नईदिल्ली। भारत और चीन के बीच लंबे समय से गतिरोध जारी है। इसे शांत करने के उद्देश्य से 24 जनवरी को सैन्य स्तर पर 9वें दौर की वार्ता होगी। यह वार्ता भारतीय सीमा चुशुल सेक्टर के मोल्डो क्षेत्र में आयोजित होगी। इस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस वार्ता को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है,माना जा रहा है की दोनों देशों के बीच लिखित समझौता हो सकता है। इससे पहले दोनों देशों के बीच 8वें दौर की सैन्य वार्ता 06 नवम्बर को हुई थी।
कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता में दोनों देशों ने एक दूसरे को टॉप सीक्रेट 'रोडमैप' दिए हैं, जिस पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया है। इससे पहले हुई आठवें दौर की सैन्य वार्ता में इसी पर फोकस किया गया लेकिन एलएसी पर तनाव कम करने या पीछे हटने को लेकर दोनों देशों के बीच किसी ठोस रोडमैप पर सहमति नहीं बन पाई। भारत और चीन के बीच करीब 10 घंटे हुई इस सैन्य वार्ता में भी दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ नहीं पिघली। हालांकि छठे और सातवें दौर की बातचीत के बाद एलएसी पर यथास्थिति और सैन्य जमावड़ा नहीं बढ़ने को सकारात्मक माना जा रहा था। इसलिए इस वार्ता में गतिरोध कम होने की काफी उम्मीदें लगाई जा रही थीं।
इसी बैठक में भारत ने साफ कर दिया था कि डिसइंगेजमेंट होगा तो पूरी एलएसी पर होगा। ऐसी स्थिति में चीनी सेना को पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4-8 के पीछे जाना पड़ता लेकिन चीनी सेना इसके लिए तैयार नहीं हुई थी। बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को वार्ता में तय हुए पांच बिन्दुओं के आधार पर एक दूसरे से 'रोडमैप' मांगा गया। अभी तक हुईं इस बातचीत में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए एलएसी से पीछे हटने पर सहमति जताई है लेकिन यह कैसा होगा, इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। दरअसल सीमा से पीछे हटने की शर्तों को लेकर दोनों कमांडर अड़े हुए हैं। मैराथन बातचीत में किसी ठोस रोडमैप पर सहमति न बन पाने के बाद अब माना जा रहा है कि 9वें दौर की सैन्य वार्ता में इस जमी बर्फ को पिघलाने के लिए कूटनीतिक और विशेष प्रतिनिधि स्तर पर नए सिरे से वार्ता शुरू होगी।