Interesting Facts About Ratan Tata: जानिए रतन टाटा की जिंदगी के अनसुने किस्से
Ratan Tata....End of An Era, 9 सितंबर 2024 को भारत ने एक महान हस्ती को खो दिया। रतन टाटा मात्र एक सफल उद्योगपति नहीं बल्कि वो इंसान थे जिनके सफर ने भारत की झोली में कई बड़ी उपलब्धियां डाली। उनके विजन ने टाटा समूह को भारत में सबसे विश्वसनीय ब्रांड बना दिया। रतन टाटा अपने पीछे भारतीय उद्योग जगत के विकास की विरासत छोड़ का गए हैं। उनकी जिंदगी के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें याद करने पर पता चलता है कि, क्यों अब कोई और रतन टाटा नहीं हो सकता...।
साल 1992 में इंडियन एयरलायंस के कर्मचारियों से एक सर्वेक्षण के माध्यम से पूछा गया कि, दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट में सबसे प्रभावशाली या यूं कहें कि, सबसे अच्छा यात्री कौन था तो अधिकतर लोगों ने एक ऐसे यात्री का नाम लिया जो बेहद कम चीनी के साथ ब्लैक कॉफी मांगा करता था। ये यात्री किसी अटेंडेंट को परेशान भी नहीं करता था। एक बार फ्लाइट ने उड़ान भरी तो चुपचाप अपने काम में व्यस्त हो जाता था। न लगेज उठाने के लिए कोई असिस्टेंट न तो फाइल संभालने के लिए कोई अन्य व्यक्ति। इस व्यक्ति का नाम था रतन टाटा। शांत रहना, अपने से छोटों का सम्मान करना और बिना किसी दिखावे के सादा जीवन जीना उनके बहुत से गुणों में से एक है।
टीटी और टैंगों थे सबसे करीब :
रतन टाटा को जानने वाले लोग बताते हैं उनके सबसे करीब थे टीटी और टैंगों। उनके दोनों कुत्तों से ज्यादा उनके करीब और कोई नहीं था। अपने दोनों जर्मन शेफर्ड कुत्तों से रतन टाटा बेहद प्यार करते थे। रतन टाटा को कुत्तों से कितना प्यार था उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, बॉम्बे हॉउस की लॉबी जहां किसी बाहरी व्यक्ति को अंदर आने की अनुमति नहीं थी वहां आवारा कुत्ते घूमा करते थे। जब कभी रतन टाटा बॉम्बे हॉउस आया करते थे तो उनके पीछे आवारा कुत्ते लिफ्ट तक आ जाया करते थे।
ब्रिटेन के राजकुमार ने कहा था रतन टाटा हैं असली मर्द :
यह किस्सा 6 फरवरी 2018 का है। जब रतन टाटा को उस समय ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स द्वारा परोपकारी कार्यों के लिए रौकफ़ेलर फ़ाउंडेशन लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जाना था। सभी तैयारियां हो चुकी थी कार्यक्रम को बस एक घंटा बाकी था। ऐन मूवमेंट पर रतन टाटा ने कहा कि, वे कार्यक्रम में नहीं आ पाएंगे क्योंकि उनके कुत्ते की तबियत खराब है। जब यह बात चार्ल्स को पता चली तो उन्होंने कहा कि, "रतन टाटा असली मर्द हैं।"
रतन टाटा में थी गहराई :
रतन टाटा में बेहद गहराई थी। उन्हें अपने जीवन में एकांकी रहना बेहद पसंद था। रतन टाटा ज्यादा लोगों से मिलना पसंद नहीं करते थे इसका मतलब यह भी नहीं कि, वे असमाजिक व्यक्ति थे। अपना वीकऑफ भी वे अपने जर्मन शेफर्ड डॉग्स के साथ मनाया करते थे। ठीक 6.30 बजे दफ्तर को अलविदा कह देने वाले रतन टाटा घर में दफ्तर का काम करना पसंद नहीं करते थे।
माता - पिता के तलाक के बाद रतन टाटा को दादी ने पाला पोसा :
रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे जब उनके माता - पिता का तलाक हो गया। रतन टाटा को उनकी दादी लेडी नवाजबाई टाटा ने संभाला। कुछ समय बाद रतन टाटा के पिता ने उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए भेज दिया। वहां ज्यादातर लोग रतन टाटा के बारे में जानते ही नहीं थे।
साल साल अमेरिका में रहते हुए रतन टाटा ने कर्नल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद लॉस एंजिलिस में वे नौकरी करने लगे। दादी और जेआरडी टाटा के कहने पर वे अपनी अमेरिकी गर्लफ्रेंड के साथ भारत वापस आ गए थे। रतन टाटा की गर्लफ्रेंड भारतीय जीवन से सामंजस्य नहीं बैठा पाईं और अमेरिका लौट गईं। इधर रतन टाटा जीवन भर अविवाहित रहे।
1962 से की करियर की शुरुआत :
रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत साल 1962 से की। जमशेदपुर में रतन टाटा एक साधारण मजदूर की तरह काम किया करते थे। टाटा स्टील में नीला ओवरऑल पहनकर उन्होंने अप्रेंटिसशिप की। इसके बाद उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया गया। कुछ समय बाद वो प्रबंध निदेशक एसके नानावटी के विशेष सहायक हो गए। टाटा स्टील में उनकी कड़ी मेहनत की तारीफें बंबई तक पहुंची और जेआरडी टाटा ने उन्हें बंबई बुला लिया। कुछ समय बाद जीआरडी ने रतन टाटा को कुछ ऐसी कंपनियों की जिम्मेदारी दी जो घाटे में चल रही थीं। रतन टाटा ने कड़ी मेहनत की और ये कंपनियां लाभ कमाने लगीं।
1981 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज की कमान मिल गई। जेआरडी के बाद टाटा समूह की कमान रतन टाटा के हाथ में आई और उन्होंने टाटा को भारत का सबसे भरोसेमंद ब्रांड बना दिया।