ज्ञानवापी केस में हिन्दुओं के हक में आया फैसला, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, उप्र में हाई अलर्ट

Update: 2022-09-12 09:15 GMT

वाराणसी। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में आज सभी की नजर फैसले पर टीकी हुई थी। जिला जज अजय कृष्ण विश्वास ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुना दिया।  उन्होंने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया। जिसका अर्थ है ब श्रृंगार गौरी की पूजा के सम्बन्ध में हिन्दू महिलाओं की याचिका सुने जाने योग्य है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर, 2022 को होगी। कोर्ट के फैसले के बाद हिन्दू पक्ष के वकील और याचिकाकर्ताओं के चेहरों पर ख़ुशी नजर आई।  

जज ने फैसला सुनाते हुए कहा रूल 6/11 लागू होगा, 7/11 लागू नहीं होगा. वहीं कोर्ट ने माना कि ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली 5 हिंदू महिलाओं द्वारा दायर किया गया मुकदमा 'सुनने योग्य' है. साथ ही अब इस केस की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।  बता दें की कोर्ट ने 24 अगस्त को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। 

कार्बन डेटिंग की मांग - 

खास बात यह रही कि न्यायालय में फैसले के दौरान मुस्लिम पक्ष मौजूद नहीं रहा। अदालत का फैसला आते ही वादी पक्ष की महिलाओं के साथ अधिवक्ताओं ने भी खुशी जाहिर की। उन्होंने इसे हिन्दू पक्ष की जीत माना है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि न्यायालय से एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग भी करेंगे। इसके पहले आज अपरान्ह एक बजे दोनों पक्षों के अधिवक्ता और वादी कुल 62 लोगों को अंदर मौजूद रहने की अनुमति मिली थी। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने वाद को जनहित याचिका जैसा व प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ज्ञानवापी को वक्फ संपत्ति समेत अन्य दलीलों के साथ मुकदमे को सुनने योग्य नहीं बताया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश्व की अदालत में आर्डर 7 रूल नंबर 11 के तहत आज वाद के पोषणीयता पर सुनवाई हुई।

पिछले वर्ष सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वादी राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाद दाखिल किया था। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने प्रार्थनापत्र देकर वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाया था। अदालत ने प्रतिवादी की अर्जी दरकिनार करते हुए सुनवाई की और ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराकर रिपोर्ट तलब कर ली। इसी दौरान प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला जज की अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू हुई।प्रतिवादी की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 07 नियम 11 में मेरिट के तहत केस खारिज करके लिए कई तिथियों पर दलीलें दी गईं। इस मामले में वाराणसी कोर्ट में 24 अगस्त को दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी। जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने 12 सितंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान वादी पक्ष की ओर से लिखित बहस भी दाखिल की गई और मुस्लिम पक्ष ने कई विवरण व पत्रावली कोर्ट में दिया। खास बात यह है कि पूर्व में हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष की ओर से केस की मेरिट की याचिका खारिज हो चुकी है।

वाराणसी ने हाई अलर्ट  

ज्ञानवापी केस में फैसला आने की खबर के बाद ही वाराणसी समेत पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। वाराणसी में शहर के चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात की गई है। वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में 250 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और पूरी कचहरी सुरक्षा बलों के हवाले कर दी गई है। कचहरी परिसर को अभेद्य सुरक्षा घेरे में तब्दील कर दिया गया है। सुरक्षा की कमान खुद पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने संभाली है। वह कचहरी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में स्वयं प्रत्येक ड्यूटी पॉइंट्स का निरीक्षण कर रहे हैं। अपने टीम के अफसरों को मौके पर ब्रीफिंग कर रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में कमांडों ने भी सुरक्षा व्यवस्था का मोर्चा संभाल ली है।

कचहरी परिसर में अपर पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह एवं डीसीपी वरूणा जोन आरती सिंह ने सम्पूर्ण कचहरी परिक्षेत्र का पैदल भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। इस दौरान एसीपी ने सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस अधिकारियों को संदिग्ध वाहनों, संदिग्ध व्यक्तियों, अन्य संदिग्ध परिस्थितयों पर निरन्तर सतर्क दृष्टि रखने का निर्देश दिया।

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