Sadhguru Jaggi Isha Foundation: सुप्रीम कोर्ट से सद्गुरु जग्गी के ईशा फॉउंडेशन को बड़ी राहत, कहा - स्वेच्छा से आश्रम में रह रही बेटियां...
Supreme Court : नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सद्गुरु जग्गी के ईशा फॉउंडेशन को बड़ी राहत दी है। एक पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि, आपकी दोनों बेटियां बालिग हैं और स्वेच्छा से आश्रम में रह रहीं हैं। अदालत के इस फैसले को ईशा फॉउंडेशन के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है इसके पहले हाई कोर्ट ने जग्गी वासुदेव के ईशा फॉउंडेशन में रह रहीं लड़कियों के पिता द्वारा दायर याचिका पर पुलिस को जांच के आदेश दिए थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि, उसकी दो बेटियों को ईशा योग केंद्र में बंधक बनाकर रखा गया है और उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा है। यह मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ने खुद को ट्रांसफर कर लिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने 39 वर्ष और 42 वर्ष की दो बेटियों के बयानों को ध्यान में रखा, जो बालिग हैं और स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं। अदालत को बताया गया कि, वे आश्रम से बाहर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। अदालत ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण में किसी और निर्देश की आवश्यकता नहीं है, और इसे बंद कर दिया जाना चाहिए।
मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही बंद होने से ईशा योग केंद्र को पूरा करने वाले किसी अन्य विनियामक अनुपालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ईशा फॉउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट ने दी सलाह :
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जब आपके संस्थान में महिलाएं और नाबालिग बच्चे हों तो एक आंतरिक शिकायत समिति होनी चाहिए, इसका उद्देश्य किसी संगठन को बदनाम करना नहीं है, लेकिन कुछ आवश्यकताएं हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए।