Mahakumbh 2025: साधु-संतों की पेशवाई के बाद शुरू होता हैं महाकुंभ का शाही स्नान, जानिए इस परंपरा के बारे में
महाकुंभ को लेकर जहां पर प्रशासन ने तैयारियां जोरों शोरों से शुरू कर दी हैं तो वहीं इससे जुड़ी कई परंपराएं प्रचलित हैं।
Mahakumbh 2025: आने वाला साल 2025 देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन यानी महाकुंभ के साथ आ रहा है इसकी शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। महाकुंभ को लेकर जहां पर प्रशासन ने तैयारियां जोरों शोरों से शुरू कर दी हैं तो वहीं इससे जुड़ी कई परंपराएं प्रचलित हैं।
पेशवाई के बाद शुरू होता हैं शाही स्नान
आपको बताते चलें कि, आपको बताते चलें कि, महाकुंभ में जहां श्रद्धालु पहुंचेंगे वहीं पर साधु संतों का जमावड़ा भी लगने वाला है।साधु-संतों की पेशवाई के बाद ही महाकुंभ का शाही स्नान शुरू होता है, महाकुंभ में अखाड़े (साधु-संतों) की पेशवाई होती है, जिसमें हाथी-घोड़े पर सवार होकर अखाड़ों के शाही जुलूस निकाले जाते हैं।
रथों पर सवार होते है साधु और संत
आपको बताते चलें कि, इस पेशवाई की प्रक्रिया में साधु संत का होना जरूरी होता हैं। रथों में सम्मानित गुरु या फिर संत या महंत बैठते हैं. भक्त या अनुयायी नाचते गाते हुए पैदल चलते हैं, महाकुंभ की पेशवाई में अखाड़ों के प्रमुख महंत, नागा साधु और भक्त या अनुयायी होते हैं। महाकुंभ की पेशवाई को अखाड़ों के वैभव, शक्ति और अनुशासन का प्रदर्शन माना जाता है, पेशवाई को देखने के लिए श्रद्धालु संगम नगरी पहुंचते हैं।