस ने कहा है कि उनके पास बहुमत के लिए संख्या पूरी है और उसी के आधार पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उनको शपथ दिलायी है। फडनवीस ने शपथ लेने के बाद पत्रकारों से कहा कि उनके पास पूरी संख्या है और उनकी सरकार पांच सालों तक चलेगी। उन्होंने कहा कि जब राज्यपाल के समक्ष दावा पेश किया गया तो राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया है।

वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि अजित पवार का फैसला अनुशासनहीनता है, कोई भी राकांपा कार्यकर्ता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। एनसीपी विधायकों ने शरद पवार के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें राज भवन ले जाया गया लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं था कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास सरकार गठन के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है, हम शिवसेना के नेतृत्व में सरकार चाहते हैं, हम एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार बनाएंगे, हमारे पास नंबर हैं।

शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला लेकर अजित पवार पर शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे मुंबई में जल्द ही संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। फड़णवीस की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी के साथ ही राज्य में महीने भर से चल रहा राजनीतिक गतिरोध खत्म हो गया। राज्य में 12 नवंबर को लगाए राष्ट्रपति शासन को शनिवार तड़के हटा दिया गया।

इस घटनाक्रम ने न केवल राजनीतिक गलियारे में सरगर्मियां बढ़ा दी है बल्कि यह राज्य के लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस राज्य में सरकार गठन को लेकर बातचीत कर रहे थे शरद पवार ने शुक्रवार शाम को ही कहा था कि नयी सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे। इस घोषणा ने उन अटकलों को खत्म करने का संकेत दिया था कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। तीनों पार्टियों ने नयी सरकार के गठन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा भी तैयार कर लिया था। बहरहाल, जब शनिवार तड़के शपथ ग्रहण समारोह हुआ तो उसके बाद शरद पवार ने ट्वीट किया, 'महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह राकांपा का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।'

पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा, ''अजीत पवार ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा है। सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाना विश्वासघात है। गठबंधन में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना ने 288 सदस्यीय सदन में क्रमश: 105 और 56 सीटें जीती थीं लेकिन शिवसेना ने भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद साझा करने से इनकार करने के बाद उसके साथ अपने तीन दशक पुराने संबंध खत्म कर लिए। दूसरी ओर, चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती।

आपको बता दें महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव 21 अक्टूबर को हुए थे और परिणाम 24 अक्टूबर को आये थे। 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सर्वाधिक 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें हासिल हुईं थीं। भाजपा एवं शिवसेना तथा कांग्रेस एवं एनसीपी गठबंधन के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। भाजपा एवं शिवसेना के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद सरकार का गठन नहीं हो पाया। शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद पर दावा कर दिया था जिसे भाजपा ने स्वीकार नहीं किया। कई दिनों तक गतिरोध कायम रहने के कारण राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

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