Ebrahim Raisi Story : 5000 लोगों को मौत की सजा सुनाने वाले 'तेहरान के कसाई' इब्राहिम रईसी की कहानी
Ebrahim Raisi Story : इस्लामिक क्रान्ति के समाप्त हो जाने के बाद साल 1979 में इब्राहिम रईसी को कराज शहर में सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था।
Ebrahim Raisi Story: साल था 1988, ईरान और ईराक में युद्ध लगभग समाप्त हो चुका था। हजारों राजनायिक जेल में सजा काट रहे थे। इनमें कई महिलाएं भी शामिल थीं। इन पर दोबारा मुकदमा चलाने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस खुफिया कमेटी को 'डेथ कमेटी' के नाम भी जाना जाता है। खुफिया समिति ने एक - दो नहीं बल्कि पांच हजार से भी ज्यादा लोगों को मौत की सजा सुनाई। शायद ही मानव इतिहास में हजारों लोगों को कभी एक साथ मौत की सजा सुनाई गई हो। 5000 हजार लोगों को मौत के घाट उतारकर किसी खुूफिया जगह दफना दिया गया। इस समिति के सदस्य थे इब्राहिम रईसी। डेथ कमेटी के सदस्य होने के चलते उन्हें 'तेहरान का कसाई' भी कहा जाता है। जानते हैं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अल ख़ामेनई के सबसे करीबी इब्राहिम रईसी की कहानी...।
इब्राहिम रईसी का जन्म 14 दिसंबर, 1960 को ईरान के मशहद शहर में हुआ था। पूर्वी ईरान में स्थित इस शहर को काफी पवित्र माना जाता है क्योंकि इस शहर में एक मस्जिद है जिससे ईरान के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। उनके पिता एक मौलवी थे। जब रईसी पांच साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने 15 साल की उम्र में कोम शहर के एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू की। उनके आस - पास के माहौल और देश की परिस्थितियों ने उन्हें एक रूढ़िवादी व्यक्ति बना दिया था। ईरान में शाह के खिलाफ किये गए प्रदर्शन में उनकी अहम् भूमिका थी।
दरअसल, उन दिनों ईरान में मोहम्मद राजा शाह पहलवी का शासन था। वे अमेरिका के समर्थन से सत्ता पर काबिज थे। उनका विरोध लम्बे समय से ईरान के कट्टरवादी और रूढ़िवादी समूह द्वारा किया जा रहा था। रईसी भी इन्ही प्रदर्शनकारियों में से एक थे। उन्होंने अयातोल्लाह रूहोल्ला ख़ामेनई के नेतृत्व ने इस्लामिक क्रान्ति में अहम भुमिका निभाई। उस समय वे मात्र 19 - 20 साल के थे।
इस्लामिक क्रान्ति के चलते मोहम्मद राजा शाह पहलवी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और देश पर रूढ़िवादी ताकतों ने कब्जा कर लिया। इस आंदोलन में शामिल रईसी को आगे चलकर कई अहम पदों से नवाजा गया। इस्लामिक क्रान्ति के समाप्त हो जाने के बाद साल 1979 में इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) को कराज शहर में सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद रईसी ने कभी पलट कर नहीं देखा।
तेहरान के महाभियोजक :
इब्राहिम रईसी का विवाह एक बड़े मौलवी इमाम अहमत के बेटी जमीलेह से साल 1983 में हुआ था। उनकी दो बेटियां हैं। इमाम अहमत की बेटी से निकाह करने के कारण उनकी पहचान सत्ता पर काबिज कई अन्य लोगों से भी हुई। साल 1989 से 1994 तक वे तेहरान के महाभियोजक रहे। इसके बाद उन्होंने साल 2004 से 2014 यानी 10 साल तक ईरान के न्यायिक प्राधिकरण के डिप्टी चीफ का पद संभाला।
इसके बाद उन्हका प्रमोशन हुआ और वे ईरान के महाभियोजक बन गए। 2019 में उन्हें ईरान का चीफ जस्टिस बना दिया गया। उनके विचारों को काफी कट्टरपंथी माना जाता था और शायद ये उनके विचारों की रूढ़िवादिता ही थी कि, वे ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह ख़ामेनई के सबसे करीब ही नहीं बल्कि उनके उत्तराधिकारी भी माने जाते थे।
महिलाओं ने संभाली प्रदर्शन की कमान :
2021 में वे चुनाव जीतकर ईरान के राष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल ईरान और पूरी दुनिया में कट्टरपंथियों के खिलाफ निहत्थी महिलाओं के प्रदर्शन के लिए जाना जाएगा। सही ढंग से हिजाब न पहनने चलते पुलिस ने महसा अमीनी को गिरफ्तार किया था। पुलिस कस्टडी में टॉर्चर के कारण उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद देशभर में महिलाओं ने प्रदर्शन की कमान संभाली। रईसी ने इन प्रदर्शनों का जवाब क्रूरता से दिया। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को फ्री हेंड दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार सुरक्षा बल द्वारा किए गए बल प्रयोग से 550 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हुई।
हलोकॉप्टर क्रैश में मौत :
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का 19 मई को हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। जिसके चलते अब वे इस दुनिया में नहीं रहे। हेलीकॉप्टर पूरी तरह जल गया था और इस हेलीकॉप्टर में सवार कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा। इस तरह इस्लामिक क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाले और भविष्य में सुप्रीम लीडर के वारिस माने जाने वाले रईसी अब इस दुनिया से अलविदा कह चुके हैं। दुनिया भर में उन्हें भले ही एक कट्टरपंथी नेता के रूप में याद किया जाए लेकिन ईरान में उनके समर्थक हमेशा उन्हें सम्मान से याद करेंगे।