जम्मू -कश्मीर का विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता : प्रधानमंत्री मोदी
जम्मू कश्मीर
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों के लिए 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवच आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ किया।उन्होंने कहा की आज मुझे जम्मू कश्मीर के दो लाभार्थियों से आयुष्मान भारत योजना के बारे में अनुभव जानने का मौका मिला।जिनके लिए हम कार्य करते हैं, उनसे जब संतोष के शब्द मिलते हैं, वो शब्द मेरे लिए आशीर्वाद बन जाते हैं।आज का दिन जम्मू-कश्मीर के लिए बहुत ऐतिहासिक है। आज जम्मू-कश्मीर के सभी लोगो को आयुष्मान योजना का लाभ मिलने जा रहा है।सेहत स्कीम- अपने आप में ये एक बहुत बड़ा कदम है और जम्मू-कश्मीर को अपने लोगों के विकास के लिए ये कदम उठाता देख, मुझे भी बहुत खुशी हो रही है।
अटल जी का जम्मू कश्मीर से एक विशेष स्नेह था। अटल जी इनसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की बात को लेकर हम सबको आगे के काम के लिए दिशा-निर्देश देते रहे हैं।आज जम्मू कश्मीर इसी भावना को लेकर आगे बढ़ रहा है।मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भी बधाई देता हूं।डीडीसी के चुनाव ने एक नया अध्याय लिखा है।जम्मू कश्मीर के हर वोटर के चेहरे पर मुझे विकास के लिए, डेवलपमेंट के लिए एक उम्मीद नजर आई, उमंग नजर आई।जम्मू कश्मीर के हर वोटर की आंखों में मैंने अतीत को पीछे छोड़ते हुए, बेहतर भविष्य का विश्वास देखा।इन चुनावों में जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत किया है।जम्मू-कश्मीर के प्रशासन और सुरक्षाबलों ने जिस प्रकार से चुनाव का संचालन किया और सभी दलों की तरफ से ये चुनाव बहुत ही परदर्शी हुए।ये जब मैं सुनता हूं तो मुझे बहुत गर्व होता है।
ग्राम स्वराज्य का सपना पूरा -
जम्मू-कश्मीर में ये त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था एक प्रकार से महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना पूरा किया है।देश में जो पंचायती राज व्यवस्था है उसने आज जम्मू-कश्मीर की धरती पर पूर्णता को प्राप्त किया है।जम्मू-कश्मीर में इन चुनावों ने ये भी दिखाया कि हमारे देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है।लेकिन, एक पक्ष और भी है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं।पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और म्यूनिसिपल इलेक्शन नहीं हो रहे।आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था।लेकिन, वहां जो सरकार है, इस मामले को लगातार टाल रही है।पुडुचेरी में दशकों के इंतजार के बाद साल 2006 मेंलोकल हुए थे।इन चुनावों में जो चुने गए उनका कार्यकाल साल 2011 में ही खत्म हो चुका है।जम्मू-कश्मीर में इन चुनावों ने ये भी दिखाया कि हमारे देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है।लेकिन एक पक्ष और भी है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं।पुडुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और म्यूनिसिपल इलेक्शन नहीं हो रहे।
राजनीतिक दलों की कथनी और करनी में अंतर -
केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि गांव के विकास में, गांव के लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रहे। प्लानिंग से लेकर अमल और देखरेख तक पंचायती राज से जुड़े संस्थानों को ज्यादा ताकत दी जा रही है। कुछ राजनीतिक दलों की कथनी और करनी में कितना बड़ा फर्क है, लोकतंत्र के प्रति वो कितना गंभीर है इस बात से ही पता चलता है। कितने साल हो गए, पुडुचेरी में पंचायत चुनाव नहीं होने दिए जा रहे हैं।आप हैरान होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ये आदेश दिया था।लेकिन वहां जो सरकार है, इस मामले को लगातार टाल रही है।साथियों, पुडुचेरी में दशकों के इंतजार के बाद साल 2006 में चुनाव हुए थे। इन चुनावों में जो चुने गए उनका कार्यकाल साल 2011 में ही खत्म हो चुका है।
जम्मू -कश्मीर का विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता -
आज जम्मू-कश्मीर के लोगों का विकास हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।चाहे वो महिला सशक्तिकरण हो, युवाओं के लिए अवसर की बात हो, दलितों-पीड़ितों-शोषितों-वंचितों के कल्याण का लक्ष्य हो या फिर लोगों के संवैधानिक व बुनियादी अधिकार हों। गरीब से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब पंचायतों का दायित्व काफी बड़ा है। इसका लाभ जम्मू कश्मीर में भी दिख रहा है। जम्मू कश्मीर के गांव-गांव में बिजली पहुंची, यहां के गांव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं।कोरोना के दौरान भी यहां जम्मू-कश्मीर में करीब 18 लाख सिलेंडर रिफिल कराए गए।स्वच्छ भारत अभियान के तहत जम्मू-कश्मीर में 10 लाख से ज्यादा शौचालय बनाए गए।लेकिन इसका मकसद सिर्फ शौचालय बनाने तक सीमित नहीं, ये लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने की भी कोशिश है।